मोटापा कम करने के लिए नहीं लेनी पड़ेगी दवा, बॉडी खुद बनाएगी ‘नेचुरल ओजेम्पिक’

ओजेम्पिक (Ozempic) पूरी दुनिया में वजन घटाने वाली दवाई के तौर चर्चा में बनी हुई है जिसके इस्तेमाल से डायबिटीज को कंट्रोल करने और वजन कम करने में मदद मिल सकती है. इसके प्रभाव को लेकर मिली जुली प्रक्रियाएं सामने आ रही है. हाल ही में जापान में वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक रिसर्च में जीन एडिटिंग के जरिए शरीर में ‘नैचुरल ओजेम्पिक’ बनाने का तरीका खोजा है. रिसर्च में जापान के शोधकर्ताओं ने पाया कि जीन एडिटिंग के जरिए बॉडी में नैचुरल ओजेम्पिक पैदा किया जा सकता है जो प्रभावी हो सकता है जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है.

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कैसे बनेगा नैचुरल रूप से ओजेम्पिक?

रिसर्च के लिए टीम ने जीन एडिटिंग का इस्तेमाल करके चूहों के लिवर में एक्सेनाटाइड (डायबिटीज की दवाई है) इंजेक्ट किया गया जिसका उपयोग ब्लड शुगर को कंट्रोल करके टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे के इलाज में प्रयोग होने वाली GLP-1 दवाओं (ओजेम्पिक, वेगोवी, बायेटा) में किया जाता है.

क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के अनुसार, जीएलपी-1 एगोनिस्ट (GLP-1 agonist) दवाओं का एक क्लास है जो मुख्य रूप से टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में ब्लड शुगर के स्तर को मैनेज करने में मदद करती है.

इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक खास जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया. एक बार इलाज करने के बाद ये चूहे खुद ही एक्सेनाटाइड नाम की दवा को अपने शरीर में छह महीने तक बनाते रहे.

इस रिसर्च में 2 ग्रुप्स को शामिल किया गया. एक ग्रुप वो जिनकी जीन एडिटिंग की गई थी और दूसरा ग्रुप वो जिनके चूहों की जीन एडिटिंग नहीं तकी गई थी. इन चूहों को ज्यादा फैट वाला खाना खिलाया गया ताकि वे मोटे हो जाएं और प्रीडायबिटीज (Pre-diabetes) जैसी हालत में पहुंच जाएं. जिन चूहों का शरीर नेचुरल रूप से एक्सेनाटाइड का उत्पादन नहीं कर रहा था, उन्होंने जीन एडिटिंग वाले चूहों की तुलना में अधिक खाया था.

वहीं जीन एडिटिंग के बाद जिन चूहों के शरीर में एक्सेनाटाइड खुद बनने लगा था, उन्होंने कम खाना खाया, उनका वजन कम बढ़ा और उनकी इंसुलिन पर प्रतिक्रिया बेहतर रही, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहा जिससे उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहा.

सबसे खास बात यह रही कि इन चूहों में कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं दिखा. जबकि इसी तरह के काम के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं जैसे ओजेम्पिक कई बार पेट खराब होने या अंगों को नुकसान पहुंचाने वाले साइड इफेक्ट पैदा करती हैं.

आसान भाषा में समझें तो यह जीन एडिटिंग तकनीक शरीर को बिना दवा दिए ही लंबे समय तक डायबिटीज जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत दे सकती है और वो भी बिना नुकसान के.

क्यों ओजेम्पिक पर उठ रहे सवाल

पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया में मोटापा कम करने के लिए ओजेम्पिक दवाई के इस्तेमाल पर खूब बहस हो रही है. इसे बनाने वाले वैज्ञानिक और इस्तेमाल करने वाले लोग इसका समर्थन कर रहे हैं तो वहीं लोगों का एक धड़ा इसके खिलाफ हैं.

आपको बता दें कि ओजेम्पिक को मूल रूप से टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद के लिए बनाया गया था. हालांकि इसके इस्तेमाल के बाद लोगों के वजन में कमी आई, जिसके बाद ओजेम्पिक दुनिया भर में डायबिटीज से ज्यादा वजन घटाने वाली दवाई के रूप में मशहूर होने लगी लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर वेट लॉस के लिए नहीं बनाया गया है.

