तेजी से बढ़ते फैटी लिवर के मामले को देखते हुए 30 साल से ऊपर के हर व्यक्ति की कमर नापने का अभियान शुरू किया है। 1 जून से प्रदेश के जिलों में ऐसे लोगों को तलाश किया जा रहा है, जिनमें पुरुषों की 90 और महिलाओं की 80 सेंटीमीटर से अधिक कमर है।
अभियान के तहत पता चला है कि 100 में से 17 पुरुष ऐसे हैं जिनकी कमर 90 सेंटीमीटर से अधिक है। वहीं, इसी अनुपात में जो महिलाएं मिली है, उनकी कमर 80 सेमी से ज्यादा है। यह संकेत नाॅन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज (NAFLD) के है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मोटापे की वजह से लोगों के बीच कई बीमारियां बढ़ रही है, जिसकी शुरुआत फैटी लिवर से होती है। बाद में फिर यहीं बीमारी से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है, जो कि हार्ट अटैक का कारण बनता है।
अभी तक की गई स्क्रीनिंग (ग्रामीण-शहरी)
स्क्रीनिंग पुरुष- 5184
- 90 सेमी से अधिक कमर का माप- 1083
स्क्रीनिंग महिलाएं 5950
- 80 सेमी से अधिक कमर का माप-1329
बीएमआई जांच (महिला-पुरुष)
- 23 से अधिक बीएमआई वाले व्यक्ति-1130
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की होगी जांच मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के द इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंस के साथ एक एमओयू किया है, जिसके तहत नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर पर चिंता जाहिर की गई है, जिसके चलते मध्य प्रदेश में 1 जून से यह अभियान चलाया जा रहा है।
इसमें फैटी लिवर की पहचान की जाएगी। इस तरह का अभियान चलाने वाला एमपी देश का पहला राज्य है। सीएस डाॅक्टर नवीन कोठारी के मुताबिक ‘नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD) टेस्ट का मतलब होता है, यकृत में वसा जमा होने का टेस्ट करना, जो शराब के सेवन के कारण नहीं है, इसे खासतौर पर डायबिटीज पेशेंट वाले लोगों में देखा जाता है।’
फैटी लिवर बीमारी का घर डॉ. नवीन कोठारी ने बताया कि फैटी लिवर बीमारी का घर है। सामान्य व्यक्ति का लिवर पर 5% तक फैट होता है, जिसे सामान्य स्थिति माना जाता है, लेकिन यदि इसी लिवर पर चर्बी का जमाव 10% से ज्यादा हो जाए तो इसे फैटी कहा जाएगा, यदि यकृत यानि लिवर पर 10% से ज्यादा फैट का जमाव होता है, तो यह फैट लिवर की कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देता है, यह सही ढंग से काम नहीं कर पाता। लिवर शरीर की सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जो कि शरीर में 56 प्रकार के कामों को करती है।
डॉ. सारिका दुबे ने बताया कि 2 जून से 5 जून के बीच ढाई हजार से अधिक पुरुष और करीब दो हजार महिलाओं की स्क्रीनिंग हुई है। स्क्रीनिंग के दौरान ढाई सौ से अधिक व्यक्तियों का बीएमआई 23 से अधिक मिला है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र के आंकड़े अलग हैं।
पीड़ित मिले मरीजों की बात करें सबसे अधिक 144 पाटन विकासखंड में मिले हैं, जबकि सिहोरा विकासखंड में 50, शहपुरा और जबलपुर शहर में क्रमशः दो-दो मरीज मिले हैं, जिन्हें उपचार दिया गया है।
बरगी, कुंडम, मझौली, पनागर में एनएएफएलडी पीड़ित नहीं मिले हैं, लेकिन महिलाओं में तय सीमा से अधिक कमर की माप और बीएमआई वाले व्यक्ति स्क्रीनिंग के दौरान सामने आए हैं, ऐसे में मरीजों को एनएएफएलडी के प्रति सचेत रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।