Vayam Bharat

‘सिफारिश के बाद भी जजों की नियुक्ति क्यों नहीं’, कानून मंत्री ने संसद में दिया ये जवाब

संसद में चर्चा के दौरान जजों की नियुक्ति का मुद्दा उठा. सवाल पूछा गया कि दो जजों की नियुक्ति के लिए दो नामों का सुझाव दिया गया था, लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं की गई है. इस पर सरकार ने कोई सीधा जवाब तो नहीं दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि आंकड़ों और रिपोर्ट्स के आधार पर उम्मीदवारों का आकलन किया जा रहा है.

Advertisement

एजेंसी के मुताबिक राज्यसभा में गुरुवार को पूछा गया कि मद्रास हाई कोर्ट में जज के लिए कॉलेजियम ने दो नामों की सिफारिश 2023 में की थी. इसमें एक नाम रामासामी नीलकंदन का था तो वहीं दूसरा जॉन सत्मय का. लेकिन अब तक उनकी नियुक्ति नहीं की गई है.

अपनी राय रखती है सरकार

लिखित जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा,’सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम जिन नामों की सिफारिश (अनुशंसा) करता है, सरकार उन नामों पर अपनी राय रखती है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में सबसे मेधावी और उपयुक्त कैंडिडेट की नियुक्ति हो रही है.’

क्या होता है MOP

केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा,’तय प्रक्रिया (MOP) के तहत हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश पर विचार किया जाना है. मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MOP) दस्तावेजों का एक सेट होता है, जो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और पदोन्नति के लिए काम में लिया जाता है.’

योग्यता चयन का सही तरीका

कानून मंत्री ने आगे कहा,’1993 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि मेरिट सिलेक्शन के लिए योग्यता के हिसाब से चयनित करना सबसे सही तरीका है. चुने जाने वाले उम्मीदवारों में निष्ठा, ईमानदारी, कौशल, भावनात्मक स्थिरता, दृढ़ता, शांति, कानूनी सुदृढ़ता, क्षमता और धीरज होना चाहिए.’

किस कैटेगरी के कितने जज

एक दूसरे सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा,’सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और उच्च न्यायपालिका में किसी भी जाति या वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है. इसलिए हाई कोर्ट के जजों में अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) के प्रतिनिधित्व से जुड़ा डेटा श्रेणी के साथ नहीं रखा जाता. सिफारिशों के आधार पर 2018 से नियुक्त किए गए 684 हाई कोर्ट जजों में से 21 एससी श्रेणी, 14 एसटी श्रेणी, 82 ओबीसी श्रेणी और 37 अल्पसंख्यक वर्ग से हैं. 31 अक्टूबर 2024 तक सुप्रीम कोर्ट में दो महिला जज और अलग-अलग हाई कोर्ट में 106 महिला जज काम कर रही हैं.

Advertisements