किसी भी नए साल के शुरुआती 50 दिन काफी अहम होते हैं. ये 50 दिन पूरे साल का टोन सेट करते हैं. साथ ही इस बात का भी संकेत देते हैं कि आने वाला पूरा कैसा रहने वाला है. इन 50 दिनों ने शेयर बाजार का भी टोन पूरी तरह से सेट कर दिया है. बीते कुछ सालों में ऐसा बिल्कुल भी देखने को नहीं मिला होगा कि साल के शुरुआती 50 दिनों में निवेशकों को इतना मोटा नुकसान हो जाए. आंकड़ों को देखें तो मौजूदा साल में अब तक शेयर बाजार में करीब साढे तीन फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. साथ ही शेयर बाजार निवेशकों के 41 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा डूब चुके हैं. अक्टूबर से इस गिरावट के आंकड़े को देखें तो शेयर बाजार को 10 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हो चुका है, जोकि काफी बड़ा है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में शेयर बाजार में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है. आइए इस पूरी कहानी को आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं…
सेंसेक्स कितना डूबा
मौजूदा साल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में काफी गिरावट देखने को मिल चुकी है. आंकड़ों को देखें तो 31 दिसंबर 2024 को जब शेयर बाजार बंद हुआ था तब सेंसेक्स 78,139.01 अंकों पर था. जोकि 20 जनवरी को कारोबारी सत्र के शुरुआती घंटे में 75,546.17 अंकों पर आ गया. इसका मतलब है कि सेंसेक्स में अब तक 2,592.84 अंकों गिरावट देखने को मिल चुकी है. इसका मतलब है कि निवेशकों को सेंसेक्स से 3.32 फीसदी का नुकसान हो चुका है. अगर बात गुरुवार की करें तो सेंसेक्स सुबह 9 बजकर 45 मिनट 363.32 अंकों की गिरावट के साथ 75,568.35 अंकों पर कारोबार कर रहा है. वैसे गुरुवार को सेंसेक्स 75,672.84 अंकों पर ओपन हुआ था और एक दिन पहले सेंसेक्स फ्लैट 75,939.18 अंकों पर बंद हुआ था.
निफ्टी भी हुआ धड़ाम
अगर बात नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख सूचकांक निफ्टी की तो उसमें भी बड़ी गिरावट देखी जा चुकी है. मौजूदा साल में निफ्टी ने निवेशकों को 3.51 फीसदी का नुकसान पहुंचा दिया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर को निफ्टी 23,644.80 अंकों पर बंद हुआ था, जो गुरुवार 20 फरवरी को 22,813.95 अंकों पर आ गया. इसका मतलब है कि निफ्टी में तब से अब तक 830 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है
अगर बात गुरुवार यानी 20 फरवरी की करें तो निफ्टी में 62.80 अंकों की गिरावट देखने को मिल रही है और 22,870.10 अंकों पर कारोबार कर रहा है. वैसे निफ्टी गुरुवार को 22,821.10 अंकों पर ओपन हुआ था. एक दिन पहले निफ्टी फ्लैट लेवल पर बंद हुआ था. जानकारों की मानें तो निफ्टी में आने वाले दिनों में और गिरावट देखने को मिल सकती है.
निवेशकों को हुआ मोटा नुकसान
अगर बात निवेशकों की करें तो उन्हें मौजूदा साल में मोटा नुकसान हो चुका है. वास्तव में निवेशकों का नुकसान बीएसई के मार्केट कैप से गिरने से पता चलता है. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर को बीएसई का मार्केट कैप 4,41,95,106.44 करोड़ रुपए था, जो 20 फरवरी को घटकर 4,00,65,487.87 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि निवेशकों को बीते 50 कारोबारी दिनों में 41,29,618.57 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
500 में से 447 कंपनियों में गिरावट
साल 2025 में अब तक 36 कारोबारी दिनों में से 21 मौकों पर गिरावट आई है. इस गिरावट की वजह से बीएसई 500 लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 31 दिसंबर, 2024 को 387.18 लाख करोड़ रुपए से 34 लाख करोड़ रुपए कम होकर 353.31 लाख करोड़ रुपए हो गया है. बीएसई 500 कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि 447 शेयरों में साल-दर-साल आधार पर उनके मार्केट कैप में कटौती देखी गई है. केवल 53 स्टॉक क्लोजिंग बेसिस पर 31 दिसंबर, 2024 के एम-कैप से ऊपर रहने में कामयाब रहे हैं. बीएसई 500 इंडेक्स इस साल अब तक 8 फीसदी गिर चुका है जबकि बीएसई सेंसेक्स मौजूदा साल में 3 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है.
