उत्तर प्रदेश के संभल मंदिर के पीछे स्थित मकान के अवैध अतिक्रमण को हटाया जा रहा है. इस अतिक्रमण को हटाने के लिए मजदूरों की टीम मकान के अंदर दाखिल हो गई है. इन मकानों के अवैध हिस्सा तोड़े जा रहे हैं. मकानों के बढ़े हुए छज्जे तोड़े जा रहे हैं. इस मकान के कुछ हिस्से को मजदूरों की टीम ध्वस्त कर रही है. मकान मालिक मतीन ने कहा कि मंदिर के बगल में अवैध निर्माण किया था तो अब तोड़ लिया हूं. मेरा पास इसका नक्शा नहीं था इसलिए तोड़ रहा हूं.
प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने की पूरी योजना बनाई है. एएसपी ने पुलिसकर्मियों के साथ मकान के अवैध निर्माण की पहचान की है. अफसरों ने मकान मालिकों से संपत्ति का ब्योरा मांगा है.
बता दें कि इससे पहले एएसपी ने बताया था कि मकान मालिक ने खुद ही अतिक्रमण को हटाने के लिए कहा है. संभल मंदिर के पीछे अवैध अतिक्रमण में चिह्नित होने वाले मकान मालिक मतीन ने भी आजतक से कहा था कि मकान का अवैध अतिक्रमण हटाने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है. मकान का जो भी हिस्सा आगे निकला हुआ है, उसे हटवाया जाएगा. हमने बच्चों से भी ज्यादा मंदिर का ध्यान रखा है.
1978 से बंद पड़ा था मंदिर
बिजली चोरी रोकने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने 1978 से बंद पड़े इस मंदिर को ढूंढा था. इसके बाद 15 दिसंबर को इस मंदिर में विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा आरती की गई थी. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया के मुताबिक यह कार्तिक महादेव का मंदिर है. यहां एक कुआं मिला है, जो अमृत कूप है. मंदिर मिलने के बाद यहां 24 घंटे सुरक्षा के लिए टीम तैनात की गई है. सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां जो अतिक्रमण है, उसे हटाया जा रहा है.
अब 46 साल पुराने इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने की तैयारी चल रही है. संभल के जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है. इस जांच के जरिए प्रशासन पता करना चाहता है कि मंदिर और इसकी मूर्ति आखिर कितनी पुरानी है.
क्या है मंदिर का इतिहास?
हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मंदिर में साल 1978 के दंगों के बाद से ताला लगा था. अब चार दशकों के बाद मंदिर का ताला खुला है. मंदिर में विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ शुरू है, मंदिर के पास स्थित कुंए से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी है. आखिर 1978 में संभल में क्या हुआ था?
संभल से पलायन कर चुके लोगों ने हिंदुओं को जिंदा जलाने की आपबीती आज तक के कैमरे पर सुनाई. उनका दावा है कि 1978 में हुए दंगों के बाद ही हिंदुओं का संभल से पलायन शुरू हुआ, लिहाजा डर और दहशत के चलते उन्हें अपने प्राचीन मंदिर पर ताला लगाकर जाना पड़ा था.
#WATCH | Uttar Pradesh: The owner of a house located near the Shiv-Hanuman Temple in Sambhal removes an illegal part of his house by covering it, to avoid debris falling into the temple and nearby buildings.
The temple was discovered during an anti-encroachment drive carried… pic.twitter.com/Kgt1WfXD4F
— ANI (@ANI) December 17, 2024
कई दशकों के बाद जब मंदिर खुला तो इलाके से पलायन कर चुके तमाम हिंदू यहां दर्शन के पहुंच रहे हैं. उन्होंने आज तक से बातचीत में बताया कि 1978 दंगों ने संभल की आबो हवा में नफरत का जहर घोल दिया. ऐसे में डर के चलते इलाके से हिंदुओं का पलायन शुरू हो गय. जहां मंदिर मिला है, एक जमाने में वहां 45 से ज्यादा हिंदू परिवार रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब अपने घर बेचकर वहां से दूसरी जगह चल गए. संभल के मोहल्ला दीपा सराय से सटे खग्गू सराय को लेकर भी ऐसी ही आपबीती पलायन करने वालों ने आज तक से सुनाई. उन्होंने बताया कि 1978 के दंगों के बाद संभल हिंदुओं के लिए महफूज नहीं रहा.
संभल में पथराव व आगजनी करने वालों को नहीं बख्शेंगे: CM योगी
यूपी विधानसभा में 1978 के संभल दंगों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कारोबारी की निर्मम हत्या की कहानी भी बयां की थी, जो लोगों की आर्थिक मदद करते थे. उन्होंने कहा था कि दंगों के दौरान, हिंदुओं ने उस कारोबारी के घर में शरण मांगी, लेकिन उन्हें घेर लिया गया… पहले उनके हाथ काटे गए, फिर उनके पैर और गले काटे गए. और फिर भी, ये लोग सद्भाव की बात करने का साहस कर रहे हैं. बजरंगबली का मंदिर, जो अब दोबारा खोला गया है, इन्हीं लोगों के विरोध के कारण 1978 से बंद रखा गया था. 22 कुएं किसने बंद किए? संभल में तनावपूर्ण माहौल किसने बनाया? ये वही लोग हैं, जिन्होंने अदालत के आदेश पर मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव किया होगा, शांति भंग की और माहौल खराब किया. इनमें से एक को भी बख्शा नहीं जाएगा.