AIIMS के डॉक्टर बड़ी संख्या में क्यों छोड़ रहे नौकरी? दिल्ली से रायपुर-ऋषिकेश तक सामने आए ये आंकड़े

देशभर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है. सरकार द्वारा संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2022 से 2024 के बीच 20 AIIMS से 429 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है. सबसे ज्यादा 52 इस्तीफे दिल्ली AIIMS से हुए, जो देश का सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है. इसके बाद ऋषिकेश और रायपुर AIIMS का नंबर आता है. इन इस्तीफों के पीछे मुख्य वजह बेहतर वेतन और सुविधाओं की कमी है.

AIIMS से डॉक्टरों का छोड़कर जाना चिंता का विषय है. संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2022 से 2024 के बीच 20 AIIMS से 429 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया. सबसे ज्यादा 52 डॉक्टरों ने दिल्ली AIIMS छोड़ा, जो कि सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है.

इसके बाद ऋषिकेश AIIMS से 38, रायपुर से 35, बिलासपुर से 32 और मंगलागिरी से 30 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया. एक डॉक्टर ने बताया कि निजी क्षेत्र में वेतन AIIMS की तुलना में चार से दस गुना ज्यादा है.

फैकल्टी के पद खाली…

आंकड़ों के मुताबिक, 20 AIIMS में हर तीन में से एक फैकल्टी पद खाली है. दिल्ली AIIMS में 1,306 स्वीकृत पदों में से 462 (35%) खाली हैं. भोपाल AIIMS में 23% और भुवनेश्वर में 31% पद खाली हैं. सरकार ने सेवानिवृत्त फैकल्टी को संविदा पर रखने और विजिटिंग फैकल्टी की योजना शुरू की है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है.

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AIIMS रायबरेली की क्या स्थिति?

रायबरेली AIIMS में डॉक्टरों की भारी कमी है. यहां 200 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर (SRD) के स्वीकृत पदों में से 80% से ज्यादा खाली हैं. मेडिकल फैकल्टी के 200 स्वीकृत पदों में से करीब आधे पद खाली हैं. इस कमी की वजह से अस्पताल अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है और सर्जरी के लिए मरीजों को डेढ़ साल तक का इंतजार करना पड़ रहा है.

डॉक्टरों की कमी के पीछे क्या वजह?

डॉक्टरों की कमी के पीछे कई वजहें हैं. रायबरेली AIIMS में कर्मचारियों के लिए पर्याप्त आवास नहीं हैं. कैंपस के पास ग्रामीण इलाका है, जिससे कनेक्टिविटी की समस्या है. हाउस रेंट अलाउंस (HRA) भी बहुत कम है क्योंकि रायबरेली टियर 3 शहर में आता है. इसके अलावा, 9 एकड़ विवादित जमीन की वजह से कैंपस की बाउंड्री वॉल नहीं बन पाई है, जिससे सुरक्षा की समस्या है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव…

कई डॉक्टरों का कहना है कि नए AIIMS में जरूरी सुविधाओं की कमी है. कैंपस के पास अच्छे स्कूल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स नहीं हैं. नेटवर्क की समस्या भी है, जिससे ऑनलाइन सर्विसेज का उपयोग करना मुश्किल है. एक डॉक्टर ने बताया कि दिल्ली जैसे महानगरों के मुकाबले इन शहरों की लाइफस्टाइल युवा डॉक्टरों को आकर्षित नहीं कर पाती.

AIIMS की दयनीय स्थिति पर सियासी हलचल…

अमेठी के सांसद केएल शर्मा ने कहा कि रायबरेली AIIMS की स्थिति पर सांसद राहुल गांधी ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र भी लिखा था. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्टाफ की तादाद कम कर दी है और 960 बेड के अस्पताल को 610 बेड तक सीमित कर दिया है. राहुल गांधी ने अपने पत्र में मैन पावर और मूलभूत सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया था.

सीनियर फैकल्टी की कमी

देश के 12 एम्स में प्रोफेसर्स के आधे से ज्यादा पद खाली हैं. AIIMS जम्मू में 33 में से 29 पद खाली हैं, जबकि रायबरेली में 26 पद खाली हैं. एडिशनल और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. डॉक्टरों का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में मिल रहे बेहतर वेतन और सुविधाओं के अभाव की वजह से अनुभवी डॉक्टर AIIMS में नहीं रुकना चाहते.

असिस्टेंट प्रोफेसर्स से चल रहा काम

असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संख्या ही AIIMS में डॉक्टरों की गिनती को बनाए हुए है. असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए कम अनुभव की जरूरत होती है, इसलिए इन पदों पर भर्ती ज्यादा हुई है. हालांकि, जब बाकी सुविधाओं की कमी जुड़ जाती है, तो ये डॉक्टर भी ज्यादा वक्त तक नहीं रुकते. रायबरेली AIIMS में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भी कम हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा?

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने फरवरी 2025 में राज्यसभा में बताया था कि विभिन्न AIIMS में स्वीकृत पदों को भरना एक लगातार प्रक्रिया है. उन्होंने कहा था कि सरकार खाली पदों को जल्द भरने के लिए कदम उठा रही है. हालांकि, विपक्ष और डॉक्टरों का मानना है कि यह पर्याप्त नहीं है और इस समस्या के लिए एक स्थायी समाधान की जरूरत है.

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