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हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार पर लीपापोती, बांग्लादेश में यूनुस सरकार ने हमलों को राजनीतिक बता झाड़ा पल्ला

बांग्लादेश सरकार ने शनिवार को एक पुलिस रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पिछले साल 4 अगस्त के बाद से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अधिकांश घटनाएं ‘राजनीतिक प्रकृति’ की थीं, न कि ‘सांप्रदायिक’. हालांकि, मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार और बांग्लादेश पुलिस के इन दावों से सवाल उठता है कि अगर हिंसा की अधिकतर घटनाएं सांप्रदायिक न होकर राजनीतिक थीं, तो फिर पीड़ित हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक ही क्यों हैं. पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा की सीधे शिकायतें प्राप्त करने और अल्पसंख्यक समुदाय से संपर्क बनाए रखने के लिए एक हेल्पलाइन डेस्क स्थापित किया है और व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया है.

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मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की प्रेस विंग ने यहां कहा कि पुलिस जांच ‘बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद’ द्वारा हाल ही में दावा किए जाने के बाद हुई है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के 5 अगस्त को देश छोड़ने से एक दिन पहले सांप्रदायिक हिंसा की 2,010 घटनाएं हुई थीं. बता दें कि जॉब कोटा सिस्टम के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने शेख हसीना के 16 साल के शासन का अंत किया था.

1,769 में से सिर्फ 20 घटनाएं सांप्रदायिक: बांग्लादेश

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि इनमें से कुल 1,769 घटनाएं हमलों और बर्बरता के रूप में दर्ज की गईं; पुलिस ने दावों के आधार पर अब तक 62 मामले दर्ज किए हैं और जांच के आधार पर कम से कम 35 दोषियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस जांच में पाया गया कि 1,234 घटनाएं ‘राजनीतिक प्रकृति’ की थीं, 20 घटनाएं सांप्रदायिक थीं और कम से कम 161 दावे झूठे या असत्य पाए गए.

‘बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद’ के दावों के अनुसार, 1,452 घटनाएं- या कुल दावों का 82.8 प्रतिशत- 5 अगस्त, 2024 को हुईं, जब हसीना को सत्ता से बेदखल किया गया था. 4 अगस्त को कम से कम 65 घटनाएं और 6 अगस्त को 70 घटनाएं हुईं. पुलिस को 5 अगस्त से 8 जनवरी, 2025 तक सांप्रदायिक हिंसा के 134 शिकायतें मिलीं. पुलिस ने उन सभी शिकायतों का अत्यंत महत्व के साथ जवाब दिया. कम से कम 53 मामले दर्ज किए गए और 65 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया.

4 अगस्त, 2024 के बाद से 100 लोग गिरफ्तार हुए हैं

बयान में कहा गया है, ‘कुल मिलाकर, 4 अगस्त के बाद से सांप्रदायिक हमलों की शिकायतों पर कुल 115 मामले दर्ज किए गए और कम से कम 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया.’ रिपोर्ट तैयार करने से पहले, बांग्लादेश पुलिस ने ‘हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद’ द्वारा तैयार किए गए आरोपों की सूची एकत्र की (और) उन व्यक्तियों के साथ संवाद किया जिनके बारे में दावा किया गया था कि वे हिंसा के निशाने पर थे. इसके अलावा पुलिस ने उस प्रत्येक स्थान, प्रतिष्ठान का दौरा किया जिनका जिक्र परिषद की रिपोर्ट में हुआ था.

बांग्लादेश पुलिस ने अब सांप्रदायिक हिंसा के आरोप प्राप्त करने और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए एक व्हाट्सएप नंबर स्थापित किया है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक बयान में कहा कि देश में किसी भी सांप्रदायिक हमले के प्रति हमारी जीरो-टॉलरेंस की पॉलिसी है और पुलिस को दोषियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया है. इसने यह भी घोषणा की कि वह पीड़ितों को मुआवजा देगी. बता दें कि पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ-साथ उनके धार्मिक स्थलों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के कई मामले सामने आए हैं. इन घटनाओं पर भारत ने गहरी चिंता जताई थी.

भारत ने बांग्लादेश की घटनाओं पर जताई थी चिंता

देशद्रोह के आरोप में हिंदू संत चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी ने भारत की चिंताओं को और बढ़ा दिया, जिससे विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिसंबर में अपनी ढाका यात्रा के दौरान वहां की अंतरिम सरकार को अवगत कराया था. मिस्री की यात्रा से पहले, अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने 5 दिसंबर को हिंदुओं पर हमलों की खबरों के बीच अल्पसंख्यकों पर हमलों के बारे में सटीक जानकारी इकट्ठा करने और अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए धार्मिक नेताओं से सहयोग मांगा था.

एक अलग बयान में, मुहम्मद यूनुस की प्रेस विंग ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर-पश्चिमी नाटोर जिले की पुलिस ने 21 दिसंबर, 2024 को एक श्मशान में 60 वर्षीय हिंदू व्यक्ति की हत्या के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि शुरुआती जांच से पता चला है कि पीड़िता लंबे समय से शारीरिक रूप से बीमार थी और पिछले कई दिनों से ‘हरीशपुर श्मशान घाट’ पर रहती थी. बयान में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए 24 वर्षीय सबुज हुसैन ने कुछ साथियों के साथ हत्या में अपनी संलिप्तता कबूल की है. प्राथमिक जांच से यह भी पता चला है कि अपराधियों ने तरुण चंद्र दास की भी गला घोंटकर हत्या की थी, क्योंकि अपराधी श्मशान घाट से कुछ कांस्य प्लेटें चुरा रहे थे और उन्होंने अलार्म बजा दिया था.

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