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ऑनलाइन कंपनियों पर क्यों भड़के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, ये है पूरा मामला

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनियों पर भड़के हुए हैं. हाल ही में अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आरोप लगाया कि ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं ने देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है. मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं को यह सोचना चाहिए कि उनकी खरीद से किसे लाभ होता है और उन्होंने जो बहस शुरू की है उससे सबक लेना चाहिए. आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला…

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क्या है मामला?

कमर्शियल और इंडस्ट्री मीनिस्टर पीयूष गोयल ने बुधवार को भारत में 1 अरब डॉलर के निवेश की अमेजन के ऐलान पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिकी रिटेलर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोई बहुत बड़ी सेवा नहीं कर रहा है, बल्कि देश में हुए नुकसान की भरपाई कर रहा है. उन्होंने कहा कि विदेश में हुए कंपनी को नुकसान की भरपाई की बू आती है. यह देश के लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि इसका असर करोड़ों छोटे रिटेल सेलर पर पड़ता है.

मंत्री ने कहा कि ई-कॉमर्स सेक्टर की एक भूमिका है, लेकिन बहुत सावधानी और सतर्कता से इस भूमिका को समझना और सोचना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां छोटे खुदरा विक्रेताओं के हाई प्राइस, उच्च-मार्जिन वाले उत्पादों को खत्म कर रही हैं, जो एकमात्र ऐसी वस्तु हैं जिनके जरिए छोटे और पोप स्टोर जीवित रहते हैं. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रेस्तरां और ऑनलाइन फूड प्रोडक्ट खरीदने वाले लोगों पर क्लाउड किचन के प्रभाव को देखना होगा.

क्यों भड़के हैं पीयूष गोयल?

चार्टर्ड अकाउंटेंट के एक कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में गोयल ने कहा कि भारतीय कानून में यह प्रावधान है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए देश में केवल कंपनियों के बीच (बी2बी) लेन-देन की ही अनुमति है. गोयल ने कहा, दुख की बात है कि कानून का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है. इसके अनुरूप ढांचे बनाए गए हैं जो छोटे व्यापारियों और छोटे खुदरा विक्रेताओं के हितों के लिए हानिकारक हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अमेजन जैसी कंपनियों की गहरी जेबें उन्हें बाजार बिगाड़ने वाले मूल्य निर्धारण में लिप्त होने में मदद करती हैं और वे उपभोक्ता की पसंद और वरीयताओं को प्रभावित करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग भी करती हैं.

मंत्री ने बुधवार को देश में छोटी दुकानों के अस्तित्व को लेकर चिंता जताते हुए बहस छेड़ दी थी. उन्होंने कहा था कि कीमतों में बहुत ज्यादा वृद्धि हो रही है और साथ ही उन्होंने सामाजिक व्यवधानों की भी चेतावनी दी थी, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग बेरोज़गार हो रहे हैं. गुरुवार को उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नहीं है, बल्कि चाहती है कि वे निष्पक्ष और ईमानदार रहें. उन्होंने कहा था कि सरकार ऑनलाइन कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहती है और ऐसी इकाइयों के पक्ष में है, जिनमें गति और सुविधा जैसे जबरदस्त लाभ हैं.

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