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बलरामपुर में हाथी की मौत, पूरी प्लानिंग के साथ किसान ने खेत में बिछाया बिजली का तार

बलरामपुर: मानिकपुर सर्किल के मुरका गांव अंतर्गत पी 3492 जंगल में जंगली हाथियों का दल घूम रहा है. हाथियों की निगरानी लगातार वन विभाग की टीम कर रही है. रविवार रात हाथियों के दल से 1 हाथी के बिछड़ने की जानकारी मिली और सोमवार सुबह जंगल के किनारे स्थित धान के खेत में हाथी का शव मिला. हाथी का शव मिलने के बाद वन विभाग ने जांच शुरू की.

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हाथी की मौत मामले में जांच के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि खेत के चारों तरफ बिजली का तार लगाया गया था. खेत मालिक ने जानबूझकर हाथी को मारने के लिए हाई वोल्टेज बिजली तार में क्लच वायर से जोड़कर करंट लगाया गया था. जिसकी चपेट में आने से नर हाथी की मौत हो गई. इस खुलासे के बाद वन विभाग ने आकोपी खेत मालिक मुरका निवासी रामबक्स को गिरफ्तार कर लिया है.

हाथी को मारने खेत मालिक ने जानबूझकर लगाया बिजली का तार: सरगुजा सीसीएफ माथेश्वरण बी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि बलरामपुर के मानिकपुर सर्किल में हाथी की मौत मामले में जांच से पता चला कि किसान ने अपने खेतों के चारों ओर करंट लगाया था. किसान ने बताया कि उसने हाथी को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर बिजली तार लगाया था. किसान के मुताबिक हाथी शनिवार को भी उसके खेत की तरफ पहुंचा था, उस दिन किसान ने कुछ नहीं किया लेकिन दूसरे दिन रविवार को शाम 4 बजे बिजली का तार लगाया. रात को 9 बजे के लगभग जोर से आवाज आई. उस दौरान हाथी करंट की चपेट में आया.

किसान को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने अपना जुर्म कबूल किया है. वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के अनुसार कार्रवाई की जा रही है. कोशिश रहेगी कि आरोपी को ज्यादा से ज्यादा सजा सुनाई जाए. ताकि दूसरे लोग ऐसा काम ना कर सकें हाथी का पोस्टमॉर्टम कर उसका शव दफनाया गया है: माथेश्वरण बी, सीसीएफ, सरगुजा

बलरामपुर में घूम रहे 35 हाथी: मुख्य वन संरक्षक माथेश्वरण बी ने बताया कि वाड्रफनगर में हाथियों के दो दल यहां घूम रहे हैं. एक दल में 6 हाथी है. दूसरे दल में 11 हाथी है. 25 किलोमीटर दूर दो नर हाथी भी घूम रहे हैं. पूरे वाड्रफनगर में कुल 35 हाथी घूम रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में हाथियों की बढ़ती संख्या पर अधिकारी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के चार जिले बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर, जशपुर हाथी प्रभावित जिले हैं. 1930 तक छत्तीसगढ़ में हाथी थे. उसके बाद 1990 से हाथियों का मूवमेंट छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ. इस बीच लगभग 87 साल तक हाथियों का कोई गतिविधि नहीं थी. झारखंड में खदानों के लिए जंगल की कटाई के बाद वहां से हाथी छत्तीसगढ़ पहुंचना शुरू किए. यहां के जंगल अच्छे हैं इस वजह से हाथी यहां पहुंच रहे हैं और यहां अनुकूल परिस्थतियों के कारण हाथियों की संख्या भी बढ़ रही है. जो अच्छे संकेत है.

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