बिहार में महिलाएं भी हो रही हैं आत्मनिर्भर… सरकार की इन योजनाओं से बदल रही तस्वीर

पटना में बुधवार को ‘प्रयास व्यक्तिगत उद्यम योजना’ विषय पर एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसका मकसद ग्रामीण महिलाओं, विशेषकर स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को व्यक्तिगत ऋण के माध्यम से छोटे-छोटे उद्यमों की स्थापना के लिए प्रेरित करना और उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना था. इसे बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) एवं वुमन वर्ल्ड बैंकिंग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया.

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कार्यशाला में जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के मुख्य महाप्रबंधक सत्यकी रस्तोगी, वुमन वर्ल्ड बैंकिंग की क्षेत्रीय प्रमुख कल्पना अय्यन की उपस्थिति रही. इनके अतिरिक्त राज्य स्तर के विभिन्न प्रतिनिधि, जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक, संकुल स्तरीय संघों की अध्यक्षाएं एवं सदस्याएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुईं.

प्रयास योजना का मकसद है समूह आधारित वित्तीय समावेशन से आगे बढ़कर व्यक्तिगत ऋण के माध्यम से महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ना. समूह सदस्यों को 50 हजार से 2 लाख तक का ऋण संकुल स्तरीय संघों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाय. यह योजना उन महिलाओं के लिए एक नई दिशा प्रदान करती है जो सिलाई, दुकानदारी, पशुपालन, प्रसंस्करण, कृषि आधारित उद्यम, खाद्य उत्पाद निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं.

जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा ने कहा कि हमारी प्राथमिकता हमेशा महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की रही है. हमने समूह आधारित वित्त पोषण को सफलतापूर्वक लागू किया है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम महिलाओं को व्यक्तिगत उद्यम के लिए प्रोत्साहित करें. प्रयास योजना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने बताया कि बैंकों का जीविका सामुदायिक संगठनों पर विश्वास बढ़ा है जिसके कारण वर्तमान में अनेकों बैंक ऋण प्रदान करने के लिए इच्छुक रहते हैं.

वहीं SIDBI के मुख्य महाप्रबंधक सत्यकी रस्तोगी ने कहा कि बिहार की महिलाएं अब केवल घरेलू कार्यों तक सीमित नहीं हैं. वे आर्थिक गतिविधियों में आगे बढ़ रही हैं. प्रयास जैसी योजनाएं उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर देती हैं. SIDBI महिला उद्यमिता को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. हम जीविका के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उन्नयन के लिए काम कर रहे हैं.

वुमन वर्ल्ड बैंकिंग की क्षेत्रीय प्रमुख कल्पना अय्यन ने कहा कि दुनिया भर में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ रही है. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह बदलाव तेज गति से हो रहा है. बिहार में हमलोग इस योजना के तहत 4 जिलों में लगभग 7 करोड़ रूपये ऋण स्वयं सहायता समूहों को उपलब्ध करायी गयी है.

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