मध्य प्रदेश में गांव-गांव बिक रही शराब और पेकारी से हर कोई परेशान है. शराब की वजह से क्राइम और घरेलू झगड़े लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के बीकोर गांव में मंगलवार शाम जो घटना सामने आई, उसने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों गांव-गांव में खुल रही शराब की दुकानें आम लोगों के लिए सिरदर्द बनती जा रही हैं. बीते मंगलवार शाम लगभग साढ़े छह बजे गांव की महिलाओं ने सामूहिक रूप से कदम उठाते हुए देसी शराब की एक लाइसेंसी दुकान में आग लगा दी. देखते ही देखते दुकान में रखा लाखों रुपए का माल जलकर खाक हो गया.
ग्रामवासियों के अनुसार, बीकोर गांव में लंबे समय से यह शराब की दुकान विवाद का कारण बनी हुई थी. गांव के पुरुषों की शराबखोरी ने न केवल घरों का माहौल बिगाड़ दिया था, बल्कि घरेलू हिंसा और आर्थिक तंगी जैसी समस्याओं को भी जन्म दिया था. महिलाएं लगातार इस दुकान का विरोध कर रही थीं. उनका कहना था कि गांव में शराब की दुकान रहने से युवा और मजदूर वर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. खेत-खलिहानों में काम करने वाले लोग दिनभर की कमाई का बड़ा हिस्सा शराब में उड़ा देते थे. इससे घर की महिलाओं और बच्चों के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो रहा था.
शराब की बोतलें निकालकर बाहर फेंकी
गांव की महिलाओं का गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि बीते मंगलवार की शाम उन्होंने शराब दुकान पर धावा बोल दिया. वहां रखी पेटियों से शराब की बोतलें निकाल-निकालकर बाहर फेंकी गईं और फिर आग के हवाले कर दी गईं. लपटें इतनी तेज थीं कि कुछ ही देर में पूरी दुकान जलकर राख हो गई. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें साफ दिख रहा है कि महिलाएं एकजुट होकर शराब को नष्ट कर रही हैं.ॉ
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची. आबकारी निरीक्षक सतीश कुमार ने बताया कि इस दुकान का लाइसेंस वंशिका कंस्ट्रक्शन के पार्टनर रामलाल झारिया के नाम से जारी किया गया है. तहसीलदार निर्मल पटले और सहायक आबकारी अधिकारी बीएल उइके ने भी मामले की पुष्टि की है. दुकान संचालक की ओर से तेंदूखेड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसके बाद पुलिस ने प्रथम दृष्टया मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संदीप भूरिया ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और आगे की कार्रवाई की जाएगी.
शराब की दुकान हटाने को कहा था
यह घटना केवल एक शराब दुकान में आगजनी का मामला भर नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण समाज की पीड़ा और आक्रोश को भी दर्शाती है. महिलाएं लंबे समय से गांव से शराब दुकान हटाने की मांग कर रही थीं, लेकिन जब उनकी आवाज अनसुनी रही तो उन्होंने कठोर कदम उठाया. यह कदम कानून की दृष्टि से भले ही गलत हो, लेकिन सामाजिक दृष्टि से यह गांव की नाराजगी और मजबूरी को उजागर करता है.