क्यों नहीं चला बाजार? दो बड़े कारणों ने रोकी तेजी, सेंसेक्स मामूली बढ़त पर बंद

भारतीय शेयर बाजार ने सोमवार को अच्छी शुरुआत की, लेकिन दिनभर उतार-चढ़ाव के बाद मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स करीब 80 अंक चढ़कर हरे निशान पर टिकने में सफल रहा, जबकि निफ्टी भी सीमित दायरे में कारोबार करता दिखा। हालांकि, बाजार की तेजी को दो बड़े कारणों ने रोक दिया।

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पहला कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली रही। बीते कुछ दिनों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार मुनाफावसूली कर रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा है। डॉलर इंडेक्स की मजबूती और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स में उछाल के चलते विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी से दूरी बना रहे हैं। इसका सीधा असर आईटी और बैंकिंग शेयरों पर पड़ा, जो बाजार की चाल को थामने वाले सेक्टर माने जाते हैं।

दूसरा बड़ा कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड फिर से 79 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गया है। इससे निवेशकों की चिंता बढ़ी है क्योंकि ऊंचे तेल दाम भारत के आयात खर्च और महंगाई पर असर डाल सकते हैं। यही वजह रही कि ऑटो और मेटल सेक्टर के शेयर दबाव में रहे।

हालांकि, इस सुस्त माहौल में भी कुछ स्टॉक्स ने निवेशकों को तगड़ा मुनाफा दिलाया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में जोरदार खरीदारी देखने को मिली। खासकर टाटा मोटर्स, अदानी पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी जैसे शेयरों में 10 से 15 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी अभी भी इन स्टॉक्स में बनी हुई है।

बाजार जानकारों का मानना है कि निकट भविष्य में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। वैश्विक संकेत, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर नीति और कच्चे तेल की चाल, भारतीय बाजार की दिशा तय करेंगे। हालांकि, लंबी अवधि के निवेशकों के लिए मौजूदा गिरावट अच्छे स्टॉक्स में खरीदारी का मौका मानी जा रही है।

आज के कारोबार ने यह साफ कर दिया कि विदेशी निवेश और कच्चे तेल की कीमतें ही इस समय बाजार की सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। सेंसेक्स भले ही हरे निशान पर बंद हुआ हो, लेकिन बाजार की असली मजबूती तभी लौटेगी जब वैश्विक दबाव कम होगा।

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