भारत में अतिथि देवो भवः यानी अतिथि को भगवान का रूप माना जाता है और यहां पर शुरुआत से ही अतिथियों का स्वागत करने की परंपरा रही है. गुजरते वक्त के साथ लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे और फिर यह दायरा बढ़ते हुए विदेश यात्रा में बदल गया. किसी भी देश या किसी भी राज्य में अतिथियों यानी सैलानियों का आना वहां की आय का बड़ा स्रोत माना जाता है. सरकारें सैलानियों को लुभाने के लिए ढेरों योजनाएं भी चलाती हैं, लेकिन इसके उलट मेजबान लोगों को अतिथियों का आना रास नहीं आ रहा है. आखिर क्यों?
दुनिया के कई ऐसे शहर हैं जहां के स्थानीय लोग तेजी से बढ़ते विदेशी सैलानियों से परेशान हो गए हैं. सैलानियों को लेकर विरोध का नया सुर उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में पड़ने वाले मैक्सिको में उठा है. राजधानी मैक्सिको सिटी के लोग सैलानियों की बढ़ती संख्या से बेहद परेशान है. शनिवार को सैकड़ों की संख्या में लोग जेंट्रीफिकेशन (जेंट्रीफिकेशन उस प्रोसेस को कहा जाता है जिसके तहत किसी क्षेत्र का चरित्र अमीर निवासियों (जेंट्री) और निवेश के जरिए बदल दिया जाता है. एक तरह से किसी मकान या क्षेत्र का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया जाता है.) और मास टूरिज्म के खिलाफ शुरू में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, लेकिन कुछ ही देर में यह प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब कुछ लोगों ने दुकानों के सामने तोड़फोड़ और विदेशी सैलानियों को परेशान करना शुरू कर दिया.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
प्रदर्शनकारी पर्यटकों पर चिखे और चिल्लाए
मैक्सिको सिटी अपने सांस्कृतिक केंद्रों और म्यूजियम की वजह से दुनियाभर में जानी जाती है. यहां पर 1320 म्यूजियम हैं. यहां पर नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने कोंडेसा और रोमा के पर्यटन क्षेत्रों में खिड़कियों को तोड़ डाले और लूटपाट भी की, आगजनी भी की. यही नहीं वे यहां पर्यटकों पर चिखे और चिल्लाए भी.
कांच के टूटे हुए शीशे पर लिखा हुआ था- “मैक्सिको से बाहर निकल जाओ.” प्रदर्शनकारियों ने “ग्रिंगो, हमारे घर को चुराना बंद करो” जैसे पोस्टर भी थाम रखे थे. मैक्सिको में, ग्रिंगो का मतलब संयुक्त राज्य अमेरिका से किसी चीज या किसी व्यक्ति से होता है. ये प्रदर्शनकारी पर्यटन के स्तर को बेहतर ढंग से रेगुलेट करने और सख्त आवासीय कानूनों के लिए स्थानीय कानून की मांग कर रहे थे.
मैक्सिको में बड़ी संख्या में दुनिया भर के सैलानियों के साथ-साथ पड़ोसी देश अमेरिका से भी लोग घूमने आते हैं. ऐसे में यहां के लोग अमेरिकी लोगों के खिलाफ ज्यादा मुखर हैं और उनसे यहां से जाने की मांग कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग लैटिन अमेरिकी शहर में सस्ते किराए का फायदा उठाने के लिए आते हैं.
यूरोप के कई शहरों में भारी प्रदर्शन
सिर्फ मैक्सिको सिटी ही नहीं बल्कि यूरोप के कई शहरों में भी पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय लोग परेशान हैं. बार्सिलोना, मैड्रिड, पेरिस और रोम जैसे शहरों में ऐसे विरोध प्रदर्शन आम होते जा रहे हैं.
किसी भी देश या राज्य की सरकारें पर्यटन से होने वाली आय से खुश रहती हैं और इसे बढ़ाने की जुगत में भी होती हैं, लेकिन इन लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर रहने वाले लोगों के लिए कई बार यह बहुत ही तकलीफदेय स्थिति हो जाती है. कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. यूरोप में इस साल गर्मियों में इतनी संख्या में पर्यटक पहुंच गए कि लोग ही इसके खिलाफ हो गए. स्पेन, फ्रांस, इटली समेत कई देशों में पर्यटकों के खिलाफ लोगों का गुस्सा दिखा.
भीड़ को लेकर लोग इस कदर खफा था कि अरबपति बिजनेसमैन जेफ बेजोस की शादी के रिसेप्शन को वेनिस से बाहर ले जाना पड़ा, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने बेजोस से वेनिस को बचाओ (Save Venice from Bezos) के पोस्टर लेकर प्रदर्शन किए कि अमेजन के मालिक की लॉरेन सांचेज के साथ बड़े स्तर पर हो रही शादी की वजह से शहर के लोगों को खासी दिक्कत हो रही है.
सैलानियों के ऊपर पानी की बौछार
पिछले दिनों बढ़ते पर्यटकों की वजह से कई बार स्पेन के सबसे मशहूर शहर बार्सिलोना की सड़कों पर जाम लग गया और इससे स्थानीय लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. नाराज लोगों की ओर से सैलानियों पर पानी की बौछारें तक की गईं.
करीब 16 लाख की आबादी वाले बार्सिलोना में पिछले साल 3.2 करोड़ सैलानी पहुंच गए, ऐसे में वहां की जीवनशैली पर खासा असर पड़ा. स्थानीय लोंगों की कहीं भी आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. जरूरी चीजों के दाम बढ़ गए और घर के किराए भी काफी बढ़ गए. पिछले साल भी नाराज लोगों ने सैलानियों को भगाने के लिए पानी की बौछार की थीं.
