Raksha Bandhan 2025: आखिर क्यों रक्षाबंधन पर भाई की दाहिनी कलाई पर बांधी जाती है राखी? जानें मान्यता

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं. इसके बदले में भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है. यह त्योहार भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त 2025, शनिवार के दिन मनाया जाएगा. हर साल यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. रक्षाबंधन से जुड़ी एक ऐसी मान्यता है कि राखी हमेशा भाई की दाहिने हाथ में ही बांधनी चाहिए परंतु ऐसा क्यों है. जानते हैं कि इसके पीछे का धार्मिक कारण.

दाहिने हाथ पर राखी बांधने का महत्व

हम अक्सर ये चीज देखते हैं कि रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई की दाहिनी कलाई या दाहिने हाथ पर राखी या रक्षासूत्र बांधती हैं. दरअसल, हिंदू धर्म में दाहिना हाथ शुभता का प्रतीक माना जाता है. किसी भी पूजा-पाठ या धार्मिक कर्मकांड आदि में हमेशा दाहिने हाथ का प्रयोग किया जाता है. जब कोई पंडित यज्ञ कराता है या पूजा करवाता है, तो वह भी व्यक्ति को दाहिने हाथ से आहुतियां देने को ही कहता है. यही वजह है कि राखी जैसा पवित्र सूत्र भी भाई के दाहिने हाथ पर बांधा जाता है.

दाहिने हाथ पर राखी बांधने की दूसरी मान्यता है कि दाहिना हाथ ‘कर्म’ का हाथ होता है. यानी जो भी पवित्र कार्य, रक्षा या सहयोग करने वाले काम होते हैं, वह इसी हाथ से किए जाते हैं. बहन जब राखी बांधती है तो वह भाई से यही उम्मीद करती है कि वह हमेशा उसकी रक्षा करेगा, हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहेगा. इसलिए, यह रक्षा-सूत्र उस हाथ पर बांधा जाता है जो कर्म, संकल्प और शक्ति का प्रतीक होता है.

इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु, श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे कई प्रमुख देवताओं से जुड़ी धार्मिक क्रियाएं भी दाहिने हाथ से ही की जाती हैं. इन्हीं सब परंपराओं को ध्यान में रखते हुए आज भी दाहिने हाथ ही पर राखी बांधी जाती है.

रक्षाबंधन 2025 पूजन विधि (Raksha Bandhan 2025 Pujan Muhurat)

रक्षाबंधन के दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए. फिर पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें आधा घी वाला दीपक, मिठाई, चावल, रोली, राखी और फूल रखें. इसके बाद, घर के मंदिर या पूजा की जगह पर बैठकर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा करें. गणेश जी को सबसे पहले याद करना शुभ माना जाता है क्योंकि वे सभी बाधाएं दूर करते हैं.

पूजा की शुरुआत में दीपक जलाएं और भगवान गणेश व मां लक्ष्मी के चित्र या प्रतिमा के सामने हाथ जोड़कर आरती करें. फिर, राखी की थाली में रखी रोली से भाई की माथे पर तिलक लगाएं. उसके बाद बहन उसके कलाई पर राखी बांधती है और उसके अच्छे स्वास्थ्य और जीवन की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती है. पूजा के बाद एक दूसरे को मिठाई खिलाएं.

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