जबलपुर के ग्रामीण इलाकों में टमाटर और शिमला मिर्च उगाने वाले किसान इन दिनों भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इस साल टमाटर की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन बाजार में इसके दाम इतने गिर गए हैं कि किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
आलम यह है कि कई किसान तो अपने खेतों से टमाटर मुफ्त में बांट रहे हैं, क्योंकि उन्हें तोड़ने और मंडी तक ले जाने का खर्च भी नहीं मिल पा रहा है। इस साल जबलपुर के ग्रामीण क्षेत्र में टमाटर के दाम किसानों की कमर तोड़ रहे हैं।
खेतों में टमाटर ही टमाटर, लेकिन किसान निराश
खेतों में टमाटर इतनी अधिक मात्रा में लगे हैं कि किसानों को यह देखकर निराशा हो रही है। गांव हो या शहर, बाज़ार हो या मंडी, हर जगह टमाटर की भरमार है और खरीदार कम हैं।
खेतों में पके हुए टमाटर लदे हुए हैं, लेकिन उन्हें तोड़ने वाला कोई नहीं है। किसानों का कहना है कि मुनाफा तो दूर की बात है, टमाटर की तुड़ाई की लागत भी नहीं निकल पा रही है। ऐसे में वे क्यों मेहनत करें।
नतीजा यह है कि टमाटर खेत में ही पककर सूख रहे हैं या सड़ रहे हैं। इसीलिए, किसानों ने आसपास के गांवों में यह जानकारी दी है कि जिसे भी टमाटर चाहिए, वह खेत से मुफ्त में तोड़कर ले जा सकता है।
10 एकड़ में लगी थी फसल, लागत भी डूब गई
कुछ किसानों की हालत तो और भी खराब है। वे कहते हैं कि जितना टमाटर बिक जाए, उतना बेच दो, नहीं तो मुफ्त में ही ले जाओ। जमुनिया गांव के किसान रोबिन राय लगभग 25 से 26 एकड़ में सब्जी की खेती करते हैं।
उन्होंने भी कुछ हिस्से में टमाटर की फसल लगाई थी जिसमें 60 से 70 हजार रुपये खर्च किए। लेकिन जब टमाटर के दाम नहीं मिले, तो उन्होंने टमाटर की तुड़ाई भी बंद कर दी है।
उनका कहना है कि जब टमाटर 1 या 2 रुपये किलो बिक रहा है तो आप जान सकते होंगे कि वे क्या कमाएंगे। इसके पीछे पड़े रहने से और ज्यादा नुकसान होगा, इसलिए उन्होंने टमाटर मुफ्त में देने का फैसला किया।
10 रुपये में 5 किलो तक टमाटर
बाजार में टमाटर की स्थिति जानने के लिए जब सब्जी व्यापारियों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि स्थानीय टमाटर की आवक इतनी ज्यादा है कि बाहर से टमाटर मंगाने की कोई जरूरत ही नहीं है।
यहां पर टमाटर 1 रुपये, 2 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है। कई जगह तो 10 रुपये में 5 किलो तक टमाटर बेचा जा रहा है।