भारत की तरफ से वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद हैं. वह और उनके तीन अन्य साथी एस्ट्रोनॉट्स Ax-4 मिशन के तहत 14 दिन के लिए अंतरिक्ष में गए हुए हैं. यह एक प्राइवेट मिशन है, जिसे एक्सिओम स्पेस कंपनी की तरफ से संचालित किया गया है. शुभांशु के स्पेस मिशन को लेकर कई सवाल हैं कि आखिर स्पेस स्टेशन पर दिन और रात का अंदाजा कैसे होता होगा, वहां कितने घंटे का एक दिन होता है और स्पेस में कौन सा टाइम जोन काम करता है?
स्पेस स्टेशन पर 90 मिनट का दिन
धरती पर एक दिन में एक बार सूर्योदय और सूर्यास्त होता है, लेकिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 24 घंटे के भीतर 16 बार सूर्योदय और 16 बार ही सूर्यास्त होता है. इस हिसाब से देखा जाए तो वहां सिर्फ 90 मिनट का दिन और 90 मिनट की रात होती है, जबकि पृथ्वी पर यह अवधि 12-12 घंटे की होती है. इसकी वजह है कि स्पेस स्टेशन बहुत तेज गति के साथ पृथ्वी का चक्कर लगाता है और उसे ऐसा करने में सिर्फ 90 मिनट लगते हैं.
स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चक्कर लगाने के दौरान 45 मिनट तक सूरज की रोशन में रहता है जबकि बाकी 45 मिनट पृथ्वी की छाया में रहता है. चूंकि 24 घंटे के भीतर स्पेस स्टेशन 16 बार ऐसे चक्कर लगाता है तो वहां 16 बार सूर्यास्त और 16 बार सूर्योदय होता है. अगर टाइम जोन की बात करें तो वहां वैश्विक मानकों के हिसाब से कॉर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) जोन का इस्तेमाल होता है ताकि दुनिया के अलग-अलग देशों के साथ कॉर्डिनेशन में दिक्कत न आए. इस टाइम जोन को ग्रीनविच मीन टाइम भी कहा जाता है.
कौन सा टाइम जोन काम आता है?
स्पेस स्टेशन पर कई देशों के अंतरिक्ष यात्री एक साथ काम करते हैं और हर देश का अपना अलग टाइम जोन होता है. UTC का इस्तेमाल सभी मिशन कंट्रोल सेंटर और एस्ट्रोनॉट्स को एक ही सिस्टम के तहत लाता है, जिससे न सिर्फ कम्युनिकेशन आसान होता है बल्कि कमांड देने में भी आसानी होती है. स्पेस में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों के एस्ट्रोनॉट एक यूनिर्वसल टाइम जोन में काम करते हैं.
अभी ISS पर क्या टाइम है?
अगर 30 जून 2025 को भारतीय मानक समय (IST) में भारत में दोपहर के 12:02 बजे हैं और क्योंकि आईएसटी, UTC से 5 घंटे 30 मिनट आगे है. इस हिसाब से देखा जाए तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर इस वक्त सुबह के 6:32 बजे होंगे. यह समय सभी स्पेस मिशन, अंतरिक्ष यात्रियों और मिशन कंट्रोल सेंटर्स के लिए मानक होता है.
स्पेस स्टेशन पर कैसे देखते हैं टाइम?
स्पेस स्टेशन पर टाइम को कैलकुलेट करने के लिए स्पेशल वॉच डिजाइन की जाती हैं और डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. ISS पर टाइम जानने के लिए कंप्यूटर और डिजिटल घड़ियों का इस्तेमाल होता है, जिनमें UTC टाइम जोन के हिसाब से फीडिंग की जाती है. इसके अलावा वहां डिजिटल डिस्प्ले भी लगे होते हैं जो अलग-अलग मिशन कंट्रोल सेंटर्स का टाइम बताते हैं, इन सभी डिवाइस को UTC के साथ सिंक्रनाइज किया जाता है.
इसके अलावा स्पेस स्टेशन पर एटॉमिक वॉच भी प्रयोग में लाई जाती हैं. ये घड़ियां एकदम सटीक होती हैं और अंतरिक्ष में साइंटिफिक रिसर्च के लिए समय की गणना करने में अहम हैं. हालांकि एटॉमिक वॉच का इस्तेमाल मुख्य तौर पर रिसर्च वर्क में किया जाता है, रोजमर्रा के कामों के लिए इनका इस्तेमाल नहीं होता. साथ ही धरती के मिशन कंट्रोल सेंटर्स के साथ स्पेस स्टेशन के टाइम को रेडियो सिग्नल के जरिए सिंक्रनाइज भी किया जाता है.
एस्ट्रोनॉट्स जो डिजिटल वॉच पहनते हैं, वह स्पेस की माइक्रोग्रैविटी और वैक्यूम में काम करने के लिए खास तौर पर डिजाइन की जाती हैं. उदाहरण के लिए NASA ने अपोलो मिशनों के लिए ‘मूनवॉच’ का इस्तेमाल किया था, जो स्पेस के मुश्किल हालात में काम कर सकती हैं. मुख्य तौर पर स्पेस में डिजिटल सिस्टम के जरिए ही समय का पता लगाया जाता है, लेकिन कुछ एस्ट्रोनॉट्स ऐसी घड़ियों का पर्सनल तौर पर इस्तेमाल करते हैं.