बसंत के खत्म होने के पहले ही उत्तर भारत में गर्मी का अहसास होने लगा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में फरवरी का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है. मार्च में पूर्ण रूप से गर्मी आने की संभावना है. मौसम में हो रहे उलटफेर का सीधा असर रबी फसलों के उत्पादन पर पड़ेगा.
मौसम के उलटफेर का सबसे ज्यादा असर गेहूं के उत्पादन पर होना तय माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि गेहूं का उत्पादन अगर पिछले साल की तुलना में इस साल कम होती है, तो इससे आटा की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है.
मार्च का तापमान 30 डिग्री तक संभव
कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने अभी एक रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक साल 2025 का जनवरी महीना सबसे ज्यादा गर्म था. जनवरी 2025 में औसत तापमान 13.23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. फरवरी उससे भी ज्यादा गर्म है. वो भी तब, जब ला-नीना का शीतल प्रभाव देखने को मिला था. जानकारों का कहना है कि मार्च में पूरे देश का तापमान 18-30 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है. 2024 में मार्च महीने का औसत तापमान 14.4 डिग्री सेल्सियस था.
गेहूं के पैदावार में कमी आ सकती है
भारत गेहूं उत्पादन के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है. भारत का उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में गेहूं का बंपर उत्पादन होता है. हालांकि, मौसम में असमय बदलाव की वजह से गेहूं के उत्पादन में लगातार कमी दर्ज की जा रही है.
2021 में गेहूं का उत्पादन 129 मिलियन टन था, जो 2022 में घटकर 106 मिलियन टन पर पहुंच गया. 2023 में गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी गई. इस साल 113 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ था. 2025 में सरकार ने 115 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
हालांकि, गर्मी बढ़ने से यह लक्ष्य पूरा हो सके, इसकी संभावना कम दिख रही है. गर्मी की वजह से गेहूं के दाने के साइज में भी फर्क आ सकता है. एक्सपर्ट लगातार इसको लेकर चेतावनी जारी कर रहे हैं.
आटे की कीमत में बढ़ोतरी हो सकता है?
2023 और 2024 में आटे की कीमत ने खूब सुर्खियां बटोरी. 2023 में तो आटे की कीमत में 40 फीसद की बढ़ोतरी हो गई थी. 2024 में भी आटा प्रति किलो 40 रुपए के पार पहुंच गया था. गेहूं का उत्पादन अगर इस साल भी कम होता है तो इसका सीधा असर आटे की कीमत पर पड़ेगा.
नीति आयोग ने 2021-22 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि भारत में 2027-28 तक गेहूं की खपत 97 मिलियन टन से बढ़कर 107 मिलियन टन हो जाएगा. यानी गेहूं का उत्पादन और खपत लगभग बराबर हो जाएगा.
दूसरी तरफ सरकार गेहूं खरीद में भी काफी पीछे है. 2020-21 में सरकार ने 43.1 मिलियन टन गेहूं की खरीद की थी. 2023-24 में यह कम होकर 26.6 मिलियन टन हो गया. सरकार ने इस साल 30 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है.
कहा जा रहा है कि मौसम की मार के बाद अगर सरकार गेहूं की खरीद में सावधानी नहीं बरतती है तो आटे की कीमत में इस बार भी बढ़ोतरी हो सकती है.