फिलिस्तीन में हमास, ईरान और लेबनान में हिज्बुल्लाह के साथ जारी तनाव के बीच इजराइल को अमेरिका ने 1800 बमों की नई खेप दी है. अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हरी झंडी मिलने के बाद इन एमके-84 बमों का जखीरा इजराइल पहुंच चुका है. इजराइल के रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. आइए जान लेते हैं कि एमके-84 बम कितना बड़ा धमाका करते हैं और अमेरिका से इजराइल कौन-कौन से हथियार खरीदता है?
टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी बमों की इस खेप से गाजा में युद्ध के बीच इजराइली सेना की जरूरतें पूरी करने में मदद करेगी. इजराइली रक्षा मंत्री काट्ज ने भी अमेरिका से मिले इन बमों को अपनी सेना के लिए बेहद अहम बताया है.
इजराइल के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि 2,000 पाउंड यानी करीब 907 किलोग्राम वजन के 1800 एमके-84 बमों से लदा जहाज अशदोद बंदरगाह पर पहुंचा. वहां से इन बमों को कई ट्रकों में लादा गया और इजराइल के एयरबेस पर ले जाया गया.
एमके-84 से इजराइल लगाता है सटीक निशाना
एमके-84 को मार्क-84 और बीएलयू-117 जैसे नामों से भी जाना जाता है. ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट बम काफी वजनी होते हैं. 907 किलोग्राम के इस भारी भरकम बम का इस्तेमाल अमेरिका वियतनाम युद्ध के समय से ही करता आ रहा है. इजराइल इस अमेरिकी बम में ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशन (जेडीएएम) किट लगाकर हमला करता है. यह एक ऐसी किट है जो अनगाइडेड फ्री फाल बम को स्मार्ट बम में बदल देता है. इससे विपरीत मौसम में भी इसे सटीक टारगेट पर फोड़ा जा सकता है.
दुनिया का सबसे खतरनाक गैर परमाणु बम
इस अमेरिकी बम में एक एयर ब्लास्ट मोड भी होता है. इस खासियत के साथ एमके-84 बम को दुनिया का सबसे खतरनाक गैर परमाणु हथियार बन जाता है, क्योंकि एयर ब्लास्ट मोड में इसे हवा में भी आसानी से फोड़ा जा सकता है. लक्ष्य से ऊपर हवा में इस बम को फोड़ने से अधिक नुकसान होता है. इस हिसाब से यह बम होता तो परमाणु बम वाले फॉर्मूले का है पर इसमें विस्फोटक पारंपरिक ही डाले जाते हैं.
एमके-84 बम फोड़े जाने पर 15 मीटर व्यास में 11 मीटर गहराई तक नुकसान पहुंचाता है. यह कंक्रीट में 3.4 मीटर तक और धातु को 38 सेंटीमीटर तक भेद सकता है. इसकी लंबाई 12.7 फुट और व्यास 18 इंच होता है. इस बम के कई वैरिएंट्स पाए जाते हैं, जिनका नाम वजन और क्षमता के अनुसार बदल जाता है.
हिज्बुल्लाह मुखिया पर किया था हमला
इजराइल ने हमास से युद्ध में एमके-84 बम का इस्तेमाल पहली बार नौ अक्तूबर 2023 को गाजा के जबालिया में किया था. एमके-84 का ही इस्तेमाल 13 जुलाई 2024 को राफाह के अल मवासी में किया गया था, जिसमें हमास कमांडर राफा सलमा और सौ से अधिक नागरिकों की मौत हुई थी. इजराइल ने इसी बम का इस्तेमाल 27 सितंबर 2024 को हिजबुल्लाह के खिलाफ किया था, जिसमें हिज्बुल्लाह के मुखिया हसन नसरल्लाह की मौत हुई थी.
इजराइल हथियारों के लिए अमेरिका पर निर्भर
इजराइल अपनी सेना की हथियारों की जरूरतें पूरी करने के लिए अमेरिका पर निर्भर है. दोनों देशों के बीच अच्छी दोस्ती है. यह अमेरिका को तकनीक देता है और अमेरिका उसकी हथियारों की सभी जरूरतें पूरी करता है. गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से ही अक्तूबर 2023 से 678 परिवहन विमानों और 129 पानी के जहाजों का इस्तेमाल इजराइल को सैन्य हथियार भेजने में कर चुका है. इनसे अमेरिका ने इजराइल को लगभग 76,000 टन सैन्य उपकरण भेजे थे. इसके अलावा इजराइल को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता भी अमेरिका ने दी है.
इतने सारे हथियार केवल एक साल में दिए
अमेरिका ने पिछले एक साल में इजराइल के साथ हथियारों के लिए 100 से ज्यादा हथियारों की डील की हैं. अमेरिका में बने जिन हथियारों का इस्तेमाल इजराइल करता है, उनमें एफ-35, एफ-16, एफ-15 जैसे फाइटर जेट भी शामिल हैं. इनमें एमके-84, एमके-83, एमके-82 और जेडीएएस बम और हेलफायर मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है. केवल पिछले एक साल में अमेरिका से इजराइल को 14100 एमके-84 बम मिल चुके हैं. हालांकि, जो बाइडेन प्रशासन ने मई-2024 में 2,000 पाउंड के 1800 बम और 500 पाउंड के 1700 बम इजराइल को देने पर रोक लगा दी थी. बाद में जुलाई में 500 पाउंड के बम तो इजराइल को दे दिए थे पर 2,000 पाउंड के बम नहीं मुहैया कराए थे. अब ट्रंप प्रशासन ने इन बमों की सप्लाई भी कर दी है.