बदलते समय के साथ इंश्योरेंस लोंगो की आम जरूरत बन गया है. इंश्योरेंस लेने वालों की तादात लगातार बढ़ रही हैं. भारत में इंश्योरेंस का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. लोग कुछ और करें या नहीं लेकिन इंश्योरेंस लेना नहीं भूलते हैं. 2023 के वित्त वर्ष में पूरे भारत में 55 करोड़ से अधिक लोगों ने सिर्फ स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को खरीदा था. शायद यही वजह है कि भारत में कुल 57 इंश्योरेंस कंपनियां हैं. ऐसे में आइए जानते है कि मैटर्निटी इंश्योरेंस क्या होता है. इसके क्या-क्या फायदे है…
क्या है मैटर्निटी इंश्योरेंस
मैटर्निटी इंश्योरेंस एक तरह की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है. यह प्रेगनेंसी से संबंधित सभी खर्चों के लिए कवरेज देती है. अधिकतर इंश्योरेंस कंपनियां अपनी मैटर्निटी इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत डेलीवरी के पहले और बाद के खर्चों और बच्चे के खर्चों को कवर करती हैं. इसके अलावा, अधिकतर कॉरपोरेट अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत महिला कर्मचारियों को मैटर्निटी लाभ देते हैं. मैटरनिटी इंश्योरेंस एक ऐड-ऑन कवर है जिसे अपने या फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस में चुन सकता है, इसमें मैटरनिटी से जुड़े सारे खर्च इन्क्लूड होते हैं.
यह है फायदें
मैटर्निटी इंश्योरेंस लेने के अलावा, अधिकांश खरीदारों ने अस्पताल में अपने मैटर्निटी खर्चों को कवर करने के लिए कई ऐड-ऑन भी चुन सकते है.अस्पताल के भारी बिल को देखते हुए कई मैटरनिटी इंश्योरेंस स्कीम वैक्सिनेशन, इंफर्टिलिटी ट्रीट्मेंट और कुछ गंभीर मामलों में, गोद लेने से संबंधित बिल को भी कवर करती है. कई स्कीम सरोगेसी से संबंधित खर्चों को भी कवर करती हैं.
ये है टॉप फीचर
हेल्थ इंश्योरेंस के पहले की स्कीम्स में मैटर्निटी कवरेज शुरू करने के लिए 2-4 साल की वेटिंग पीरियड होती थी, लेकिन नए स्कीम्स में यह घटकर नौ महीने हो गई है.
कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन
इमरजेंसी की स्थिति में किसी भी नेटवर्क अस्पताल में कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा इसके तहत मिलती है. इस सुविधा के लिए आपको इंतजार करने की जरुरत नहीं है, और कैश डिपॉजिट की फॉर्मेलिटी पूरी करना भी जरुरी नहीं होता है. आपको सिर्फ अस्पताल में और अपने बीमाकर्ता को सूचित करना होगा. बाद में, सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने पर आपकी बीमा कंपनी सीधे अस्पताल के बिलों का भुगतान करती है.
इसके अलावा इस बिमा योजना में नवजात शिशु कवर जन्म के 1 दिन से 90 दिनों तक उपलब्ध होता है. इसमें पॉलिसी के तहत निर्दिष्ट सीमा तक बच्चे की हेल्थ केयर आवश्यकताओं से संबंधित खर्च शामिल होते हैं