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पूजा खेडकर की बढ़ी मुश्किलें, वाशिम में ट्रेनी IAS के घर पहुंची महिला पुलिस की टीम, ढाई घंटे बाद बाहर निकली

महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सोमवार देर शाम पुलिस की टीमें पूजा के वाशिम स्थित घर पहुंचीं और उनके पूछताछ की. पूजा के घर वाशिम की महिला पुलिस की टीम गई थी. पूजा ने वाशिम कलेक्टर बुवेनेश्वरी एस से अनुमति लेकर कुछ जानकारी साझा करने के लिए पुलिस को फोन किया था. पुलिस की टीमें पूजा के पिता दिलीप खेडकर और मां मनोरमा खेडकर की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही हैं. जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद और फायरिंग की घटना के बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

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इधर, पूजा खेडकर की नौकरी पर भी संकट आ गया है. पूजा का जिस सरकारी अस्पताल से दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र जारी किया गया था, उसकी रिपोर्ट तलब की गई है. ये रिपोर्ट केंद्रीय जांच कमेटी को सौंपी जाएगी. उसके बाद एक्शन लिया जाएगा. इस कार्रवाई में पूजा खेडकर की आईएएस की नौकरी पर भी संकट मंडरा रहा है.

ढाई घंटे तक पूजा के घर में रही पुलिस

ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के वाशिम स्थित घर पर 3 महिला पुलिसकर्मियों की टीम गई थी. इनमें एक एसीपी थीं, जो टीम को लीड कर रही थीं. सोमवार रात करीब 10.30 बजे वाशिम पुलिस पूजा खेडकर के घर पहुंची और रात 1 बजे बाहर आई. पूजा की पुलिस से क्या बातचीत हुई है, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है. जब पुलिस से कारण पूछा गया तो कहा गया कि वे आधिकारिक उद्देश्य से आए हैं.

‘जांच कमेटी के सामने रखूंगी अपनी बात’

इससे पहले पूजा खेडकर सोमवार को जब ऑफिस से बाहर निकलीं तो मीडिया से बातचीत की और कहा कि वो अपने ऊपर लग रहे सभी आरोपों का जवाब कमेटी के सामने देंगी. पूजा ने कहा, मुझे जो भी कहना है, वो कमेटी के सामने कहूंगी और कमेटी जो भी निर्णय लेगी, वो मुझे स्वीकार्य होगा. जो चल रहा है, वो मीडिया ट्रायल है. लोग देख रहे हैं, जो भी सच्चाई होगी वो सामने आ जायेगी. भारतीय संविधान के अनुसार, जब तक आरोप सिद्ध ना हो जाएं तब तक किसी व्यक्ति को दोषी नहीं कहा जा सकता है.

आईएएस पूजा खेडकर के माता-पिता फरार?

पुलिस ने बताया कि आईएएस पूजा खेडकर के माता-पिता गायब हैं. उनके घर पर ताले लटके हैं. पुलिस की टीम ने वहां छापा मारा था. उनके फोन भी बंद जा रहे हैं. पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख के मुताबिक, हम उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. स्थानीय अपराध शाखा और पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के साथ कई टीमें पुणे और उसके आसपास उनकी तलाश कर रही हैं. आरोपियों की तलाश कर उनसे पूछताछ की जायेगी.

पुणे ग्रामीण पुलिस ने स्थानीय अपराध शाखा की तीन टीमें बनाई हैं. उनकी मदद से खेडकर परिवार की तलाश की जा रही है. उनके फोन बंद होने के कारण उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया है.

मां का वीडियो वायरल होने पर एफआईआर

पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें वो एक किसान को पिस्तौल दिखाकर धमकाती नजर आ रही थीं. संबंधित किसानों ने पुणे जिले के मुलशी तालुका के पौड पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, पुलिस ने उस वक्त शिकायत दर्ज नहीं की थी. मनोरमा खेडकर का यह वीडियो तब वायरल हुआ जब पूजा मामले में नए-नए खुलासे हो रहे थे. इसके बाद पौड पुलिस ने मनोरमा खेडकर और दिलीप खेडकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

क्या है आईएएस पूजा खेडकर का विवादित मामला?

2023 बैच की पूजा खेडकर पर पुणे में प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी के रूप में काम करते हुए पद के दुरुपयोग का आरोप है. पूजा ने कई सुविधाओं की मांग की थी. दरअसल, ये सुविधाएं प्रशिक्षु अधिकारियों को नहीं मिल पातीं हैं, फिर भी पूजा ने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया. अपने वाहन पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का साइनबोर्ड लगाया और एक आधिकारिक कार, आवास, कार्यालय कक्ष और अतिरिक्त स्टाफ की मांग की. इतना ही नहीं, उन्होंने सीनियर अधिकारी की अनुपस्थिति में उनके चैंबर पर भी कब्जा कर लिया था. इन सभी मामलों के बाद पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और पूजा खेडकर की शिकायत की थी. उसके बाद पूजा का तबादला वाशिम जिले में कर दिया गया. वहां उन्होंने असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में जॉइन कर लिया है.

इसके अलावा, यह भी आरोप है कि पूजा खेडकर ने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र जमा करके यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया था. उसके आधार पर विशेष रियायतें पाकर वो आईएएस बनीं. यदि उन्हें यह रियायत नहीं मिलती तो उनके लिए प्राप्त अंकों के आधार पर आईएएस पद प्राप्त करना असंभव होता. चयन के बाद पूजा को मेडिकल जांच से गुजरना था, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया. उन्होंने विभिन्न कारणों से छह बार मेडिकल परीक्षण से इनकार कर दिया. बाद में बाहरी मेडिकल एजेंसी से एमआरआई रिपोर्ट जमा करने का विकल्प चुना, जिसे यूपीएससी ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हालांकि बाद में यूपीएससी ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. इसके चलते सरकार से इसकी जांच की मांग की जा रही है.

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