बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हालिया सर्वे ने राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है। नए आंकड़ों के अनुसार, जनता इस बार युवा नेताओं की ओर झुकाव रख रही है और बदलाव की इच्छा साफ नजर आ रही है। सी-वोटर द्वारा किए गए ताजा प्री-पोल सर्वे में 36 प्रतिशत लोगों ने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त बताया। इसके बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर का नाम आता है, जिन्हें 23 प्रतिशत लोग मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पसंद कर रहे हैं। वहीं, वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केवल 16 प्रतिशत लोगों ने उपयुक्त माना, जबकि लोजपा नेता चिराग पासवान को 10 प्रतिशत और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को 7 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में देखा।
नीतीश कुमार के कार्यकाल पर जनता का संतोष भी अब घटता दिखाई दे रहा है। फरवरी में किए गए सर्वे में 58 प्रतिशत लोग उनके पक्ष में थे, जून में यह बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया, लेकिन हालिया सितंबर सर्वे में संतोष दर 61 प्रतिशत पर सीमित रही, जबकि असंतोष बढ़कर 38 प्रतिशत तक पहुंच गया।
लोक पोल सर्वे के नतीजे भी महागठबंधन के लिए राहतभरे हैं। इसमें अनुमान लगाया गया कि अगर अभी चुनाव होते हैं तो महागठबंधन को 118 से 126 सीटें मिल सकती हैं, जबकि एनडीए को 105 से 114 सीटों का अनुमान है। कुल 243 सीटों में से 122 सीटें जीत के लिए आवश्यक हैं।
महागठबंधन की बढ़त के पीछे कई कारण हैं। तेजस्वी यादव को आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी और ईबीसी का समर्थन मिला है। कांग्रेस ने जाति जनगणना के आधार पर एससी और ईबीसी समुदायों में अपनी पकड़ मजबूत की है। नीतीश सरकार की छवि भ्रष्टाचार, बिगड़ती कानून-व्यवस्था और पलायन व बेरोज़गारी की वजह से प्रभावित हुई है। मुस्लिम-यादव समीकरण भी महागठबंधन के पक्ष में काम कर रहा है। जन सुराज के जरिए सवर्ण मतदाताओं को जेडीयू से जोड़ने की कोशिश भी एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगा रही है।
सर्वेक्षण के परिणाम साफ करते हैं कि बिहार में युवा नेताओं और बदलाव की चाहत वाले मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस स्थिति में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में सबसे अधिक संभावना माना जा रहा है, जबकि नीतीश कुमार की पुनर्निर्वाचन संभावना अब पहले जैसी नहीं रही।