वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना आठवां बजट पेश किया. अपने बजट के भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य और शिक्षा पर कई बड़े ऐलान किए हैं. इस बीच निर्मला सीतारमण ने मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की बात कही है. वित्त मंत्री ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के साझेदारी में भारच में मेडिकल टूरिज्म कोबढ़ावा दिया जाएगा.
आपको बता दें कि कोविड 19 के बाद भारत को मेडिकल क्षेत्र में दुनियाभर में बड़ी पहचान मिली है. देश मेडिकल टूरिज्म का हब बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. बहरहाल, यहां हम आपको मेडिकल टूरिज्म के बारे में हर वो जानकारी देंगे, जो आपके लिए जरूरी है. तो सबसे पहले आइए जानते हैं कि मेडिकल टूरिज्म होता क्या है?
क्या होता है मेडिकल टूरिज्म
दरअसल, जब किसी देश के रहने वाले लोग मेडिकल सहायता यानी इलाज के लिए किसी दूसरे देश की यात्रा करते हैं, तो इसे ही मेडिकल टूरिज्म कहा जाता है. मेडिकल टूरिज्म का ट्रेंड पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. कई देशों में इसे इंडस्ट्री के तौर पर भी देखा जाता है. मेडिकल टूरिज्म में केवल इलाज ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े कई दूसरे पहलू जैसे ट्रैवलिंग, ठहरने की व्यवस्था और ट्रीटमेंट के बाद होने वाली देखभाल शामिल होती है.
क्यों बढ़ रहा है मेडिकल टूरिज्म का ट्रेंड
कई देशों में इलाज की कीमतें विकसित देशों की तुलना में काफी सस्ती होती हैं. भारत, थाईलैंड, मलेशिया और मेक्सिको जैसे देशों में इलाज की लागत अमेरिका या यूरोप की तुलना में काफी कम होती है. यही कारण है कि ज्यादातर लोग इन देशों में इलाज के लिए आते हैं. इसका कारण ये भी है कि कई देशों में नई-नई चिकित्सा तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है,जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिलता है.
हाई क्वालिटी मेडिकल सुविधाएं
केंद्र सरकार पिछले काफी समय से विकसित देशों की तरह भारत में भी मेडिकल टूरिज्म बढ़ाने का काम कर रही है. सिंगापुर, साउथ कोरिया और जर्मनी की तरहभारत में भी विश्वस्तरीय अस्पताल और डॉक्टर हैं- जहां विदेशी मरीजों को बेहतरीन इलाज मिलता है.
CDC की रिपोर्ट की मानें तो मेडिकल टूरिज्म में ज्यादातर लोग कॉस्मेटिक सर्जरी, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, डेंटल केयर, ऑर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन और कैंसर का इलाज करवाते हैं. अब आपको बताते हैं कि भारत में इलाज के लिए किन-किन देशों से लोग आते हैं.
भारत में इलाज के लिए किन देशों के लोग आते हैं?
भारत में तकनीकी रूप से सक्षम अस्पताल, कुशल डॉक्टर्स और लाखों की संख्या में प्रशिक्षित नर्स हैं.हर साल भारत में लाखों विदेशी नागरिक इलाज के लिए मेडिकल टूरिज्म वीजा पर यहां आते हैं. भारत में इराक, अफगानिस्तान, मालदीव, ओमान, केन्या, म्यांमार और श्रीलंका के मरीजों की तादाद ज्यादा है.
किन बीमारियों के इलाज के लिए भारत आते हैं मरीज
पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में ज्यादातर लोग बोनमैरो ट्रांसप्लांट, लिवर ट्रांसप्लांट, बाइपास सर्जरी और घुटने की सर्जरी करवाने आते हैं.
क्यों भारत में इलाज करवाते हैं विदेशी
यूरोप और अमेरिका की तुलना में भारत में इलाज का खर्चा लगभग 30 प्रतिशत तक कम है. मेडिकल सुविधा के लिए भारत साउथ ईस्ट एशिया में सबसे सस्ता माना जाता है. अमेरिका की तुलना में भारत में मोर्टेलिटी रेट भी कम है.
