पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर भारतीय डेलिगेशन विभिन्न देशों में बेनकाब कर रहा है. इसी क्रम में यूरोप के दौरे पर गए डेलिगेशन ने आतंकवाद पर पश्चिमी देशों की ‘दोहरी नीति’ की कड़ी आलोचना की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में आयोजित एक संवाद में कहा कि भारत में आतंकी हमले में मारे गए लोगों के जीवन को कम महत्व क्यों दिया जाता है? उन्होंने पश्चिमी देशों की भारत में हुए आतंकी हमलों पर चुप्पी पर सवाल उठाया.
समाचार एजेंसी के मुताबिक एमजे अकबर ने कहा कि क्या इस दुनिया में दो कानून हैं? एक अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए और दूसरा भारत के लिए? उन्होंने याद दिलाया कि 9/11 के बाद अमेरिका 12000 किलोमीटर दूर जाकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में न्याय की मांग कर रहा था, और पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराया गया. खुद मुशर्रफ ने इसकी बात मानी, लेकिन जब भारत अपने 500 किलोमीटर के भीतर ही आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो दुनिया उसे संयम बरतने की सलाह देती है.
बता दें कि डेलिगेशन का नेतृत्व भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद कर रहे हैं. डेलिगेशन बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क और ब्रिटेन के दौरे पर है. इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने की सच्चाई उजागर करना और भारत में आतंकी हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करना है.
‘हम न्याय की मांग कर रहे’
एमजे अकबर ने स्पष्ट किया कि भारत बदला नहीं, बल्कि न्याय की मांग कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन भी उतने ही मूल्यवान हैं, जितने यूरोपीय जीवन. हम भी लोकतंत्र और स्वतंत्रता के उन्हीं मूल्यों में विश्वास रखते हैं. फिर भी कई देश अभी भी तटस्थ बने हुए हैं.
आतंकियों को शरण देता है पाकिस्तानः प्रियंका चतुर्वेदी
वहीं, शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों को शरण देता है और वहां की सेना लोकतंत्र को कमजोर कर रही है. उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के भारत विरोधी बयानों को कायराना और दोहरे मापदंड वाला करार दिया.
दुनिया को आतंक के खिलाफ एकजुट होना पड़ेगाः रविशंकर
उधर, बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की मांग बदले की नहीं, बल्कि वैश्विक न्याय और जवाबदेही की है. उन्होंने पूछा कि क्या आतंक के शिकार लोगों के मानवाधिकार नहीं होते? उन्होंने कहा कि भारत ने कई बार संयम दिखाया है, लेकिन अब दुनिया को दोहरापन छोड़कर एकजुट होना चाहिए.