अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से शपथ ली है तब से एक्शन मूड में दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन से ही इमीग्रेशन पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. ट्रंप ने मैक्सिको के साथ दक्षिणी सीमा और आपराधिक गिरोहों को चिन्हित किया है, जिसके बाद अमेरिका में रहने वाले भारत के हजारों लोगों के ऊपर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
अमेरिका भारतीयों को अधिकांश कार्य के लिए H-1B वीजा देता है और अनुमान है कि 300,000 भारतीय छात्र अमेरिका में हैं, जोकि किसी भी विदेशी देश से सबसे बड़ा ग्रुप है. यहां 20,000 से अधिक लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अगर ट्रंप प्रशासन निर्वासन पर आगे और कदम बढ़ता है, तो सबसे पहले प्रभावित होने वालों में नवंबर 2024 तक 20407 भारतीय हो सकते हैं, जिनके पास कोई कागजात नहीं है. ये वे भारतीय हैं जो या तो आखिरी निष्कासन आदेश का सामना कर रहे हैं या वर्तमान में अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) के हिरासत केंद्रों में हैं.
इन भारतीयों में से 17,940 ऐसे हैं जिनके पास कागज न होने के बावजूद भी हिरासत में नहीं हैं, लेकिन आखिरी निष्कासन आदेश के तहत हैं और अन्य 2,467 ICE के प्रवर्तन और निष्कासन संचालन (ERO) के तहत हिरासत में हैं. अमेरिका में हिरासत में लिए गए लोग एशियाई लोगों में पहले स्थान पर हैं. नवंबर 2024 तक हिरासत में लिए गए सभी देशों के गैर-नागरिकों की कुल संख्या 37,000 से अधिक हो गई है.
अमेरिका से निर्वासित भारतीयों की संख्या 5 गुना बढ़ी
अमेरिका में निष्कासन आदेश एक इमीग्रेशन जज की ओर से जारी किया जाता है जो अपीलीय प्राधिकारी द्वारा पुष्टि किए जाने पर अंतिम निष्कासन आदेश बन जाता है. ICE ने भारत को इराक, दक्षिण सूडान और बोस्निया-हर्जेगोविना के साथ उन 15 असहयोगी देशों की सूची में शामिल किया है जो अपने बिना डॉक्यूमेंट वाले नागरिकों को अमेरिका से वापस स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक हैं. आईसीई की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, निर्वासित भारतीयों की संख्या चार वर्षों में पहले ही पांच गुना बढ़ गई है. साल 2021 में ये संख्या 292 थी, जोकि 2024 में बढ़कर 1,529 तक पहुंच गई है.