pm narendra modi on pok: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (मंगलवार) को संसद के मानसून सत्र के छठे दिन लोकसभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब दिया. साथ ही प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के सवाल, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान PoK वापस क्यों नहीं लिया?’ पर भी जवाब दिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भारत आतंकवाद को हर कीमत पर समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की सेनाओं ने तय समय पर लक्ष्यों को निशाना बनाया और अपने अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.
पाकिस्तान ने की नादानी, सेना ने दिया करारा जवाब
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों के साथ खड़े होकर एक बड़ी गलती की. हम पूरी तरह तैयार थे. पाकिस्तान ने जब मैदान में उतरने की कोशिश की, तो हमारी सेना ने उसे ऐसा जवाब दिया जो सालों तक याद रखा जाएगा.
उन्होंने बताया कि 9 और 10 मई की रात भारत की मिसाइलों ने पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में जबरदस्त प्रहार किया, जिससे पूरा पाकिस्तान हिल गया. यह हमला इतना सटीक और शक्तिशाली था कि पाकिस्तान घुटनों पर आ गया और डीजीएमओ के माध्यम से गुहार लगाई — बस करिए, अब और नहीं सह सकते.
भविष्य में भारत क्या करेगा, कोई नहीं जानता
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब जान चुका है कि भारत हर बार पहले से ज़्यादा तीव्र जवाब देता है. उसे यह भी स्पष्ट हो गया है कि भविष्य में यदि कोई दुस्साहस किया गया, तो भारत किस स्तर तक जा सकता है — इसकी कोई सीमा नहीं होगी.
PoK क्यों नहीं लिया वापस?
कांग्रेस ने सरकार से सवाल पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान से PoK (पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर) वापस क्यों नहीं लिया? जिसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा यह ऑपरेशन इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में दर्ज हो गया है.
पीएम मोदी ने कहा कि आज जो लोग पूछ रहे हैं कि पीओके को वापस क्यों नहीं लिया, उन्हें पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि पीओके पर पाकिस्तान को कब्ज़ा करने का अवसर किसकी सरकार ने दिया था. उन्होंने नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जब मैं नेहरू जी का नाम लेता हूं, कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम बौखला जाता है’.
अकसाई चिन को बंजर जमीन बताकर खो दिया
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद कुछ फैसले ऐसे लिए गए जिनकी सजा देश आज तक भुगत रहा है. उन्होंने कहा कि अकसाई चिन जैसे क्षेत्र को ‘बंजर जमीन’ कहकर छोड़ दिया गया और इसके चलते भारत को 38,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन गंवानी पड़ी.
रण ऑफ कच्छ में भी कांग्रेस ने पाकिस्तान को जमीन सौंप दी
उन्होंने आरोप लगाया कि 1966 में रण ऑफ कच्छ विवाद पर कांग्रेस ने मध्यस्थता स्वीकार करते हुए पाकिस्तान को करीब 800 वर्ग किलोमीटर जमीन सौंप दी, जिसमें छड़बेट इलाका भी शामिल है.