भोपाल। ईमाम मुअज्जिन की नियुक्तियों से लेकर उनका वेतन देना, उसके जिम्मे है। बिजली बिल अदा करने से लेकर साफ सफाई और जीर्णोद्धार काम भी वही करती है। किसी आयोजन के लिए आने जाने वाले लोगों को सहमति/असहमति देने का अधिकार भी इनके पास ही सुरक्षित है। लेकिन एक मामले पर शहर से उठी आवाजों पर औकाफ ए शाही ने शहर की कदीमी मस्जिद जीनत उल मसाजिद को अपने अधिकार क्षेत्र में होने से साफ इंकार कर दिया है।
इनकार इस शिद्दत से किया गया कि ऐसा कहने वालों से नाराज होकर औकाफ ए शाही के जिम्मेदारों ने कानूनी नोटिस तक थमा दिए हैं। नोटिस में जिम्मेदारों ने स्पष्ट कहा कि उनका जीनत उल मसाजिद से कोई संबंध नहीं है। इस मस्जिद से संबंध जोड़ने वालों ने जिम्मेदारों के मान, सम्मान, शोहरत को नुकसान पहुंचाया है। शाही औकाफ जिम्मेदारों ने चेताया है कि उनका मस्जिद से ताल्लुक बताने वालों के खिलाफ वे कानूनी कार्यवाही करेंगे।
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इसलिए मची खलबली
जानकारी के मुताबिक राजधानी की नवाबकालीन मस्जिद जीनत उल मसाजिद में नियमों से बाहर जाकर निर्माण और सुधार कार्य किया जा रहा है। इस मस्जिद में नवाब बेगमात द्वारा की गई महिलाओं के नमाज पढ़ने की व्यवस्था को इस सुधार कार्य के दौरान खत्म किया जा रहा है। शहर में पहुंची इस खबर से नाराजगी भी बढ़ी और इसको लेकर शिकायत भी हुईं। जिसके बाद मप्र वक्फ बोर्ड ने औकाफ से जवाब तलब किया है।
जिम्मेदारों की व्यस्तता
औकाफ ए शाही की पिछली व्यवस्था को बदलकर कुछ माह पहले नई कमेटी को पदस्थ किया गया है। इस नई कमेटी में शहर के उद्योगपति, अर्धशासकीय अधिकारी आदि शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इन सभी की अपने कामों में इतनी व्यस्तता है कि यह औकाफ के कामों के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं। यही वजह है कि औकाफ ए शाही के जिम्मे सऊदी अरब स्थित रूबात के लिए जारी विवाद खत्म नहीं हो पा रहे हैं और भोपाल रियासत के हाजियों को सऊदी अरब में लाखों रुपए खर्च करने की मजबूरी बनी हुई है। शहर के बीच स्थित शाही कब्रिस्तान की किरायादारी से भी लोगों की भावनाएं आहत हुईं हैं लेकिन शाही औकाफ के जिम्मेदार इस प्रक्रिया को उचित करार दे रहे हैं। बरसों से मप्र वक्फ बोर्ड को हिसाब किताब न देकर भी शाही औकाफ अपनी मनमानी कर रहा है। जिसके लिए बोर्ड कई नोटिस जारी कर चुका है।