प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (सीसीएस) के पहले भवन का उद्घाटन करेंगे जिसे कर्तव्य भवन नाम दिया गया है. इसके बाद प्रधानमंत्री कर्तव्य पथ पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. कर्तव्य भवन-03, सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है. नए सचिवालय का मकसद प्रशासन को सुव्यवस्थित करना है.
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एचयूए) ने सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत सीसीएस की 10 इमारतों के निर्माण की योजना बनाई है. इस परियोजना के जून 2027 तक पूरी होने की उम्मीद है. मंत्रालय के मुताबिक दो निर्माणाधीन इमारतें, 1 और 2, अगले महीने तक पूरी हो जाएंगी, जबकि सीसीएस-10 इमारत अगले साल अप्रैल तक पूरी हो जाएगी. उसने बताया कि सीएस भवन 6 और 7 का निर्माण अक्टूबर 2026 तक किया जाएगा.
आधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस
बता दें कि शास्त्री भवन, कृषि भवन, निर्माण भवन और उद्योग भवन से संचालित कार्यालय दो साल के लिए अस्थायी रूप से कस्तूरबा गांधी मार्ग, मिंटो रोड और नेताजी पैलेस स्थित नए स्थानों पर स्थानांतरित किये जाएंगे. केंद्र सरकार हर साल अपने कार्यालयों के लिए 1,500 करोड़ रुपए किराए के रूप में देती है. सीसीएस के निर्माण से मंत्रालय और विभाग एक ही छत के नीचे आ जाएंगे और उन्हें आधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस किया जाएगा.
1950-70 के दशक में बनाई गई थीं इमारतें
बताया जा रहा है कि चार भवनों को ध्वस्त करने के लिए दो महीने के भीतर निविदा जारी कर दी जाएगी और शेष भवनों का निर्माण दिसंबर तक शुरू हो जाएगा. पूरा सेंट्रल विस्टा इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन से एक नई मेट्रो लाइन से जुड़ेगा. यह लाइन सीसीएस भवनों, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक से होकर गुजरेगी. शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसी इमारतें 1950-70 के दशक में बनाई गई थीं और अब वे संरचनात्मक रूप से पुरानी और जर्जर हो चुकी हैं.
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना में निर्माण
- सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत, सरकार ने पहले ही एक नया संसद भवन और उपराष्ट्रपति एन्क्लेव का निर्माण किया है, और विजय चौक और इंडिया गेट के बीच फैले कर्तव्य पथ का पुनर्विकास किया गया है. सामान्य केंद्रीय सचिवालय में 10 भवन और एक कार्यकारी एन्क्लेव शामिल होगा, जिसमें नया प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कैबिनेट सचिवालय, इंडिया हाउस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय होगा. कार्यकारी एन्क्लेव के दूसरे चरण के अंतर्गत, एक नए प्रधानमंत्री आवास का निर्माण किया जाएगा.
- इससे केंद्रीकृत परिसरों से लालफीताशाही कम होगी, फाइलों को निपटाने में लगने वाला समय कम होगा और नीतियों का क्रियान्वयन तेज़ होगा. अधिकारियों और आगंतुकों की सुरक्षित आवाजाही के लिए नई इमारतों में पहचान पत्र-आधारित प्रवेश नियंत्रण प्रणाली लगाई जाएगी.
- बता दें कि कर्तव्य भवन-03 का निर्माण क्षेत्रफल 1.5 लाख वर्ग मीटर है और भूमिगत तल का क्षेत्रफल 40,000 वर्ग मीटर है. इसकी पार्किंग में 600 कारें खड़ी हो सकती हैं.
- कर्तव्य भवन-03 में एक बालगृह, एक योग कक्ष, एक चिकित्सा कक्ष, एक कैफे, एक रसोईघर और एक बहुउद्देशीय हॉल है. इस इमारत में 24 मुख्य सम्मेलन कक्ष हैं, जिनमें से प्रत्येक में 45 लोगों के बैठने की क्षमता है, 26 छोटे सम्मेलन कक्ष हैं, जिनमें से प्रत्येक में 25 लोगों के बैठने की क्षमता है, 67 बैठक कक्ष और 27 लिफ्ट हैं.
क्या है सेंट्रल विस्टा?
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना ईंटों और इमारतों से कहीं बढ़कर, भारत की आत्मा का प्रतीक है. यह प्रशासनिक ढांचों को एकीकृत करने और आपस में जुड़े, आधुनिक और उद्देश्यपूर्ण कार्यालयों के माध्यम से प्रशासनिक उत्पादकता में सुधार लाने की एक परियोजना है.
भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1956 और 1968 के बीच उद्योग भवन, निर्माण भवन, शास्त्री भवन, रेल भवन और कृषि भवन सहित केंद्रीय सचिवालय भवनों की एक श्रृंखला का निर्माण किया गया था. इन संरचनाओं का विकास केंद्र सरकार के मंत्रालयों के विस्तारित कार्यों को समायोजित करने के लिए कार्यालय स्थान की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया गया था.
कर्तव्य पथ और इंडिया गेट तक फैला
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू कर्तव्य पथ और इंडिया गेट के आसपास के हरे-भरे लॉन तक फैला हुआ है. लुटियंस और बेकर ने उस वक्त गवर्नमेंट हाउस (जो अब राष्ट्रपति भवन है), इंडिया गेट, काउंसिल हाउस (जो अब संसद है), नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और किंग जॉर्ज स्टैच्यू (जिसे बाद में वॉर मेमोरियल बनाया गया) का निर्माण किया था. आजादी के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू की सड़क का भी नाम बदल दिया गया और किंग्सवे राजपथ बन गया. इसका नाम भी अब कर्तव्य पथ हो गया है.
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में कई बदलाव
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में समय के साथ कई बदलाव हुए हैं. हालांकि, इसने अपनी मूल पहचान बरकरार रखी है. कर्त्तव्य पथ के किनारे पक्के रास्तों से लेकर लॉन और पुनर्विकसित नहरों तक, यह काम एक साल से भी कम समय में पूरा हो गया. 85.3 हेक्टेयर क्षेत्र का पुनर्विकास सार्वजनिक पहुंच और नागरिक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए किया गया है. हरित क्षेत्र में 4,087 पेड़ लगे हैं, जो पहले 3,890 थे. 16.5 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग अब नवनिर्मित नहरों और लॉन के किनारे पैदल चलने वालों के लिए सुगम आवागमन का साधन हैं.