बिहार में 2003 की लिस्ट से तय होगा वोटर का भविष्य? जानिए EC ने क्यों दिया अनुच्छेद 326 का हवाला

बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिविजन को लेकर विवाद जारी है. इस बीच निर्वाचन आयोग ने अनुच्छेद 326 के प्रावधानों का उल्लेख अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पोस्ट में किया है. इसके जरिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र लोग इसमें शामिल हों.

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले अनिवार्य प्रक्रिया के तहत किए जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर एक ओर जहां विपक्ष के बूथ लेवल एजेंट सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, वहीं अदालतों और सड़कों पर उतर कर विपक्ष इसका विरोध कर रहा है. इस क्रम में विपक्ष ने बिहार बंद के जरिये अपनी लड़ाई सड़क तक पहुंचा दी.

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इंडी गठबंधन के कई दल इस मुद्दे पर मुखर हैं. चाहे कांग्रेस के राहुल गांधी हों, राजद के तेजस्वी यादव, सपा के अखिलेश या फिर AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी. इसी गहमागहमी के बीच निर्वाचन आयोग ने अनुच्छेद 326 के प्रावधानों का उल्लेख अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पोस्ट में किया है. इसके जरिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र लोग इसमें शामिल हों.

संविधान का अनुच्छेद 326 वोटर की पात्रता बताता है कि पुनरीक्षण में सभी पात्र लोग शामिल होंगे. आयोग 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड करेगा. उससे उन मतदाताओं को सुविधा होगी जिनके माता-पिता के नाम पहले से मतदाता सूची में रहे हैं.

अनुच्छेद 326 में कहा गया है कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचनों का आधार वयस्क मताधिकार होता है. लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. यानी भारत का प्रत्येक नागरिक जो वयस्क यानी बालिग यानी जिसकी अवस्था 18 साल की हो चुकी है. यानी नागरिक ऐसी तारीख को जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए, कम से कम अठारह वर्ष की आयु का है और इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्तविकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा.

बिहार की मतदाता सूची का जिक्र करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में जो भी व्यक्ति एक जनवरी 2003 की मतदाता सूची में है, उसे संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्राथमिक दृष्टिकोण से योग्य माना जाएगा. दूसरे शब्दों में, जिन लोगों के नाम उस सूची में हैं, उन्हें कोई कागज जमा करने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि आयोग जल्द ही 2003 की बिहार मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देगा. इसमें शामिल करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए गणना प्रपत्र के साथ संलग्न किए जाने वाले संबंधित हिस्से को निकालने में सुविधा होगी.

ज्ञानेश कुमार के मुताबिक जिन मतदाताओं के माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, उन्हें केवल अपने जन्म स्थान/तिथि के बारे में दस्तावेज देने होंगे. बिहार में अभी 243 विधानसभा सीट पर 7.89 करोड़ से अधिक मतदाता हैं. राज्य में इस साल अक्टूबर आखिर या नवंबर के पहले हफ्ते में विधानसभा चुनाव होने की प्रबल संभावना है. मतदान तीन से चार चरणों में कराया जा सकता है. बिहार विधान सभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 तक है. उससे पहले चुनाव प्रस्तावित हैं.

 

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