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में इंफर्टिलिटी के इलाज की कीमत यूरोप या दूसरे देशों की तुलना में एक चौथाई है. IVF और ART थेरेपी के कारण ज्यादातर लोग भारत में इलाज करवाना पसंद करते हैं. इसके अलावा, भारत विदेश से आने वाले मरीजों को ई मेडिकल वीजा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाता है.
कितना सस्ता है इलाज
भारत में IVF फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का इलाज 1.50 से 3.50 लाख रुपए किया जा सकता है. वहीं, फर्टिलिटी वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक- अमेरिकी में यह इलाज 18000 डॉलर से शुरू होकर 25000 डॉलर तक जा सकता है यानी भारतीय करेंसी में 15 से 21 लाख रुपए आईवीएफ ट्रीटमेंट का खर्च आ सकता है. वहीं, भारत में लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च 20 लाख तक आ सकता है. लंदन में लिवर ट्रांसप्लांट 48 हजार यूरो यानी 43 साल का खर्च आ सकता है.
भारत में कितने लाख डॉक्टर्स हैं मौजूद?
जुलाई 2024 की नेशनल मेडिकल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में13,86,136 एलोपैथिक डॉक्टर्स हैं. ये सारे डॉक्टर्स स्टेट मेडिकल काउंसिल और नेशनल मेडिकल कमीशन से रजिस्टर्ड हैं. वहीं, 33 लाख से भी ज्यादा नर्स स्टाफ रजिस्टर्ड है.
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
सरकारी पॉलिसी थिंक टैंक नीति आयोग के मुताबिक, भारत में विदेशी पर्यटकों से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा मेडिकल टूरिज्म से ही आता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में इलाज के लिए भारत आने वाले विदेशी लोगों की संख्या में लगभग 350 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला है.
भारत के ये शहर हैं फेमस
मेडिकल टूरिज्म के लिहाज से देखा जाए तो भारत में बेंगलुरु, चंडीगढ़, दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई, जयपुर, कोलकाता और तमिलनाडु जैसी जगहों पर लोग इलाज करवाने आते हैं.
मेडिकल टूरिज्म में आगे बढ़ रहे हैं देश
- भारत
- जापान
- स्पेन
- दुबई
- इजराइल
- अबू धाबी
- सिंगापुर
अमेरिकी लोग भी जाते हैं दूसरे देश
अपनी रिपोर्ट में CDC ने बताया है कि हर साल करीब लाखोंअमेरिकी नागरिक इलाज के लिए दूसरे देश जाते हैं. ज्यादातर अमेरिकी मेक्सिको, कनाडा, सेंट्रल और साउथ अमेरिकी देशों में जाना पसंद करते हैं.
क्या है भारत सरकार की प्लानिंग
भारत में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकान ने कुछ अहम बिंदु निर्धारित किए हैं. इनमें-
- भारत को एक वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में एक ब्रांड के तौर पर विकसित करना
- MVT यानी ऑनलाइन मेडिकल वैल्यू ट्रैवल पोर्टल को बनाना
- वेलनेस टूरिज्म को बढ़ाना देना
मेडिकल टूरिज्म में भारत किस रैंक पर
भारत के पर्यटन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020-21 में 46 देशों के भारत मेडिकल टूरिज्म में 10वें रैंक पर था. मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हेल्थ एक्सपर्ट्स यूरोप, अमेरिका और दूसरे विकसित देशों से पढ़ाई करके आएं. भारत के अस्पतालों में ज्यादातर नर्सिंग स्टाफ भी इंग्लिश में बात करता है, जिसे विदेशी मरीज समझ पाते हैं.
किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
हालांकि, मेडिकल ट्रैवल करने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना भी जरूरी है. अगर आप किसी दूसरे देश में इलाज के लिए जा रहे हैं तो कम से कम 4 से 6 हफ्ते पहले अपने डॉक्टर से बात करें. अपने हेल्थ एक्सपर्ट से इस बारे में पूछें कि यात्रा के दौरान कौन-कौन से हेल्थ रिस्क हो सकते हैं और उनसे कैसे बचा जाए. इसके साथ ही, मरीज के हेल्थ स्टेटस की रिपोर्ट भी अपने साथ रखें. इसके अलावा, अपने साथ इंटरनेशनल ट्रैवल इंश्योरेंस के डॉक्युमेंट्स भी रखें.