हिन्दुओं जैसा विश्वास, आत्मा को मान्यता, सिर्फ एक ईश्वर में आस्था… कौन हैं द्रूज जिन्हें बचाने को इजरायल ने सीरिया पर बरसाए बम?

सीरिया की ताजा हिंसा ने दुनिया का ध्यान एक बार फिर मध्य पूर्व की ओर खींचा है. बुधवार को इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में विनाशकारी हमला किया. धुएं का उठता गुबार, मलबा और चीख-चिल्लाहट की तस्वीर और वीडियो ने लोगों को सन्न कर दिया. सीरिया में पिछले चार दिनों से गृह युद्ध की आग में जल रहा था. इस जंग में अबतक 350 लोगों की मौत हो चुकी है.

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इजरायल ने इस हमले की वजह सीरिया के धार्मिक अल्पसंख्यक द्रूजों (Druze) की सुरक्षा बताई है. पश्चिम एशिया की राजनीति और टकराव पर नजर रखने वाले लोग भी इस नाम को बुधवार को पहली बार सुन रहे थे. इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि इजरायल सीरिया के द्रूज नागरिकों को होने वाले किसी भी नुकसान रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं. क्योंकि इजरायल के द्रूज नागरिकों और सीरियाई द्रूजों के बीच गहरे संबंध हैं.

सीरिया में कैसे भड़की हिंसा?

13 जुलाई को द्रूज अल्पसंख्यक समुदाय के एक बिजनेसमैन के अगवा होने की खबर आते ही सीरिया के स्वैदा शहर में हिंसा भड़क उठी. इस किडनैपिंग की खबर आते ही द्रूज लड़ाकों और सुन्नी बेडौइन लड़ाकों के बीच कई दिनों तक घातक झड़पें हुईं.

15 जुलाई को इजरायल ने इस टकराव में हस्तक्षेप किया. इजरायल ने आरोप लगाया कि सीरिया की सरकारी फौज द्रूज समुदाय के लोगों का खात्मा करना चाहती है. इसे रोकने के लिए इजरायल का हस्तक्षेप आवश्यक हो गया था. सीरिया की मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक पिछले रविवार से शुरू हुए इस झड़प में अबतक 350 लोगों की मौत हो चुकी है. अप्रैल और मई में द्रूज लड़ाकों और सीरिया के नए सुरक्षा बलों के बीच हुई लड़ाई के बाद द्रूज बहुत स्वैदा प्रांत में यह पहली हिंसा है. उस दौरान यहां दर्जनों लोग मारे गए थे.

कौन हैं द्रूज अल्पसंख्यक

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार द्रूज सीरिया, लेबनान, इजरायल और गोलान पहाड़ियों में मौजूद अरबी भाषी धार्मिक अल्पसंख्यक हैं. द्रूज़ धर्म शिया इस्लाम की एक शाखा है जिसकी अपनी विशिष्ट पहचान और मान्यताएं हैं.

एक अनुमान के अनुसार इनकी आबादी दस लाख है. इसमें आधे लगभग सीरिया में रहते हैं. यहां वे जनसंख्या का लगभग 3 फीसदी हैं. इजरायल में रहने वाले द्रूज इजरायली मिलिट्री में अपनी सेवा देते हैं. इसलिए इस कौम को इजरायल राष्ट्र के प्रति काफी वफादार माना जाता है. इज़रायली केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार इजरायल और इजरायली अधिकृत गोलान हाइट्स में लगभग 1,52,000 द्रूज़ रहते हैं.

द्रूज समुदाय की धार्मिक मान्यता क्या है?

पश्चिम एशिया का प्रमुख मीडिया संस्थान अल जजीरा की एक रिपोर्ट कहती है कि द्रूज एक विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक समुदाय है, जिसकी उत्पत्ति 11वीं सदी में मिस्र के फातिमिद खलीफा अल-हाकिम के समय हुई. यह समुदाय इस्लाम की शिया शाखा से निकला है, लेकिन इसका धर्म एकेश्वरवादी है यानी कि ये एक इश्वर को मानते हैं. और इसमें ग्नोस्टिक, सूफी और अन्य दार्शनिक तत्व शामिल हैं. स्थानीय शिया मान्यताओं का पालन करने के अलावा ये दूसरे धर्म को भी मानते हैं.