इन कंपनियों के मार्केट कैप में सबसे ज्यादा गिरावट
अगर बात उन कंपनियों की करें जिनके मार्केट कैप में गिरावट देखने को मिली है, उसमें जीवन बीमा निगम (एलआईसी, 84,059 करोड़ रुपए), ट्रेंट (71,076 करोड़ रुपए), भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई, 65,194 करोड़ रुपए), ज़ोमैटो (59,832 करोड़ रुपए), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस, 59,499 करोड़ रुपए), एचडीएफसी बैंक (58,833 करोड़ रुपए), एचसीएल टेक्नोलॉजीज (56,322 करोड़ रुपए), सीमेंस (55,272 करोड़ रुपए), लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी, 50,852 करोड़ रुपए) और वरुण बेवरेजेज (-50,812 करोड़ रुपए) शामिल हैं.
आईटीसी के नुकसान को नहीं किया शामिल
विश्लेषण में आईटीसी को शामिल नहीं किया गया है, जिसने इस साल अपने मार्केट कैप में 91,000 करोड़ से अधिक की गिरावट देखी है. खास बात तो ये है कि 2025 में किसी भी स्टॉक में दर्ज की गई मार्केट कैप में ये सबसे बड़ी गिरावट है. लेकिन कमजोर कमाई और कमजोर बाजार भावनाओं के अलावा, इसका आंशिक कारण इसके होटल बिजनेस में कमी आना है. आईटीसी होटल्स ने एनएसई और बीएसई पर क्रमशः 180 रुपए और 188 रुपए प्रति शेयर पर बाजार में शुरुआत की, लिस्टिंग के समय इसका मार्केट कैप 39,126.02 करोड़ रुपए था.
डीमर्जर के बाद शेयर में गिरावट
फीसदी के हिसाब से देखें तो 4 फीसदी से लेकर 28 फीसदी गिरावट देखने को मिली. ट्रेंट में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई और टीसीएस में सबसे कम. खास बात तो ये है कि दोनों ही कंपनियां टाटा ग्रुप की हैं. अलग हुई आईटीसी की यूनिट ने एनएसई और बीएसई पर क्रमशः 180 रुपए और 188 रुपए प्रति शेयर पर शुरुआत की, लिस्टिंग के समय इसका बाजार मार्केट 39,126.02 करोड़ रुपए था, जो तब से गिरकर 34,266.48 करोड़ रुपए हो गया है. डीमर्जर के तहत, आईटीसी लिमिटेड ने आईटीसी होटल्स में 40 फीसदी हिस्सेदारी बरकरार रखी, जबकि शेष 60 फीसदी आईटीसी शेयरधारकों को 10:1 के अनुपात में वितरित की गई. कंपनी के अनुसार, आईटीसी होटल्स के 100 शेयरों की कुल अधिग्रहण लागत 54,040 रुपए है.
कंपनियों को भी हुआ नुकसान
JIO फाइनेंशियल सर्विसेज, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL), अडानी एंटरप्राइजेज, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज, DLF, JSW एनर्जी, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन और ABB इंडिया जैसे स्टॉक भी प्रमुख नुकसान में हैं, जिनका एम-कैप 48,603 करोड़ रुपए से 35,067 करोड़ रुपए के बीच गिरा है. दो दर्जन से अधिक स्टॉक हैं जिनके मार्केट कैप में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जिनमें कायन्स टेक्नोलॉजी इंडिया, स्टर्लिंग और विल्सन रिन्यूएबल एनर्जी, न्यूजेन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया, केईसी इंटरनेशनल, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज, प्राज इंडस्ट्रीज और स्वान एनर्जी शामिल हैं.