इटावा/चकरनगर: देश को आजादी मिले सात दशक से भी अधिक समय हो चुका है, लेकिन इटावा जिले की चकरनगर तहसील के काले पाथर गांव के ग्रामीण आज भी पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं.
विडंबना यह है कि सड़क तो दूर, गांव तक पहुंचने का एकमात्र कच्चा रास्ता भी दबंगों ने कथित तौर पर कब्जा कर लिया है, जिससे पूरा गांव एक तरह से ‘कैद’ में जी रहा है. मूलभूत सुविधाओं से वंचित इन ग्रामीणों के लिए अब अपनी ही जमीन पर आवाजाही एक बड़ी चुनौती बन गई है.
ग्रामीणों का दर्द है कि बिठौली मार्ग से काले पाथर को जाने वाले रास्ते पर दबंगों का कब्जा है, जिसके कारण गांव में किसी भी तरह की आवाजाही संभव नहीं हो पा रही है. यह केवल आने-जाने की समस्या नहीं है, बल्कि इसने ग्रामीणों के जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है.
आपात स्थिति में, जैसे कि स्वास्थ्य संबंधी जरूरत पड़ने पर, बीमार को अस्पताल ले जाना लगभग नामुमकिन हो जाता है. बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि स्कूल तक पहुंचना मुश्किल हो गया है. खेती-किसानी के लिए भी बाहर से कुछ लाना या उपज को मंडी तक ले जाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.
इस अमानवीय स्थिति से त्रस्त होकर, गांव की महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग अब अपने हक के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. उन्होंने सड़क को कब्जा मुक्त कराने और पक्की सड़क के निर्माण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उनकी आंखों में एक उम्मीद है कि उनकी आवाज प्रशासन तक पहुंचेगी और उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति मिलेगी.
यह प्रदर्शन सिर्फ एक सड़क की मांग नहीं है, बल्कि यह आजादी के बाद भी विकास की किरण से अछूते एक गांव की बुनियादी मानवाधिकारों की लड़ाई है. स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती है,