क्लब जाओ या मंदिर, लोग बुराई ही करेंगे’, काजोल ने अपने बच्चों को दिए ट्रोलिंग से निपटने के टिप्स

काजोल और उनके पति अजय देवगन कई सालों से बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं और इन सालों में उन्होंने खुद को ट्रोल करने वाले या फिर उन पर हेट कमेंट करने वालों से निपटना सीख लिया है लेकिन बाकी माता-पिता की तरह वो भी अपने बच्चों पर की जाने वाली टिप्पणी या आलोचना को लेकर संवेदनशील हैं और उन्हें इस पर दुख होता है.

काजोल ने कहा, ‘मैंने बच्चों को दी ये सलाह’
कर्ली टेल्स के साथ ‘संडे ब्रंच’ के एक एपिसोड के दौरान जब होस्ट कामिया जानी ने काजोल से पूछा कि क्या वो अपने बच्चों पर किए गए कमेंट्स पर अपना आपा खो बैठती हैं तो काजोल ने कहा, ‘बेशक आपको गुस्सा आता है. आप परेशान होते हैं. लेकिन जैसा कि मैंने न्यासा (काजोल की बेटी) से भी कहा था कि आपको पता होना चाहिए कि आप क्या कर रही हैं. आपको यह समझना होगा कि आप जो भी करें लोग आपके बारे में बात करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘चाहें आप सही करें या गलत. आप मंदिर जाएं या क्लब लोग आपकी बुराई करेंगे ही. आप इसे इतनी गंभीरता से नहीं ले सकते कि आप इसके बारे में चिंता करें या पागल हो जाएं’

आलोचना को अवसर में बदलें

हालांकि ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आलोचना को नजरअंदाज करना और ऐसी स्थितियों में शांत रह पाना इतना आसान है. आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट के Mpower की साइकोलॉजिस्ट रीमा भांडेकर ने अंग्रेजी वेबसाइट ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि अपनी या अपनों की आलोचना सुनना दुखी और आहत करने वाला हो सकता है और ऐसी चीजें हमारे दिमाग में कई दिनों तक रह सकती हैं.

वो कहती हैं, ‘कभी-कभी, आलोचना गलत, दिल दुखाने वाली या असभ्य भी लग सकती है. लेकिन ग्रोथ माइंडसेट अपनाते हुए हम दूसरों के विचारों को शिष्टता और अच्छी भावना के साथ स्वीकार कर सकते हैं और समय के साथ खुद को फिर से गढ़ने के लिए उनका इस्तेमाल भी कर सकते हैं.’

क्या होता है ग्रोथ माइंडसेट
रीमा कहती हैं, ‘जब कोई किसी की क्षमताओं के बारे में पब्लिकी बड़ी से बड़ी आलोचना करता है तो चुप रहने या उसका विरोध करने के बजाय ग्रोथ माइंडसेट वाले लोग इसे आंकड़ों की तरह ग्रहण करते हैं और शांति से जहां जरूरी हो, वहां सुधार करने का निर्णय लेते हैं. ग्रोथ माइंडसेट बीच में ही पटकथा को फिर से लिखने जैसा है जिसमें कहानी को और गहराई के साथ एक नई दिशा में ले जाया जाता है. यह दबाव में टूट जाने और एक अप्रिय अनुभव से उबरकर उभरने के बीच के अंतर जैसा है.’

नैरेटिव बदलें
जब आपको आलोचना मिले तो पहले इसे किसी तीसरे व्यक्ति के नजरिए से देखने की कोशिश करें और सोचें कि एक सफल और शांत व्यक्ति इस आलोचना को कैसे लेगा? फिर आलोचना के उपयोगी और व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करें. आप व्यक्ति के लहजे और उसकी बात में छिपे संदेश को अलग करने की कोशिश करें. इससे आप उस आलोचना को भी अपने फायदे के लिए भुना पाएंगे.

अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें
ऐसे शब्द सुनना जो आपको नकारात्मक दिखा रहे हैं, उन पर गुस्सा, शर्म, निराशा या खुद को बेकार समझने जैसी प्रतिक्रियाएं पैदा होना सामान्य है. ऐसे समय में प्रतिक्रिया देने से पहले थोड़ा रुकना बहुत जरूरी है. कुछ गहरी सांसें लेना, अपने आसपास के किसी बुद्धिमान व्यक्ति से बात करना, या थोड़ी देर टहलने जैसी चीजें करने से आलोचना पर ज्यादा सोचने से बचने में आपकी मदद कर सकता है.

अस्वीकृति का जवाब कृतज्ञता और विनम्रता से दें. अगर आप उस व्यक्ति को उसकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद दे सकते हैं तो यह संकेत जाएगा कि आप सीखने के लिए तैयार हैं.

खुद पर काम करें
आलोचनाओं को दूसरों के सामने खुद को साबित करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करें. नकारात्मकता को अपने बड़े सपनों के रास्ते में आने ना दें. अगर आपको उम्मीदों पर खरा न उतरने के लिए डांटा जाता है तो विशेषज्ञों से बात करें कि आप समय के साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं.

रीमा के अनुसार, आलोचना से जुड़ी भावनाओं से निपटने के लिए दूसरों से एक नया दृष्टिकोण प्राप्त करना हमेशा मददगार होता है. यह समझें कि हर कोई आपके बारे में अपनी राय रख सकता है चाहे आपको वो पसंद हो या न हो. इसलिए खुद का आकलन करना ना शुरू करें.

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