फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को फ्रेंकोइस बायरू को 2024 का अपना तीसरा प्रधानमंत्री नामित किया. मैक्रों के करीबी सहयोगी बायरू की प्राथमिकता 2024 के बजट को आगे बढ़ाने के लिए एक विशेष कानून पारित करना होगा, जबकि अगले साल की शुरुआत में 2025 के कानून को लेकर तीखी बहस होने वाली है. 2025 के बिल पर संसदीय प्रतिरोध के कारण पूर्व प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार गिर गई थी.
62 साल के इतिहास में फ्रांस में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव में हार का सामना करना पड़ा. 577 सीटों वाली फ्रांसीसी संसद के लिए इसी साल जुलाई में चुनाव हुए थे लेकिन इसमें किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद मैक्रों ने बार्नियर को प्रधानमंत्री चुना था. लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर बार्नियर की कार्यशैली से विपक्ष नाराज था.
खासतौर पर यह नाराजगी तब और बढ़ गई जब उन्होंने नेशनल असेंबली में वोटिंग के बिना ही सामाजिक सुरक्षा बजट को पास करवा दिया, इसके लिए उन्होंने फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद 49.3 का इस्तेमाल किया. इसके बाद फ्रांस की संसद के निचले सदन के 331 सदस्यों ने बार्नियर की अल्पमत वाली सरकार को हटाने के लिए वोट किया और इस तरह से 73 वर्षीय बार्नियर, प्रधानमंत्री के तौर पर महज 91 दिनों तक ही पद पर रह पाए. अब उनकी जगह मैक्रों ने बायरू को पीएम नियुक्त किया है.
73 वर्षीय बायरू आने वाले दिनों में अपने मंत्रियों की लिस्ट पेश करेंगे, लेकिन उन्हें तीन विरोधी गुटों वाली संसद में कानून बनाने में बार्नियर जैसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. बायरू के लिए मैक्रों से उनकी निकटता भी चुनौती साबित होगी.
बता दें कि फ्रांस की बढ़ती राजनीतिक घटनाक्रम से ऐसी चर्चाओं को जन्म दिया है कि मैक्रों अपना दूसरा राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा कर पाएंगे या नहीं. उनका कार्यकाल 2027 में समाप्त हो रहा है. बार्नियर के निष्कासन के बाद मैक्रों ने रूढ़िवादियों से लेकर कम्युनिस्टों तक के नेताओं से बात की और बायरू के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की. मरीन ले पेन की दूर-दराज़ नेशनल रैली और कट्टर वामपंथी फ्रांस अनबोड को बाहर रखा गया.
गठबंधन में सोशलिस्ट पार्टी की किसी भी तरह की भागीदारी मैक्रों को अगले साल के बजट में नुकसान पहुंचा सकती है. एक सरकारी सलाहकार ने शुक्रवार को कहा, “अब हम देखेंगे कि सोशलिस्ट पार्टी के समर्थन पर कितने अरबों खर्च होंगे.”
गर्मियों से पहले कोई विधायी चुनाव नहीं
मैक्रों को उम्मीद है कि बायरू कम से कम जुलाई तक अविश्वास मतों को टाल सकेंगे, जब फ्रांस में नए संसदीय चुनाव हो सकेंगे, लेकिन अगर सरकार फिर से गिरती है तो राष्ट्रपति के रूप में उनके भविष्य पर सवाल उठना लाजिमी है.
डेमोक्रेटिक मूवमेंट (मोडेम) पार्टी के संस्थापक बायरू, जो 2017 से मैक्रों के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा रहे हैं, खुद तीन बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं. दक्षिण-पश्चिमी शहर पाऊ के लंबे समय तक मेयर रहने के कारण वे ग्रामीण जड़ों पर निर्भर हैं. मैक्रों ने 2017 में बायरू को न्याय मंत्री नियुक्त किया था, लेकिन संसदीय सहायकों की अपनी पार्टी द्वारा कथित धोखाधड़ी की जांच के चलते उन्होंने कुछ ही सप्ताह बाद इस्तीफा दे दिया. इस साल उन्हें धोखाधड़ी के आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
बायरू की पहली असली परीक्षा नए साल की शुरुआत में होगी, जब सांसदों को 2025 के बजट विधेयक को पारित करना होगा. हालांकि, मैक्रों के जून में अचानक हुए चुनाव के बाद नेशनल असेंबली की विखंडित प्रकृति लगभग अप्रबंधनीय हो गई है, जिसका मतलब है कि बायरू को निकट भविष्य में राष्ट्रपति के विरोधियों के सहारे ही सरकार चलानी होगी.