अल अरबिया की एक रिपोर्ट में कहा गया कि द्रूज समुदाय अपनी गोपनीय धार्मिक प्रथाओं और सामुदायिक एकजुटता के लिए जाना जाता है, और यह सीरिया में अल्पसंख्यक के रूप में अपनी स्वायत्तता बनाए रखने के लिए संघर्ष करता रहा है. द्रूज में धर्म परिवर्तन की कठोर मनाही है. एक द्रूज न अपना धर्म छोड़ सकता है और न ही दूसरे धर्म के लोग द्रूज बन सकते हैं. ये अल्पसंख्यक समुदाय अपने आसपास के समुदायों से काफी हद तक अलग रहा है, इस समुदाय के लोग अपने धर्म से बाहर विवाह नहीं करते हैं.

अल जजीरा के अनुसार द्रूज पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं. द्रूजों की ये मान्यता इन्हें हिन्दू मान्यताओं के करीब लाती है. पुनर्जन्म में आस्था द्रूजों के विश्वास का केंद्रीय तत्व है. इस धर्म के लोगों का आत्मा के तत्व में भी विश्वास है. द्रूज मानते हैं कि आत्मा मृत्यु के बाद एक नए शरीर में प्रवेश करती है और यह प्रक्रिया केवल द्रूज समुदाय के भीतर ही होती है.

वेबसाइट एनपीआर के अनुसार द्रूज समुदाय का मानना है कि उनके धर्म के जो अनुयायी अचानक मर जाते हैं – जिनमें हत्या या दुर्घटनावश मारे गए लोग भी शामिल हैं – उनका तुरंत नवजात शिशु के रूप में पुनर्जन्म होता है.

लगभग डेढ़ दशकों से गृह युद्ध से जूझ रहे सीरिया की राजनीतिक व्यवस्था में उनकी स्थिति ऐतिहासिक रूप से अनिश्चित रही है. इस दौरान द्रूज ने दक्षिणी सीरिया में अपनी खुद की मिलिशिया संचालित की.

पिछले साल दिसंबर में असद के पतन के बाद से द्रूज समुदायों ने दक्षिणी सीरिया पर राज्य द्वारा सत्ता स्थापित करने के प्रयासों का विरोध किया है. इस वक्त द्रूज आबादी विभाजित दिखाई पड़ती है. कुछ गुट स्वैदा में सीरिया की फौजों की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हैं और वे स्वतंत्र रहना पसंद करते हुए अपनी सेना पर भरोसा करना चाहते हैं. द्रूज मिलिशिया जैसे “रिजाल अल-करामा” (Rijal al-Karama) ने स्वैदा में अपनी रक्षा के लिए सशस्त्र समूह बनाए हैं.

इजरायल अब क्यों कर रहा है हमला?

इजरायल मानता है कि सीरिया में रहने वाले द्रूज लोगों की रक्षा उसकी प्रतिबद्धता है, क्योंकि उसका अपने द्रूज नागरिकों के साथ उसके गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं. हाल के हमलों ने मुख्य रूप से दक्षिणी सीरिया में तैनात सीरियाई सेना के खिलाफ इजरायल की चेतावनी के रूप में काम किया है. क्योंकि इज़रायल इस क्षेत्र को एक असैन्य क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रहा है. इज़रायल को अपनी उत्तरी सीमा के पास इज़रायली कब्जे वाले गोलान हाइट्स पर इस्लामी लड़ाकों की मौजूदगी का डर है.

इजरायल के हमले सीरिया की नई सरकार को इस बात का संदेश है कि वो इस सीमा का सैन्यीकरण न करे. 15 जुलाई तक इजरायली हवाई हमले स्वैदा में सुरक्षा बलों और वाहनों को निशाना बनाने तक सीमित थे जबकि इज़राइली सेना ने 16 जुलाई को अपने हमलों का दायरा बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय और दमिश्क में सीरियाई सेना मुख्यालय पर हमला किया है.

अल अरबिया अखबार के अनुसार इजरायल ने स्वैदा और दमिश्क में 160 से अधिक हवाई हमले किए. इजरायल ने इन हमलों को द्रूज समुदाय की रक्षा और अपनी सीमा के पास सैन्य-मुक्त क्षेत्र बनाए रखने का हवाला दिया. हालांकि, अल अरबिया की पत्रकार हेबा मसालहा ने कहा कि इजरायल द्रूज समुदाय की रक्षा को बहाना बनाकर स्वैदा में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाना चाहता है, ताकि भविष्य में क्षेत्रीय मोलभाव में फायदा उठा सके.

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