Vayam Bharat

कागजों में मजदूर, मौके पर खाली जमीन: मनरेगा की पोल खुली,गरीबों के हक पर डाका!

चंदौली : सकलडीहा विकासखंड में मनरेगा योजना के नाम पर रोजगार सेवकों और मेठों की मिलीभगत से सरकारी धन की लूट मची हुई है.जरूरतमंद मजदूरों को रोजगार देने की इस योजना में फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार का ऐसा खेल खेला जा रहा है कि वास्तविक मजदूर तो मौके पर दिखाई ही नहीं देते, लेकिन मस्टरोल में दर्ज नामों के जरिए सरकारी खजाने पर डाका डाला जा रहा है.

Advertisement

मनरेगा योजना में लागू की गई NMMS प्रणाली, जिसे पारदर्शिता लाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, अब भ्रष्टाचार का उपकरण बन चुकी है.रोजगार सेवक और मेठ मजदूरों की फर्जी अटेंडेंस दिखाने के लिए एक ही फोटो का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं.

कई जगहों पर मस्टरोल में मजदूरों की संख्या तो दिखाई जाती है, लेकिन मौके पर एक भी मजदूर काम करता हुआ नहीं मिलता.यह भ्रष्टाचार का सीधा संकेत है कि मनरेगा का उद्देश्य मात्र कागजों तक सीमित रह गया है.

सकलडीहा विकास खंड के तारापुर में गांव में चल रहे मनरेगा कार्यों का हाल यह है कि एक ही मजदूर की फोटो से कई दिनों का अटेंडेंस तैयार किया जा रहा है.विकासखंड क्षेत्र के कई गांवों में कार्य के दौरान मजदूरों की संख्या कागजों में दर्ज है, लेकिन मौके पर न तो मजदूर हैं और न ही कोई कार्य होता दिखता है। रोजगार सेवक और मेठ सरकारी धन का बंदरबांट करने में लगे हैं.

सकलडीहा विकासखंड में चल रहे इस व्यापक भ्रष्टाचार पर जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.जब बीडीओ सकलडीहा को मामले की जानकारी दी गई, तो उन्होंने केवल जांच कराने और कार्य आईडी शून्य करने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया.सवाल यह उठता है कि क्या जांच और आईडी शून्य करना ही इस भ्रष्टाचार को रोकने का उपाय है, या फिर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत को उजागर कर सख्त कार्रवाई की जाएगी?

मनरेगा योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना था, लेकिन भ्रष्टाचार के इस खेल ने इसे गरीबों के हक की लूट में बदल दिया है.रोजगार सेवक, मेठ और संबंधित अधिकारी इस भ्रष्टाचार में शामिल होकर जनता की मेहनत की कमाई को डकार रहे हैं.

सूत्रों की माने तो यह मामला केवल सकलडीहा विकास खण्ड क्षेत्र का नहीं बल्कि कमोवेश जिले लगभग हर विकास खंड के अंतर्गत गांवों का है.अगर समय रहते इस भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह योजना पूरी तरह विफल हो जाएगी. जरूरत है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और मनरेगा को भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकाला जाए.

जनता अब इस भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुकी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है.सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने और मनरेगा को सही दिशा में लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.सिर्फ आश्वासन देने से यह भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, इसके लिए जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी.

Advertisements