कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश विजय सिंह कावछा की अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि बिना किसी ठोस कारण के पति से अलग रह रही पत्नी भरण-पोषण राशि की हकदार नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान अनावेदक सिंधी कैंप, पश्चिमी स्कूल के पीछे, करियापाथर निवासी पति प्रिंस उर्फ पंकज अहिरवार की ओर से अधिवक्ता संदेश दीक्षित ने पक्ष रखा।
दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप झूठा
उन्होंने दलील दी कि 27 अप्रैल, 2018 को अनावेदक का विवाह आवेदिका शिवानी अहिरवार के साथ हिंदू वैदिक रीति-रिवाज से हुआ था। पत्नी ने दहेज के लिए प्रताड़ित करने का झूठा दोषारोपण किया है। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं था। वह अपनी मर्जी से ससुराल से मायके चली गई। अब वह संतोषजनक व पर्याप्त कारण के बिना ही पृथक निवास कर रही है। ऐसे में भरण-पोषण राशि की मांग बेमानी है।
ठेकेदारी का कार्य किए जाने की बात मनगढ़ंत
ऐसा इसलिए भी क्योंकि अनावेदक पति सब्जी का ठेला लगाकर किसी तरह गुजर-बसर करता है। उसके द्वारा ठेकेदारी आदि का कार्य किए जाने की बात मनगढ़ंत है। आवेदिका जब तक ससुराल में रही, उसकी सुख-सुविधा का पति द्वारा पूरा ख्याल रखा गया। यहां तक कि उसकी जिद पूरी करने के लिए अलग से किराए का मकान तक लेकर रहा। इसके बावजूद वह क्लेश करके चली गई। ऐसे में भरण-पोषण राशि की मांग निरस्त करने योग्य है।
हाईकोर्ट ने सरकार पर लगाया 10 हजार का जुर्माना
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने शासकीय कर्मियों के नियमितिकरण के मामले में लापरवाही बरते जाने पर सरकार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। पूर्व आदेश के पालन में कलेक्टर निवाड़ी हाजिर हुए। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी। साथ ही अभिवचन दिया कि 90 दिन के भीतर याचिकाकर्ताओं के हक में आदेश पारित कर देंगे। कोर्ट ने इस जानकारी को अभिलेख पर लेते हुए मामले का पटाक्षेप कर दिया। याचिकाकर्ता पृथ्वीपुर तहसीलदार के कार्यालय में सेक्शन राइटर पद पर कार्यरत महेश कुमार कोरी सहित अन्य की ओर से पक्ष रखा गया।
जानिए क्या है मामला?
दलील दी गई कि याचिकाकर्ता 30 वर्षों से नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लिहाजा, शासन की नीति अनुसार कुशल श्रमिकों के बराबर का दर्जा देते हुए संबंधित सभी लाभ दिए जाने चाहिए। इस मांग को लेकर कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन दिया था, जिसे निरस्त कर दिया गया। हाई कोर्ट ने पाया कि उक्त मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, जहां से सरकार की याचिका निरस्त हो चुकी है। लिहाजा, कलेक्टर को हाजिर होने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने आकर माफी मांग ली। इसके बाद जुर्माने सहित मामले का निराकरण कर दिया गया।