मृत्यु, मानवता के सबसे पुराने और गहरे सवालों में से एक है. इस सवाल का जवाब देने की कोशिश में क्रिस लैगन, जो दावा करते हैं कि उनका आईक्यू अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग से भी अधिक है, ने एक दिलचस्प विचार साझा किया है. लैगन का मानना है कि मृत्यु एक अंत नहीं हो सकती, और मृत्यु के बाद की स्थिति को लेकर उनका दृष्टिकोण बिल्कुल अलग है.
क्रिस लैगन ने कर्ट जैमंगल के साथ “ऑन द थ्योरीज ऑफ एवरीथिंग” पॉडकास्ट पर बात करते हुए कहा कि मनुष्य को मृत्यु के बाद के अनुभव से डरने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि मृत्यु किसी के अस्तित्व का अंत नहीं है, बल्कि यह एक आयाम से दूसरे आयाम में जाने की प्रक्रिया है.
लैगन ने अपनी सोच को “संज्ञानात्मक-सैद्धांतिक मॉडल ऑफ द यूनिवर्स” (CTMU) के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें वह मृत्यु को शरीर से छुटकारा पाने के रूप में देखते हैं, न कि अस्तित्व के समाप्त होने के रूप में. उनका मानना है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति अपने पुराने भौतिक जीवन को भूल सकता है, क्योंकि वह ध्यान की एक नई अवस्था में प्रवेश कर जाता है.
मृत्यु के बाद के अनुभव
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब लोग मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए जीवित हुए और उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया. एक ऐसा ही मामला 2011 में सामने आया था, जब 57 वर्षीय विलियम्स को एक गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था. ऑपरेशन के दौरान उन्हें हार्ट अटैक आ गया और डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. हालांकि, कुछ देर बाद वह जीवित हो गए.
विलियम्स ने अपनी आंखें खोलने के बाद जो अनुभव साझा किया, वह हैरान करने वाला था. उन्होंने बताया कि उन्हें मरते समय अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टर्स के चेहरे दिखे थे, जिन्हें उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था. उनके अनुसार, मृत्यु के बाद एक तेज रोशनी का अनुभव होता है, जो कई अन्य लोगों के अनुभवों में भी पाया गया है.
इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या मृत्यु वास्तव में अंत है, या फिर यह एक नए आयाम में प्रवेश करने का एक हिस्सा है? यह सवाल मानवता के लिए आज भी एक रहस्य बना हुआ है.