अगले महीने RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक से पहले सेंट्रल बैंक के ऊपर ब्याज दरों में कमी का दबाव बढ़ गया है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के ब्याज दरें घटाने के सुझाव के बाद अब खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्याज दरों को लेकर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को एक बड़ा संदेश दिया है.
उनका कहना है कि भारत के विकास को गति देने के लिए कर्ज की ब्याज दरें कम होनी चाहिए. हालांकि पीयूष गोयल को RBI गवर्नर ने उसी समय जवाब दिया था कि वो इसका सटीक उत्तर मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में देंगे. लेकिन अब जिस तरह से वित्त मंत्री ने देश के विकास और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों को सस्ता बनाना बेहद जरूरी बताया है, उससे RBI ब्याज दरों को लेकर गंभीरता से विचार जरुर करेगी.
महंगे कर्ज के चलते संकट में उद्योग
ये बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में छोटे और मध्यम उद्योग यानी MSMEs आर्थिक दबाव से जूझ रहे हैं. महंगे कर्ज के चलते नए प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ रहा है. दरअसल, भारत में फिलहाल बैंकों की कर्ज पर ब्याज दरें विकसित देशों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं. देश में औसतन ब्याज दर 8 से 10 परसेंट तक हैं, वहीं अमेरिका में ये दरें 4 से 5 परसेंट के बीच हैं. जबकि जापान में करीब 0 परसेंट ब्याज दर हैं.
वैसे तो भारत अभी विकासशील देश है और इन देशों की तरह तो यहां पर ब्याज दरों को नहीं घटाया जा सकता. लेकिन फिर भी भारत को अपनी ब्याज दरों को वैश्विक मानकों के हिसाब से कम करने की जरूरत है. देश के उद्योग जगत ने भी ब्याज दरों में कटौती की मांग करते हुए कहा है कि ब्याज दरें घटाने का फैसला RBI की पॉलिसी के हिसाब से तय होगा लिहाजा अब रेपो रेट को कम करने पर विचार करना चाहिए.
बढ़ती महंगाई चिंता का विषय
उद्योग के जानकार मानते हैं कि महंगी ब्याज दरों के चलते MSMEs और स्टार्टअप्स को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. सरकार ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता देश के विकास को गति देना है. ब्याज दरों में कमी से ना केवल छोटे उद्योगों को फायदा होगा बल्कि बड़े प्रोजेक्ट्स को भी नई ऊर्जा मिलेगी. ये कदम रोजगार के नए मौके पैदा करने और GDP को मजबूती देने में भी मददगार साबित हो सकता है.
हालांकि, ब्याज दरों को कम करना इतना आसान नहीं है. आरबीआई का कहना है कि महंगाई दर और विदेशी निवेश जैसी कई वजह हैं जो ब्याज दरों पर सीधा असर डालते हैं. इसके अलावा अगर ब्याज दरें कम होती हैं तो बैंकों की कमाई और जमा पर भी असर पड़ सकता है.
वित्त मंत्री के इस बयान ने बैंकों और उद्योगों के बीच एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है. अब देखना होगा कि आरबीआई और बैंक इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं. इसके अलावा अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) बढ़कर 6.21% हो गई, जो पिछले महीने 5.49% थी. ऐसा माना जा रहा है कि त्योहारी सीजन में हाई फूड प्राइस के कारण महंगाई दर में इजाफा हुआ है. अगस्त 2023 के बाद यह पहली बार था जब महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6% की सहनीय सीमा को पार कर गई.