सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद ने देश से भागने के बाद निर्वासन में अपने पहले बयान में कहा कि देश छोड़ना उनके लिए कभी एक विकल्प नहीं था. न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार बशर अल-असद ने पिछले हफ्ते अपने शासन के पतन के बाद सोमवार को अपना पहला बयान जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि ‘शरण उनके लिए कभी भी एक विकल्प नहीं था’.
⚡️Seems as though Bashar Al Assad has released a statement pic.twitter.com/MPGPvzcmnf
— War Monitor (@WarMonitors) December 16, 2024
2000 में सत्ता में आए थे बशर अल-असद
बशर अल-असद अपने पिता हाफिज अल-असद के बाद 2000 में सत्ता में आए थे, जिन्होंने लगभग तीन दशकों तक सीरिया पर मजबूत पकड़ के साथ शासन किया. एक समय असद को अजेय माना जाता था, लेकिन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस), जिसे पहले आतंकवादी संगठन अल-कायदा से संबद्ध अल-नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था, और सहयोगी गुटों के नेतृत्व में तेजी से किए गए हमले के दबाव में 8 दिसंबर को असद का शासन ध्वस्त हो गया.
‘8 दिसंबर को छोड़ना पड़ा देश’
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, असद ने एक बयान में कहा कि मॉस्को ने सीरिया से उन्हें निकालने का अनुरोध किया था. कथित तौर पर टेलीग्राम पर जारी अपने बयान में, असद ने कहा कि मॉस्को ने सीरिया से उन्हें निकालने का अनुरोध किया था और उन्हें 8 दिसंबर की शाम को देश छोड़ना पड़ा.
‘पद छोड़ने या शरण लेने का कभी विचार नहीं आया’
असद ने कहा, ‘आतंकवाद जब पूरे सीरिया में फैल गया और आखिरकार शनिवार 7 दिसंबर 2024 की शाम को दमिश्क तक पहुंच गया तब राष्ट्रपति के ठिकाने को लेकर सवाल उठने लगे. इससे भ्रामक जानकारियों की एक बाढ़ सी आ गई जिसका उद्देश्य सीरिया के लिए मुक्ति क्रांति के रूप में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को फिर से स्थापित करना था.’
उन्होंने कहा, ‘इन घटनाओं के दौरान किसी भी समय मैंने पद छोड़ने या शरण लेने पर विचार नहीं किया, न ही किसी व्यक्ति या पार्टी द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव दिया गया था. इस कार्रवाई का एकमात्र उद्देश्य आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना था.’ मॉस्को में निर्वासन में रह रहे असद ने कहा कि उनकी ‘सीरिया से संबंधित गहरी भावना’ बरकरार है.