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‘ऐसे गुंडे को CM आवास में कौन रखता है?’ स्वाति मालीवाल केस में बिभव कुमार पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार द्वारा दायर जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. बिभव पर आम आदमी पार्टी (आप) की सांसद स्वाति मालीवाल पर हमला करने का आरोप है. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिभव को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आपको एक महिला से ऐसा बर्ताव करते शर्म नहीं आई?

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अभिषेक मनु सिंघवी ने बिभव की पैरवी करते हुए कहा कि एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज कराई गई. मालीवाल थाने गई लेकिन बिना एफआईआर दर्ज कराए लौट गईं. कोर्ट ने चार्जशीट के बारे में पूछा तो वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिस आदेश को हमने चुनौती दी है उसके बाद चार्जशीट दाखिल हुई है.

क्या कहा कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘जिस तरह से चीजें घटित हुई हैं, उससे हम स्तब्ध है. क्या सीएम का बंगला निजी आवास है? क्या ऐसे गुंडों को रखने के लिए उस कार्यालय की आवश्यकता है? क्या यही तरीका है? हम हैरान हैं. सवाल यह है कि यह कैसे हुआ. मालीवाल ने उसे रुकने के लिए कहा लेकिन वह आदमी नहीं रूका. वह क्या सोचता है ? क्या उसके सिर में शक्ति सवार है ? आप पूर्व सचिव थे, अगर पीड़िता को वहां रहने का अधिकार नहीं था, तो आपको वहां रहने का अधिकार नहीं था. आपने ऐसा दिखाया जैसे कोई गुंडा परिसर में घुस आया हो. आपको ऐसा करने में कोई शर्म आती है ? SWATI एक युवा महिला है. क्या आपको लगता है कि उस कमरे में मौजूद किसी को भी बिभव के खिलाफ कुछ भी कहने की हिम्मत हुई होगी?’

सिंघवी की दलील की खारिज

सिंघवी ने हत्या के दो मामलों में आरोपी को जमानत मिलने का हवाला दिया तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हमें उन मामलों का हवाला ना दें, क्योंकि यहां किस तरह से घटनाक्रम हुआ वो हमारी चिंता का कारण है. आपको एक महिला से ऐसा बर्ताव करते शर्म नहीं आई? हम कॉन्ट्रैक्ट किलर, हत्यारों को भी जमानत देते हैं लेकिन इस मामले में, किस तरह की नैतिक दृढ़ता है?’ कोर्ट ने बेहद सख्त रवैया अपनाते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर बिभव की जमानत अर्जी पर जवाब मांगा. अगली सुनवाई अब सात अगस्त बुधवार को होगी.

क्या सीएम का आवास निजी आवास है- कोर्ट

सिंघवी ने कहा कि पहले दिन वह (पुलिस के पास) गई पर कोई शिकायत नहीं की, लेकिन फिर तीन दिन बाद शिकायत दर्ज हुई. जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या मालीवाल ने 112 पर कॉल किया? अगर हां तो यह आपके दावे को झूठा साबित करता है कि उसने मनगढ़ंत कहानी गढ़ी. सिंघवी ने माना कि वो सीएम आवास गई थी.

जस्टिस सूर्यकांतकांत ने पूछा कि क्या सीएम का सरकारी घर निजी आवास है? क्या इसके लिए इस तरह के नियमों की जरूरत है? हम हैरान हैं, यह मामूली या बड़ी चोटों के बारे में नहीं है. हाईकोर्ट ने हर बात को सही तरीके से सुना है.

क्या था स्वाति मालीवाल का आरोप?

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने FIR में आरोप लगाया था, ‘अचानक… कुमार कमरे में घुस आए. उन्होंने बिना किसी उकसावे के मुझ पर चिल्लाना शुरू कर दिया. उन्होंने मुझे गाली देना भी शुरू कर दिया. मैं उनके इस बर्ताव से स्तब्ध रह गई… मैंने उनसे कहा कि वे मुझसे इस तरह बात करना बंद करें और सीएम को फोन करें.’

हाई कोर्ट से नहीं मिली थी जमानत

12 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने बिभव कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनका ‘काफी प्रभाव’ है और उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं बनता.

जज ने कहा था, ‘इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है.’जज ने कहा, ‘आरोपों की प्रकृति और गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका को ध्यान में रखते हुए, इस स्तर पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता. इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है.’

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