वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन पर भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) को लेकर “निराधार बयान” देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों पर राहुल का बयान मेहनती कर्मचारियों और साफ-सुथरी एवं मजबूत बैंकिंग प्रणाली से लाभान्वित होने वाले नागरिकों का अपमान है.
वित्त मंत्री ने मोदी सरकार के दौरान भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में हुए सुधारों और उपलब्धियों को गिनाते हुए राहुल गांधी के आरोपों को “बेबुनियाद” और “तथ्यों से परे” बताया. उन्होंने कहा कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र, ख़ासकर पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) में पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं.
यूपीए के शासन में खास मित्रों के लिए ATM थे बैंक- वित्त मंत्री
वित्त मंत्री ने कहा, ‘क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि कांग्रेस के UPA शासन के दौर में कॉरपोरेट क्रेडिट के अत्यधिक केंद्रीकरण और अंधाधुंध ऋण वितरण ने ही PSBs की सेहत बिगाड़ दी थी? तब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सत्ता में बैठे लोगो के ’खास मित्रो’ के लिए ‘ATM’ की तरह इस्तेमाल किया जाता था. UPA शासन के दौरान ही बैंक कर्मचारियों को डराकर, ‘फ़ोन बैंकिंग’ के ज़रिए अपने चहेतों को मनमाने लोन देने पर मजबूर किया जाता था. क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि हमारी सरकार ने 2015 में ‘एसेट क्वालिटी रिव्यू’ शुरू करके UPA सरकार की इसी ‘फ़ोन बैंकिंग’ की काली करतूतों को उजागर किया? मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में ‘4R’ रणनीति से सुधारों को शुरू किया.’
आम जनता भी लाभांश की शेयरधारक है
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सिर्फ़ सरकार ही नहीं, आम जनता भी शेयरधारक है. उन्हें मिलने वाला लाभांश (Dividend) सिर्फ़ सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि इन निवेशकों के लिए भी आय का स्रोत है. क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि UPA शासन के दौरान PSBs ने 56,534 करोड़ रुपये का डिविडेंड चुकाया? नागरिक-केन्द्रित शासन और समावेशी विकास मोदी सरकार का मूल सिद्धांत है. क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि 54 करोड़ जन धन खाते और 52 लाख करोड़ से अधिक बग़ैर गारंटी (Collateral-free) ऋण विभिन्न प्रमुख वित्तीय समावेशन योजनाओं (PM MUDRA, स्टैंड-अप इंडिया, PM SVANidhi, PM Vishwakarma) के तहत मंज़ूर किए गए हैं?’
गिनाई सरकार की उपलब्धियां
राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि पिछले 10 वर्षों में 10 लाख रुपये तक के ऋणों में 238% की वृद्धि हुई है और कुल ऋणों में उनकी हिस्सेदारी 19% से बढ़कर 23% हुई है? इसी प्रकार, 50 लाख रुपये तक के ऋणों में 300% की वृद्धि हुई है, और उनकी हिस्सेदारी 28% से बढ़कर 42% हो गई है. ये सब छोटे उद्यमियों और आम जनता को मज़बूत करने के लिए किए गए कदम हैं.क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि भर्ती अभियान और रोजगार मेले के ज़रिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, व सरकारी बैंकों में लाखों रिक्तियों को भरा गया है? टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन से कार्यसंस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आया है.’
वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, मेहनतकश सरकारी बैंक कर्मचारियों और एक स्वच्छ, मज़बूत बैंकिंग व्यवस्था से लाभान्वित होने वाले नागरिकों का अपमान है.कांग्रेस को को चाहिए कि वह विपक्ष के नेता राहुल गांधी को शासन और सुधारों की वास्तविक जानकारी देने का काम गंभीरता से ले.
क्या कहा था राहुल गांधी ने ?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बैंकिग क्षेत्र के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को हर भारतीय को ऋण उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया था लेकिन केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ताकतवर कारोबारी समूहों के लिए ‘निजी फाइनेंसर’ के रूप में तब्दील कर दिया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महिला कर्मचारियों को समान अवसर या पदोन्नति नहीं दी जाती है.