20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ के बाद एक बार फिर से भारत समेत दुनिया के उन देशों की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं, जो अपने जरुरत का 70 फीसदी से ज्यादा आयात करते हैं. ऐसे में कयास लगाए जा सकते हैं कि कि भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में फिर से गिरावट देखने को मिल सकती है. इस बात के संकेत देश के ऑयल मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने भी दे दिए हैं.
वास्तव में डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका एक बार फिर से क्रूड ऑयल प्रोडक्शन में इजाफा करेगा. जिसकी वजह से कच्चे तेल की सप्लाई ज्यादा होगी और कीमतें कंट्रोल में आएगी. जिससे उन देशों में पेट्रोल और डीजल के दाम कम होंगे, जो अपनी जरूरत का 70 फीसरी से ज्यादा तेल इंपोर्ट करते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि देश के ऑयल मिनिस्टर ने किस तरह की जानकारी है.
बढ़ेगी अमेरिकी तेल की सप्लाई
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाले नए प्रशासन की तेल एवं गैस उत्पादन अधिकतम करने की योजनाओं को देखते हुए भारत में अधिक अमेरिकी तेल आने की संभावना है. पुरी ने यहां वाहन उद्योग निकाय सियाम के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को तेल की सप्लाई करने वालों की संख्या पहले ही 27 से बढ़कर 39 हो गई है और अगर इससे अधिक तेल आता है, तो भारत इसका स्वागत करेगा.
पुरी ने तेल और गैस प्रोडक्शन बढ़ाने की दिशा में ट्रंप प्रशासन के कदमों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अगर आप मुझसे पूछें कि क्या बाजार में और अधिक अमेरिकी फ्यूल आने वाला है, तो मेरा जवाब हां है. अगर आप कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच फ्यूल की अधिक खरीद की प्रबल संभावना है, तो इसका जवाब हां है.
तेल की कीमतों में गिरावट के संकेत
हालांकि पुरी ने यह कहा कि सरकार नए अमेरिकी प्रशासन की घोषणाओं पर बहुत सावधानी से नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लिए गए कुछ निर्णय प्रत्याशित थे और इन पर प्रतिक्रिया देने से पहले इंतजार करने की जरूरत है. हालांकि पुरी ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने के नए अमेरिकी सरकार के फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
पेट्रोलियम मंत्री ने अमेरिका, ब्राजील, गुयाना, सूरीनाम और कनाडा से अधिक तेल आने का जिक्र करने के साथ कीमतों में गिरावट का संकेत भी दिया. उन्होंने वाहन विनिर्माताओं से भारतीय बाजार में अधिक एथनॉल मिश्रण वाले फ्लेक्स ईंधन वाहनों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कहा. इसके साथ ही पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि देश बहुत जल्द 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने जा रहा है, जो निर्धारित समय से पांच साल पहले होगा.
क्या सस्ता होगा पेट्रोल और डीजल?
अगर अमेरिकी तेल मार्केट में ज्यादा से ज्यादा आता है तो इंटरनेशनल मार्केट में अमेरिकी और खाड़ी देशों का तेल सस्ता होगा. जिसकी वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी और देश में महंगाई भी कंट्रोल में रहेगी. जानकारों की मानें तो डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में कच्चे तेल के प्रोडक्शन में इजाफा देखने को मिला था और इंटरनेशनल मार्केट में अमेरिकी तेल के आने से कीमतें काफी कम देखने को मिली थी. अब भी कुछ ऐसा ही होने की संभावना है. जिससे भारत जैसे उन देशों को फायदा होगा, जो अपनी जरूरत का ज्यादा तेल इंपोर्ट करते हैं.
कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट
वहीं दूसरी ओर इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. अमेरिकी क्रूड ऑयल डब्ल्यूटीआई 2.25 फीसदी की गिरावट के साथ 76.13 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं. जबकि खाड़ी देशों के तेल ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 1.17 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है और कीमतें 79.21 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं. जानकारों की मानें तो ट्रंप प्रशासन के एक्टिव होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट देखने को मिलेगी.