स्पेन के ही द्वीपीय शहर मैलोर्का में पर्यटकों को अपने शहर से दूर करने के लिए हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया. इटली के शहर जेनोआ के लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. पिछले महीने फ्रांस की राजधानी पेरिस में, म्यूजियम की गैलरी में इस कदर भीड़ एकत्र हो गई कि लौवर स्टाफ को सैलानियों की भीड़ को बाहर निकालना पड़ा था.
प्राग और एथेंस में भी लोगों को दिक्कत
यूरोपीय देश चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में भी यही स्थिति दिखी. करीब 13 लाख की आबादी वाले इस शहर में पिछले साल एक तरह से सैलानियों की बाढ़ आ गई थी. प्राग में पिछले साल 80 लाख से अधिक पर्यटक आ गए थे. 2023 की तुलना में सैलानियों की संख्या में 9 फीसदी का इजाफा दिखा. लेकिन पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय नगर परिषद को देर रात पब खोलने पर बैन लगाना पड़ा था.
2 साल पहले साल 2023 में, यूरोप के ग्रीस में एक ही समय में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच गए. ग्रीक के द्वीपीय शहर जैकिंथोस (Zakynthos) में इस कदर भीड़ एकत्र हो गई कि स्थायी निवासियों की तुलना में 150 गुना अधिक पहुंच गए. ग्रीस की ऐतिहासिक राजधानी एथेंस भी पर्यटकों की बाढ़ से जूझता रहा है. पिछले साल यहां पर 80 लाख से अधिक पर्यटक पहुंच गए थे. जबकि यहां की आबादी महज 6 लाख से थोड़ी अधिक है. लोगों की दिक्कतों और नाराजगी को देखते हुए पर्यटकों को शहर के कई जगहों पर जाने से रोक लगा दी गई.
कोरोना के बाद फिर से बढ़ने लगे पर्यटक
स्कॉटलैंड का एडिनबर्ग शहर भी विदेशी मेहमानों से जूझता रहा है. भीड़ को कम करने के लिए स्थानीय प्रशासन को होटल के दामों में बढ़ोतरी तक करनी पड़ गई. यूरोपीय देश हमेशा से विदेशी सैलानियों के लिए सबसे पसंदीदा जगह रहा है. पिछले साल यूरोप में 75 करोड़ से अधिक (756 मिलियन) पर्यटक पहुंच गए और यह पिछले साल (2023) की तुलना में 4.6 करोड़ यानी 46 मिलियन अधिक रहा.
कोरोना महामारी के बाद पर्यटकों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है और अब यह संख्या महामारी से पहले के स्तर पर लौट रही है. दुनिया में सबसे ज्यादा पर्यटक यूरोप घूमने जाते हैं, 2019 में जहां यूरोप में 20 करोड़ लोग घूमने गए तो 2024 में यह संख्या करीब 80 करोड़ तक पहुंच गई. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 2024 में 30 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे थे.
आखिर क्यों पर्यटकों पर भड़क रहे लोग
पर्यटकों की संख्या बढ़ने से देश का खजाना भरता है और आर्थिक समृद्धि तो आती ही है, साथ में हर क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ता है. लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इससे क्षेत्र में काफी भीड़भाड़ और प्रदूषण के साथ-साथ बुनियादी सेवाओं पर खासा दबाव पड़ता है लोगों को रहने के लिए घरों की कमी भी पड़ती है. लंबे समय के लिए घर किराए पर नहीं मिलते हैं. जिनके घर होते हैं वो अपने घरों को कम समय के लिए किराए पर देना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें उन्हें खासा मुनाफा होता है. नौकरीपेशा वालों को ज्यादा किराए पर महंगे घर लेने को मजबूर होना पड़ता है.
इसके अलावा सैलानी रातभर सड़कों पर रहते हैं और वो पार्टी करते हैं, जबकि स्थानीय लोगों को इस वजह से सुकून की जिंदगी नहीं मिल पाती है और उन्हें दिक्कत होती है. पर्यटकों को देखते हुए इन जगहों पर जरूरी चीजों के सामान भी नहीं मिलते क्योंकि लोग जरूरी चीजों के दुकानों की जगह गिफ्ट की दुकानें या फिर आइसक्रीम पार्लर जैसी दुकानें खोल लेते हैं. पर्यटक इन्हें खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं. जहां-जहां दुकानें होती हैं वहां पर भी सामान पर्यटकों की वजह से महंगे मिलते हैं. यही नहीं हर चीज के दाम बढ़ने की वजह से स्थानीय लोग सस्ते में अपनी ही जगह का लुत्फ नहीं ले पाते हैं.
इसके अलावा पर्यावरण पर भी असर पड़ता है. पर्यटकों की वजह से कूड़ा और कचरा काफी निकलता है, जिसका निष्तारण कराना चुनौतीपूर्ण बन जाता है. पेट्रोल, गैस और पानी की मांग भी बढ़ जाती है. पर्यटकों की भारी संख्या की वजह से ही ग्रीस में साइक्लेड्स आइलैंड चैन को पिछले साल खतरे में पड़ी विरासत सूची (Heritage-in-Danger list) में शामिल कर लिया गया. मैक्सिको में लोग पर्यटकों के खिलाफ इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि घरों के किराए बहुत बढ़ गए हैं. पिछले साल यहां पर करीब 5 करोड़ विदेशी पर्यटक आए. पर्यटकों के आने से घरों के किराए में 20 से 30 फीसदी की वृद्धि हो गई जिससे स्थानीय लोगों को मकान खाली करने पड़े.