टीबी यानी तपेदिक एक ऐसी बीमारी है, जो हवा के जरिए फैलती है और हर साल लाखों लोगों की जान लेती है. टीबी का संक्रमण तेजी से फैलता है. इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि कई लोगों को बीमारी होती है, लेकिन वे डॉक्टर के पास नहीं जाते और इसका सही समय पर पता नहीं चलता. इस वजह से वे दूसरों को भी संक्रमित कर देते हैं. जिन लोगों को डायबिटीज, एड्स जैसी गंभीर बीमारियां हैं या जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उनमें टीबी होने का खतरा अधिक होता है. इसके अलावा टीबी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से भी फैल सकता है, जब कोई अन्य व्यक्ति अपने आस-पास से इसे सांस लेता है, तो वे भी टीबी से संक्रमित हो जाते हैं. अगर समय रहते टीबी की पहचान और इलाज न किया जाए तो यह गंभीर और जानलेवा हो सकता है.
टीबी के मामलों को रोकने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन कुछ बड़ी दिक्कतें अब भी बनी हुई हैं. सबसे पहले तो जागरूकता की कमी एक बड़ा कारण है. लोग शुरुआत में लक्षणों को हल्के में लेते हैं और इलाज में देरी कर देते हैं. दूसरी बात, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं अब भी इतनी मजबूत नहीं हैं कि हर किसी को समय पर जांच और दवा मिल सके. इसके अलावा, टीबी को लेकर समाज में डर भी है. लोग इसे छिपाते हैं, जिससे बीमारी बढ़ती जाती है.
टीबी की बीमारी क्यों होती है?
फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम की सीनियर कंसल्टेंट डॉ नेहा रस्तोगी बांगा कहती हैं कि टीबी अलग अलग प्रकार के होते हैं. फेफड़ों की टीबी सबसे सामान्य है. ज्यादातर लोगों में लंग्स टीबी की शिकायत आती है. अगर लंबे समय से फीवर, खांसी और जुकाम है और सिर से पैर तक दर्द है तो आपको जल्द से जल्द किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
डॉ नेहा रस्तोगी कहती हैं कि टीबी का संक्रमण हवा में रहता है. साथ ही संक्रमित व्यक्ति के आसपास रहने से भी यह बीमारी दूसरे लोगों में फैल सकती है. ऐसे में खुद का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. घर से बाहर जब भी निकले तो मास्क लगाकर ही निकलें. साथ ही हेल्दी खानपान को अपनी डाइट में शामिल करें. डॉ रस्तोगी कहती हैं कि टीबी की रोकथाम के लिए भारत सरकार भी लगातार प्रयासरत है. ऐसे में सब लोग मिलकर टीबी बीमारी को हराने के लिए आगे आने की जरूरत है.
WHO की चिंता और भारत की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी टीबी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस का कहना है कि हमारे पास इस बीमारी को रोकने और ठीक करने के सारे उपाय मौजूद हैं, फिर भी टीबी के मामले बढ़ रहे हैं. भारत की बात करें तो दुनिया के कुल टीबी मरीजों में से 25% से ज्यादा यहीं हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में स्वास्थ्य कर्मियों को भी आम लोगों के मुकाबले टीबी होने का खतरा ज्यादा रहता है.
कैसे पहचानें टीबी को?
टीबी होने पर शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो, कफ में खून आए, सीने में दर्द हो, कमजोरी लगे, वजन तेजी से कम हो, भूख न लगे या रात में ज्यादा पसीना आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. समय पर इलाज शुरू करने से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है.
समाधान क्या है?
टीबी को खत्म करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन इसके लिए जनता का सहयोग भी जरूरी है. सबसे पहले, अगर कोई लक्षण दिखे तो तुरंत जांच कराएं. दूसरा, समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है ताकि लोग इस बीमारी को छिपाने के बजाय इलाज करवाएं. तीसरा, सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करना होगा, खासकर गांवों में ताकि सभी को सही इलाज मिल सके.