दवाओं का पूरा कोर्स क्यों है जरूरी? जानिए बीच में इलाज छोड़ने के खतरनाक परिणाम

अक्सर देखा गया है कि लोग दवा शुरू तो कर देते हैं, लेकिन जैसे ही थोड़ा आराम महसूस होता है, उसे बीच में ही छोड़ देते हैं। खासकर जब बुखार या संक्रमण जैसी सामान्य बीमारियों की बात हो, तो मरीज 2-3 दिन में ही इलाज रोक देते हैं. लेकिन यह लापरवाही आपके स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है.

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बीमारी के लक्षण दबना इलाज नहीं होता

डॉक्टर जब दवा देते हैं, तो उनका उद्देश्य सिर्फ लक्षणों को दबाना नहीं होता, बल्कि बीमारी की जड़ को खत्म करना होता है. दवा को एक तय समय और मात्रा में देना जरूरी होता है, ताकि शरीर से बैक्टीरिया या वायरस पूरी तरह खत्म हो जाएं.जब आप दवा अधूरी छोड़ते हैं, तो बीमारी का दुश्मन पूरी तरह खत्म नहीं होता – वह अंदर ही अंदर ताक में बैठा रहता है.

दवा बीच में छोड़ने से क्या नुकसान होते हैं?

  1. बीमारी की वापसी:
    अधूरी दवा से कुछ बैक्टीरिया बच जाते हैं, जो दोबारा एक्टिव होकर फिर से बीमारी फैलाते हैं। कई बार यह पहले से भी ज्यादा गंभीर हो सकती है.

  2. इम्यून सिस्टम पर दबाव:
    बार-बार एक ही बीमारी से लड़ना शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है.

  3. एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस:
    जब बैक्टीरिया बार-बार अधूरी दवाओं के संपर्क में आते हैं, तो वे उन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं. इससे भविष्य में वही दवाएं बेअसर हो जाती हैं.

  4. इलाज लंबा और महंगा:
    अधूरा इलाज आगे चलकर ज्यादा खर्चीला और जटिल हो सकता है। कभी-कभी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत भी आ जाती है.

साइड इफेक्ट्स की स्थिति में क्या करें?

कई लोग साइड इफेक्ट्स जैसे नींद आना, पेट खराब होना आदि की वजह से दवा छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि वह दवा की डोज़ या प्रकार बदल सकें. बिना सलाह लिए इलाज रोकना सही नहीं है.

दवाएं लेने के सही तरीके:

  • पूरा कोर्स लें: चाहे आप बेहतर महसूस कर रहे हों, लेकिन डॉक्टर द्वारा निर्धारित समय तक दवा लें.

  • समय पर लें: दवा की प्रभावशीलता उसके समय से लेने पर भी निर्भर करती है.

  • बिना सलाह बंद न करें: डॉक्टर से पूछे बिना दवा बंद करना जोखिम भरा हो सकता है.

दवाएं तभी कारगर होती हैं जब उन्हें सही तरीके और समय तक लिया जाए। बीच में इलाज रोकना न सिर्फ बीमारी को दोबारा बुलाने जैसा है, बल्कि यह उसे और ज्यादा खतरनाक बना सकता है. इसलिए अगली बार जब डॉक्टर कोई दवा दें, तो उसे पूरी ईमानदारी से पूरा करें – चाहे आप खुद को ठीक महसूस कर रहे हों या नहीं.

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