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प्रेग्नेंट होने के लिए भारत के इस गांव में क्यों आती हैं विदेशी महिलाएं? जानें क्या है गहरा राज

हैदराबाद: देश और दुनिया में एडवेंचर, वाइल्ड लाइफ, इको जैसे कई प्रकार के टूरिज्म हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे टुरिज्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर आप चौंक जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में भारत में एक ऐसी टूरिज्म को लेकर चर्चा हो रही है, जिस पर लोग खुलकर बात नहीं कर रहे हैं. यह है प्रेगनेंसी टूरिज्म. जानकारी के मुताबिक, लद्दाख में एक गांव है, जिसके बारे में यह दावा किया जाता है कि वहां विदेशी महिलाएं, खासकर यूरोपीय देशों से गर्भवती होने के लिए आती हैं. आपको शायद यह जानकर थोड़ा अजीब तो लग ही रहा होगा कि, आखिर इस गांव में ऐसी क्या खास बात है कि, यूरोप से लड़कियां खुद गर्भवती होने के लिए यहां आती है. इसका जवाब ब्रोकपा जनजाति के लोग हैं. जिनके विषय में कहा जाता है कि ये लोग अलेक्जेंडर द ग्रेट (सिकंदर महान) की सेना के वंशज हैं. शायह यही वजह है कि, करगिल से करीब 70 किलोमीटर दूर आर्यन वैली विलेज में अक्सर विदेश से महिलाएं यहां टूर पर नहीं बल्कि यहां के मर्दों से खुद को प्रेग्नेंट करवाने के लिए आती हैं.प्रेगनेंसी टूरिज्म

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख की राजधानी लेह से 163 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित बियामा, गारकोन, दारचिक, दाह और हानू विलेज हैं. इन गांवों में ब्रोकपा समुदाय के लोग रहते हैं. इन समुदाय के लोगों का दावा है कि, वे दुनिया के आखिरी बचे हुए शुद्ध आर्य हैं. इस विवादित दावे को ब्रोकपा अपने सिर का ताज मानते हैं और गर्व भी महसूस करते हैं. जानकारी के मुताबिक, सिकंदर महान जब हारने के बाद भारत से जा रहा था तो उसकी फौज का कुछ भाग भारत में ही रह गए. ऐसा कहा जाता है कि, सिकंदर महान के यहां से जाने के बाद से आज तक उनके वंशज इस गांव में रह रहे हैं. ऐसा कहा जाता है कि, पहले ब्रोकपाओं को लेकर कोई खास क्रेज नहीं था. इंटरनेट के प्रसार के बाद लद्दाख के गावों में विदेशी महिलाओं के आने के किस्से सुने जाने लगे. कहा जाता है कि, युरोप की महिलाएं ‘शुद्ध आर्य बीज’ के लिए ब्रोकपाओं के गावों में आती हैं.विदेशी महिलाएं यहां के मर्दों से संबंध बनाने आती हैं?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों से खासकर यूरोप की महिलाएं, सिकंदर महान के सैनिकों जैसे ही बच्चे की ख्वाहिश लिए लद्दाख के इस बहुचर्चित गांव में आती हैं. यहां आकर विदेशी महिलाएं यहां के रहने वाले पुरुषों से संबंध बनाती है. विदेशी महिलाएं इस उम्मीद से यहां के मर्दों के साथ संबंध बनाती है, ताकि उनके होने वाले बच्चे भी सिकंदर महान के सैनिकों की तरह मजबूत कद काठी, नीली आंखों वाले हो. कहा जाता है कि, संबंध बनाने के बदले में यूरोपियन महिलाएं गांव के मर्दों को पैसे देती है. जब काम पूरा हो जाता है तो ये महिलाएं वापस अपने देश चली जाती है. खबर के मुताबिक, अब यहां ये चीजें बिजनेस की तरह हो गई हैं. विदेशी महिलाएं सिकंदर के सैनिकों की तरह ही बच्चों की ख्वाहिश में यहां आ जाती है और मर्दों से संबंध बनाती है. जब वे गर्भवती हो जाती हैं, उसके बाद वापस चली जाती है.

दावा और प्रमाण

ऐसा है कि, ब्रोकपाओं के दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं. जानकारी के मुताबिक, उनकी कोई डीएनए जांच भी नहीं हुई है. वैसे देखा जाए तो सिर्फ लद्दाखी संस्कृति से अलग होने की वजह से उन्हें ‘शुद्ध आर्य नहीं माना जा सकता. हालांकि, वे अपनी कद काठी , शारीरिक बनावट , कुछ कहानियों, लोककथाओं और मिथकों के आधार पर शुद्ध आर्य होने का दावा करते हैं. ब्रोकपा लोगों के दावे किसी भी वैज्ञानिक साक्ष्य या विश्वसनीय इतिहास द्वारा समर्थित नहीं हैं. लेकिन फिर भी ब्रोकपा अपने दावों के साथ मजबूती से खड़े हैं. सबसे बड़ी बात यह भी है कि, आर्यों को लेकर इतिहास में एक मत नहीं है. वहीं कई बुद्धिजीवी मानते हैं कि, प्रेगनेंसी टूरिज्म एक बनी बनाई कहानी है.

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