जहां दुख पैदा होता है वहां धर्म नहीं… RSS के शताब्दी वर्ष समारोह में बोले भागवत

आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जहां दुख पैदा होता है वहां धर्म नहीं. दूसरे धर्म की बुराई करना धर्म नहीं है. उन्होंने कहा कि संघ जैसा विरोध किसी का नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि संघ की सत्य और सही जानकारी देना ही इस व्याख्यान माला उद्देश्य है.भागवत ने कहा कि संघ में कोई इंसेंटिव नहीं है.

उन्होंने कहा कि संघ में लोगों को कुछ नहीं मिलता बल्कि जो है वो भी चला जाता है. स्वयंसेवक अपना काम इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपने काम में आनंद आता है. उन्हें इस बात से प्रेरणा मिलती है कि उनका काम विश्व कल्याण के लिए समर्पित है. भागवत ने कहा कि दुनिया अपनेपन से चलती है सौदे से नहीं. अपने संबोधन के दौरानभागवत ने कहा कि उन्होंने (दादाराव) एक पंक्ति में आरएसएस क्या है.

भागवत ने कहा कि उन्होंने (दादाराव) इसकी व्याख्या की. उन्होंने कहा कि आरएसएस हिंदू राष्ट्र के जीवन मिशन का एक विकास है. उन्होंने आगे कहा कि 1925 के विजयदशमी के बाद डॉक्टर साहब ने संघ के प्रारंभ करने पर कहा कि ये संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन है. जिसको हिंदू नाम लगाना है, उसक देश के प्रति जिम्मेदार रहना होगा.

Advertisements
Advertisement