इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर कदम रखने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. पीएम आवास पर हुई इस मुलाकात में प्रधानमंत्री ने शुभांशु से अंतरिक्ष में उनके अनुभव के बारे में बात की. जुलाई में शुभांशु स्पेस स्टेशन से पृथ्वी पर वापस लौटे थे. उन्होंने स्पेस स्टेशन पर बिताए अपने दिनों और अनुभवों के बारे में पीएम मोदी को बताया.
प्रधानमंत्री: आप लोग जब इतनी बड़ी यात्रा करके वापस पहुंचते हैं तो कई बदलाव महसूस होते होंगे. मैं समझना चाहता हूं कि आप कैसा महसूस करते हैं?
शुभांशु: जब हम ऊपर जाते हैं तो वहां का वातावरण अलग होता है. ग्रेविटी नहीं होती. एक बार जब आप अंतरिक्ष में पहुंच जाते हैं तो आप अपनी सीट खोलकर उसी कैप्सूल में मूव कर सकते हैं. उसमें बहुत जगह तो नहीं होती है लेकिन थोड़ी-बहुत होती है. पहुंचने के बाद कई बदलाव होते हैं. जैसे आपका हार्ट स्लो हो जाता है. लेकिन चार-पांच दिन में आपकी बॉडी उस माहौल में ढल जाती है. वहां आप नॉर्मल हो जाते हैं और फिर जब वापस आते हैं तो फिर वही दोबारा से वही सारे बदलाव, जैसे आप चल नहीं सकते चाहे आप कितने भी स्वस्थ हों. मैं बिल्कुल ठीक था लेकिन फिर भी जब पहला कदम रखा तो मैं गिर रहा था तो लोगों ने मुझे पकड़ रखा था. ब्रेन को टाइम लगता है नए वातावरण को वापस समझने में. माइंड की ट्रेनिंग होती है. बॉडी में ताकत है, मांसपेशियों में ताकत है लेकिन ब्रेन की रिवायरिंग होती है. उसको दोबारा से ये समझना होता है कि ये नया वातावरण है. अब इसमें आपको चलने के लिए इतनी ताकत लगेगी, वो वापस इसे समझता है.
प्रधानमंत्री: सबसे ज्यादा समय से वहां कौन था?
शुभांशु: इस समय सबसे ज्यादा करीब 8 महीने से लोग वहां रह रहे हैं. इसी मिशन से शुरू हुआ है कि आठ महीने तक रहेंगे. जो लोग वहां मिले उनमें से कुछ लोग दिसंबर में वापस आएंगे.
प्रधानमंत्री: आप मूंग और मेथी का प्रयोग करते हैं?
शुभांशु: बहुत अच्छा है सर. मैं इस बात से बहुत सरप्राइज था कि लोगों को इसके बारे में पता नहीं था. फूड एक स्पेस स्टेशन में बहुत बड़ा चैलेंज है. जगह कम है, कार्गो महंगा है. आप कम से कम जगह में ज्यादा से ज्यादा कैलोरी और न्यूट्रिशन आपको पैक करने की हमेशा कोशिश रहती है और हर तरह से प्रयोग चल रहे हैं और इनको उगाना बहुत सिंपल है. बहुत ज्यादा रिसोर्स नहीं चाहिए. छोटी सी एक डिश में थोड़ा सा पानी डालकर उनको छोड़ दीजिये और वो बहुत अच्छे से आठ दिन बाद वो स्प्राउट होना शुरू हो गए थे. जैसे ही हमें ये मौका मिला कि हम माइक्रो ग्रेविटी रिसर्च में पहुंच पाए ये वहां पहुंच गए और क्या पता कि ये हमारी फूड सिक्योरिटी प्रॉब्लम को सॉल्व करें. अगर वहां सॉल्व होती है तो पृथ्वी पर भी लोगों के लिए फूड सिक्योरिटी की प्रॉब्लम सॉल्व करने में हमें मदद मिल सकती है.