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इच्छामृत्यु पर भारत में क्या है कानून… पेरू मामले के बाद शुरू हुई चर्चा

दक्षिण अमेरिका के पेरू में इच्छा मृत्यु का पहला मामला सामने आया है। 47 साल की एना एस्टर्डा ऐसा करने वाली पेरू की पहली इंसान हैं। वह पिछले 3 दशकों से मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी पॉलिमायोसाइटिस से जूझ रही थीं। यह एक ऐसी ऑटो-इम्यून डिजीज है, जो सीधे तौर पर मांसपेशियों को कमजोर करती है। उसमें सूजन पैदा करती है। नतीजा, मरीज का चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।

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फरवरी 2021 में, यहां की एक अदालत ने स्वास्थ्य अधिकारियों को मेडिकल प्रोसीजर की मदद से एना को इच्छामृत्यु देने का आदेश दिया. जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उस फैसले को बरकरार रखा. आइए जानते हैं कि कितनी तरह की होती है इच्छामृत्यु, कैसे दी जाती है और इसको लेकर भारत और पेरू में क्या कानून है?

क्या है इच्छामृत्यु, कैसे दी जाती है?
इच्छामृत्यु का सीधा या मतलब है, इंसान की मर्जी से उसे मौत देना। यह दो तरह की होती है। पहली सक्रिय इच्छामृत्यु यानी एक्टिव यूथेनेसिया। इसमें किसी शख्स को डॉक्टर जहरीली दवा या इंजेक्शन देते हैं तो ताकि वो दम तोड़ दे। वहीं, इसके दूसरे प्रकार यानी पैसिव यूथेनेसिया में डॉक्टर मरीज का इलाज ही रोक देते हैं. उसे वेंटिलेटर से हटा दिया जाता है। दवाएं बंद कर दी जाती हैं। भारत में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में पैसिव यूथेनेशिया को मंजूरी दी थी।

इच्छा मृत्यु ऐसे मामलों में दी जाती है, जब मरीज किसी ऐसी बीमारी से जूझ रहा होता है जिसका इलाज न हो। जिंदा रहने के लिए कष्ट उठाना पड़ रहा हो ऐसे में मरीज या उसके परिजन इच्छा मृत्यु के लिए अपील कर सकते हैं। इसके लिए बकायदा लिखित आवेदन करना पड़ता है।

पेरू में क्या है इच्छा मृत्यु को लेकर कानून?
पेरू में इच्छामृत्यु प्रतिबंधित थी, लेकिन एना की याचिका पर कोर्ट ने इसकी अनुमति दी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, एना बीमारी से पीड़ित थीं। वो वेंटिलेटर पर थीं। उनकी देखरेख करने के लिए 24 घंटे नर्स की जरूरत थी। यही वजह थी एना मरने के लिए आजादी चाहती थीं। कोर्ट में चली लम्बी जंग के बाद अदालत ने माना था इच्छामृत्यु की अनुमति दी जा सकती है।

ऐसा इसलिए था क्योंकि पेरू में इच्छामृत्यु प्रतिबंधित थी और इसको लेकर वहां कोई कानून नहीं था। अदालत ने एना की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए उन्हें इच्छा मृत्यु की इजाजत दी थी।

इच्छा मृत्यु पर क्या कहता है भारत का कानून?
भारत में इसके लिए कोई तय कानून नहीं है। साल 2018 में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु की अनुमति दी थी। इसके साथ गाइडलाइन भी जाारी की थी। कोर्ट ने कहा था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत इंसान को जीने के साथ मरने का अधिकार भी है। कोर्ट का यह भी कहना था कि सरकार को इस पर कानून बनाने की जरूरत है ताकि गंभीर बीमारी से परेशान मरीज शांति से मर सकें। अगर किसी शख्स के जीवन में पीड़ा ही पीड़ा हो और वो हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर हो तो यह उसके गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन होता है।

2011 में अरुणा शानबाग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का मामला सामने आया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु वाली अरुणा की याचिका स्वीकार करने के बाद मेडिकल पैनल का गठन करने का आदेश दिया था, लेकिन बाद में कोर्ट ने अपना ही फैसला पलट दिया था।

आत्महत्या की कोशिश तो
भारत में आत्महत्या की कोशिश करने पर कानून है. आईपीसी की धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश करने वालों के लिए दंड का प्रावधान है। इसके लिए एक साल की सजा हो सकती है। या जुर्माना लगाया जा सकता है। या फिर दोनों लागू किए जा सकते हैं। वहीं, इच्छामृत्यु को आत्महत्या का प्रयास माना गया है।

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