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Kanchanjunga Express Train Accident: रेलवे हादसों की जांच सिविल एविएशन का डिपार्टमेंट क्यों करता है?

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार सुबह को हादसे का शिकार हो गई. बताया जा रहा है कि पीछे से तेज रफ्तार में आ रही मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी, जिसके कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस के पीछे के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए. अभी तक 8 लोगों की मौत और करीब 50 लोगों के घायल होने की खबर है. यह हादसा कैसे हुआ, इसका जवाब जानने के लिए जांच होगी. आम राय है कि रेलवे हादसों की जांच रेलवे मंत्रालय करेगा. लेकिन ऐसा नहीं है. सभी रेलवे हादसों की जांच सिविल एविएशन मंत्रालय के अधीन आती है.

विभागीय जांच समिति और कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (रेलवे सुरक्षा आयुक्त), रेल दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करने वाली मुख्य एजेंसियां ​​हैं. ये एजेंसी रेलवे मंत्रालय नहीं बल्कि सिविल एविएशन (नागरिक उड्डयन) मंत्रालय को रिपोर्ट करती हैं. पिछले साल ओडिशा में हुए भीषण रेल हादसे की जांच की जिम्मेदारी भी इसी एजेंसी को सौंपी गई थी.

कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी

कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) सिविल एविएशन मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक ईकाई है. इसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के लखनऊ में है. कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी इसका मुखिया होता है. रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत CRS रेल यात्रा और संचालन की सुरक्षा से संबंधित मामलों से निपटता है. गंभीर ट्रेन दुर्घटनाओं की जांच करना इसकी प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है. इसके अलावा रेलवे सुरक्षा को बेहतर करने के लिए आयोग सरकार को सिफारिशें भी करता है.

जांच अधिकारी सिविल एविएशन मंत्रालय से क्यों?

रेलवे सुरक्षा को जांचने वाले अधिकारी को आजादी से पहली ही रेलवे मंत्रालय के कंट्रोल से हटा दिया गया था. दरअसल, भारत में पहली रेलवे के निर्माण और संचालन पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए तब की सरकार ने कंसल्टिंग इंजीनियरों को नियुक्त किया था. 1883 में उनके पद को को वैधानिक मान्यता दी गई. बाद में, रेलवे निरीक्षणालय (जिसका हिस्सा कंसल्टिंग इंजीनियर थे) को रेलवे बोर्ड के अधीन कर दिया गया, जिसकी स्थापना 1905 में हुई थी.

1935 के भारत सरकार अधिनियम में पहली बार कहा गया कि यात्रा करने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, जिसमें दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करना भी शामिल है, एक ऐसी अथॉरिटी को नियुक्त किया जाना चाहिए जो केंद्रीय रेलवे बोर्ड से आजाद हो. 1939 में बनी एक रेलवे कमिटी ने भी रेलवे बोर्ड से अलग ऐसी है एक अथॉरिटी बनाए जाने की बात कही.

आखिरकार, मई 1941 में रेलवे निरीक्षणालय को रेलवे बोर्ड से निकालकर “डाक और वायु” विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कर दिया गया. उसके बाद से रेलवे निरीक्षणालय को लगातार उस मंत्रालय के अधीन रखा गया जिसके पास नागरिक उड्डयन का पोर्टफोलियो रहा है. साल 1961 में तत्कालीन रेलवे निरीक्षणालय का नाम बदलकर रेलवे सुरक्षा आयोग कर दिया गया.

कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की जिम्मेदारियां और शक्तियां

रेलवे अधिनियम 1989 के चैप्टर III में कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की जिम्मेदारियों का बताया गया है. इसके तहत उनका काम-

  • नई रेलवे का निरीक्षण करना और निर्धारित करना कि क्या वे यात्रियों की सार्वजनिक ढुलाई के लिए उपयुक्त हैं. इस एक्ट के अंदर यह रिपोर्ट क्रेंद सरकार को भेजी जाएगी.
  • किसी भी रेलवे या उस पर इस्तेमाल किए जाने वाले किसी भी रोलिंग स्टॉक का निरीक्षण करना जैसा कि केंद्र सरकार निर्देश दे.
  • रेलवे के किसी भी दुर्घटना के कारण की जांच करना

रेलवे अधिनियम 1989 में कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की शक्तियों का भी प्रावधान है, जो कुछ इस प्रकार है-

  • किसी भी रेलवे परिसर में प्रवेश करना और निरीक्षण करना.
  • किसी भी व्यक्ति से उसकी स्टेटमेंट लेना.
  • किसी भी व्यक्ति से कोई दस्तावेज या रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का आदेश देना.
  • किसी रेलवे लाइन या स्टेशन को बंद करने का आदेश देना.
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