उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में आयोजित एक श्रद्धांजलि समारोह में अयोध्या के राम मंदिर को लेकर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जो लोग राम मंदिर पर गर्व महसूस नहीं करते, उनके भारतीय होने पर संदेह किया जा सकता है। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक circles में काफी चर्चा पैदा कर दी है।
सीएम योगी ने अपने संबोधन में राम मंदिर को भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह देशवासियों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे इस गौरव को महसूस करें और इसे अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।
योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया और वहां की विकास योजनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मंदिर का निर्माण देश के धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। सीएम ने यह भी कहा कि यह मंदिर न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है।
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कुछ लोगों ने इसे भारतीयता और सांस्कृतिक पहचान को जोड़ने वाला बयान बताया, जबकि कुछ आलोचकों ने इसे विवादास्पद और विभाजनकारी करार दिया।
इस मौके पर सीएम ने नागरिकों से यह भी आग्रह किया कि वे मंदिर के महत्व को समझें और देशवासियों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान ने अयोध्या और राम मंदिर के महत्व पर एक बार फिर राष्ट्रीय ध्यान खींचा है। उनका कहना है कि इस तरह के प्रतीक न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि देशवासियों के बीच राष्ट्रीय गर्व और सांस्कृतिक चेतना को भी बढ़ाते हैं। यह बयान राजनीतिक और सामाजिक बहस के लिए नए विषय भी प्रस्तुत करता है।