श्योपुर : बीजेपी के पूर्व विधायक को लोगों की भीड़ ने जमकर खरीखोटी सुना दी जब बह अस्पताल में घायल मरीजों का हाल देखने के लिए पहुंचे थे.तभी ग्रामीणों और लोगों ने उनकी जमकर खेर खबर ले ली.जब ग्रामीण और लोग आग बबूला हुए तो श्योपुर जिले के विजयपुर के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी भागते नजर आए.
जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.घटना बीते दिनों कराहल थाना क्षेत्र के सेमरा गांव में आकाशीय बिजली गिरने और घायलों को अस्पताल भेजने से लेकर अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखबाल से जुड़ा हुआ है.
पूर्व विधायक पर आग बबूला हुए ग्रामीण
दरअसल कराहल थाना क्षेत्र के सेमरा गांव में बीते दिनों आकाशीय बिजली गिरने से 25 लोग घायल हो गए. जिनमें एक महिला गीता बाई पत्नी देवराज आदिवासी की मौत समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने के कारण मौत हो गई. यह बात खुद ग्रामीणों के द्वारा आरोप लगाए गए. और पुरुष महिलाएं और बच्चे भी इस हादसे में घायल हो गए थे.
जिनको ग्रामीण खुद बाइक और अन्य साधनों की मदद से लेकर आए पंरतु सूचना देने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो ग्रामीणों ने काफी आक्रोश देखने को मिला. और जैसे तैसे ग्रामीण घायलों को कराहल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकर पहुंचे तो बहा पर घायलों को उपचार नहीं मिला तो ग्रामीण आग बबूला होते नजर आए.
घटना की सूचना बीजेपी के पूर्व विधायक एवं सहरिया विकास प्राधिकरण के प्रदेश उपाध्यक्ष दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री को लगी तो बह देर रात घायलों का हाल जानने के लिए पहुंचे तभी ग्रामीणों और लोगों गुस्सा फुट पड़ा और उन्होंने जमकर सीताराम आदिवासी की खेर खबर ले डाली और उन्होंने सरकार की अनदेखी और प्रशासन की लापरवाही के लिए उनको जमकर कोसा. मध्य प्रदेश में कई ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जहां पर व्यवस्थाएं गड़बड़ हैं. मरीज परेशान हैं, हताश हैं और लाचार हैं.
स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही के कारण मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कराहल का अस्पताल तो भगवान भरोसे ही चल रहा है. यहां की हकीकत ये है कि यहां स्टाफ ड्यूटी पर नहीं होते हैं. समय पर कभी आते नहीं. इसके कारण जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अस्पताल में आने वाले मरीजों को करना पड़ता है परेशानी का सामना
कराहल के इस अस्पताल में आने वाले मरीजों का कहना है कि यहां डॉक्टर या स्टाफ नहीं होने के कारण इलाज नहीं हो पा रहा है. कुपोषण हो, कोई बीमारी हो या फिर इमरजेंसी, हमेशा खाली हाथ जाना पड़ता है. कई बार डॉक्टर की आस में घंटों इंतज़ार करना पड़ता है.