समाजवादी पार्टी से एक साल पहले बगावत कर बीजेपी खेमे के साथ खड़े बाहुबली अभय सिंह की विधायकी पर अभी तक भले ही किसी तरह का कोई खतरा न आए हो, लेकिन 14 साल पुराने एक मामले से उनकी मुश्किलें बढ़ गई है. अभय सिंह पर हत्या कराने का आरोप हैं, जिस पर बुधवार को लखनऊ हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. यह सुनवाई अभय सिंह के राजनीतिक भविष्य को तय करने के साथ उनकी विधायकी बचेगी या नहीं, इसका भी फैसला करेगी.
लखनऊ हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने पिछले महीने 14 साल पुराने एक मामले में बाहुबली अभय सिंह को लेकर अलग-अलग फैसला सुनाया था. जस्टिस एआर मसूदी ने अभय सिंह सहित पांच आरोपियों को तीन साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था जबकि जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने अभय सिंह सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
हाईकोर्ट के दोनों जजोंकी तरफ से अलग-अलग फैसला सुनाए जाने के चलते केस को चीफ जस्टिस ने जस्टिस राजन रॉय की बेंच को ट्रांसफर कर दिया था. अब इस मामले में सुनवाई होने जा रही है, जिसका फैसला कानूनी रूप से अंतिम होगा तो अभय सिंह के सियासी भविष्य को भी तय करेगा.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ये मामला साल 2010 का है. उस समय यूपी में मायावती की सरकार थी. अयोध्या जिले के रहने वाले विकास सिंह ने 2010 में बाहुबली अभय सिंह पर अंधाधुंध फायरिंग और जान से मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया था. मामला था कि रात साढ़े आठ बजे विकास सिंह अपने साथियों से साथ अयोध्या लौट रहे थे, तभी काली सफारी गाड़ी ने उन्हें ओवरटेक किया. जिसमें बैठे अभय सिंह ने अपने साथियों के साथ विकास सिंह की गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी. इस मामले में पुलिस ने विकास सिंह की तहरीर पर हत्या के प्रयास और अन्य धाराओं में अभय सिंह और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
ट्रायल के बादट्रांसफर हुआ केस
पुलिस ने मामले की जांच कर अभय सिंह सहित सभी सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. अयोध्या की एमपी/एमएलए कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ, लेकिन 2022 में एक आरोपी शंभूनाथ सिंह ने ट्रायल को दूसरे जिले में ट्रांसफर करने की अपील की. 2023 में हाई कोर्ट ने ट्रायल अंबेडकर नगर की एमपी/एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया.
दो जजों ने सुनाया था अलग-अलग फैसला
10 मई 2023 को आंबेडकर नगर कोर्ट ने अभय सिंह सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया, जिसे लेकर विकास सिंह ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल किया. मामला हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में पहुंचा, जहां 20 दिसंबर 2024 को दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसले सुनाए. जस्टिस एआर मसूदी ने अभय सिंह समेत पांच आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई तो जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने उन्हें बरी कर दिया.
उलझन में पड़ गया फैसला
हाईकोर्ट के दो जजों के अलग-अलग फैसलों के कारण यह मामला न्यायिक उलझन में पड़ गया और इसे चीफ जस्टिस अरुण भंसाली की बेंच को सौंपा गया. चीफ जस्टिस ने इस मामले को जस्टिस राजन रॉय की बेंच को ट्रांसफर कर दिया. जहां आज सुनवाई होगी. हाईकोर्ट में जस्टिस राजन रॉय के अदालत में चलने वाला फैसला बाहुबली विधायक अभय सिंह के लिए कानूनी रूप में अंतिम नहीं बल्कि सियासी भविष्य को भी तय करने वाला होगा.
कोर्ट से तय होगा राजनीतिक भविष्य
जस्टिस राजन रॉय के फैसले में बाहुबली विधायक अभय सिंह को अगर दोषी करार दिए जाते हैं और सजा दो साल से ज्यादा होती है तो फिर उनकी विधानसभा की सदस्यता खतरे में पड़ जाएगी. वहीं, अगर बरी कर दिए जाते हैं तो अभय सिंह के लिए बड़ी जीत होगी. इस तरह से जस्टिस रॉय का फैसला अभय सिंह के लिए सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा है.
सपा छोड़ बीजेपी में गए अभय
अभय सिंह ने सपा के टिकट पर 2022 में अयोध्या जिले की गोसाईगंज सीट से विधायक चुने गए थे. फरवरी, 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में अभय सिंह ने सियासी पाला बदल लिया था. सपा के बजाय बीजेपी खेमे के साथ खड़े नजर आए थे. राज्यसभा चुनाव में खुलकर अभय सिंह ने बीजेपी का साथ दिया था. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए आंबेडकर नगर और आयोध्या में प्रचार करते हुए नजर आए थे.
सपा से बागी होने के बाद भी बाहुबली अभय सिंह की विधायकी पर अभी तक किसी तरह का कोई संकट नहीं गहराया, लेकिन 2010 के मामले में उनकी टेंशन बढ़ गई है. जस्टिस राजन रॉय के फैसले से अभय सिंह के सियासी भविष्य की अब इबारत लिखी जाएगी. ऐसे में देखना होगा कि जस्टिस राजन रॉय क्या फैसला सुनाते हैं?