चूहों के 2 ग्रुप को दी गई हाई कैलोरी डाइट

इस रिसर्च में 2 ग्रुप्स को शामिल किया गया. एक ग्रुप वो जिनकी जीन एडिटिंग की गई थी और दूसरा ग्रुप वो जिनके चूहों की जीन एडिटिंग नहीं की गई थी. इन चूहों को ज्यादा फैट वाला खाना खिलाया गया ताकि वे मोटे हो जाएं और प्रीडायबिटीज जैसी हालत में पहुंच जाएं. जिन चूहों का शरीर नेचुरल रूप से एक्सेनाटाइड का उत्पादन नहीं कर रहा था, उन्होंने जीन एडिटिंग वाले चूहों की तुलना में अधिक खाया था.

वहीं जीन एडिटिंग के बाद जिन चूहों के शरीर में एक्सेनाटाइड खुद बनने लगा था, उन्होंने कम खाना खाया, उनका वजन कम बढ़ा और उनकी इंसुलिन पर प्रतिक्रिया बेहतर रही, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहा जिससे उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहा.

जीन एडिटिंग के बाद क्या सामने आया?

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में बुधवार को प्रकाशित इस स्टडी में चूहों के एक और ग्रुप को भी शामिल किया गया था जिनमें कोई जीन एडिटिंग नहीं की गई थी और ये प्राकृतिक तौर पर एक्सेनाटाइड का उत्पादन नहीं कर रहे थे. इन चूहों की तुलना में जीन एडिटिंग वाले चूहों ने कम खाना खाया, उनका वजन कम बढ़ा और इंसुलिन के प्रति भी उनकी प्रतिक्रिया बेहतर दिखी जिससे उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहा.

दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल के निदेशक डॉ. सुखविंदर सिंह सग्गू ने इस रिसर्च के बारे में बताया, ‘GLP-1 का इस्तेमाल किया जा रहा है और लोगों के बीच नैचुरल जीएलपी 1 की डिमांड बढ़ रही है. ये जो रिसर्च है, इसमें जीनोम एडिटिंग के जरिए ब्लड में ऐसे molecules की बढ़ी हुई संख्या देखी गई जो जीएलपी 1 की तरह काम करते हैं.’

‘इससे फायदा ये होगा कि इससे मरीजों को कम भूख लगेगी, कम वजन बढ़ेगा. फिलहाल ये रिसर्च चूहों पर की गई है लेकिन भविष्य में ये इंसानों पर सफल रही और तो शायद हमें अच्छे नतीजे मिल सकते हैं.’

क्या कोई साइड इफेक्ट्स हुए?

इस दौरान जीन ए़डिटिंग और एक्सेनाटाइड का उत्पादन के कोई खास दुष्प्रभाव भी नहीं देखे गए जो ओजेम्पिक जैसी दवाओं के इस्तेमाल पर देखे गए हैं जैसे कि पेट का लकवा, अंधापन और ऑर्गन फेलियर.

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस ट्रीटमेंट का इंसानों पर भी ऐसा ही प्रभाव होगा या नहीं. लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह ओजेम्पिक जैसी दवाओं, जिन्हें मरीज को रोजाना लेना पड़ता है, को अतीत बनाने की दिशा में पहला कदम हो सकता है.

क्या दवाओं पर खत्म हो जाएगी निर्भरता?

जापान के ओसाका विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने कहा कि यह अध्ययन बताता है कि जीनोम एडिटिंग का इस्तेमाल कई जटिल बीमारियों के स्थायी इलाज को खोजने के लिए किया जा सकता है जिससे मरीज की दवाओं और उसके बार-बार सेवन पर निर्भरता कम हो सकती है.

GLP-1 के दिखे कई साइडइफेक्ट्स

हालांकि जैसे-जैसे ज्यादा लोग GLP-1 दवाओं की ओर रुख कर रहे हैं, उतनी ही संख्या में लोग इसके साइड इफेक्ट्स की शिकायत भी कर रहे हैं. इन दवाओं को लेने वाले कई लोगों ने मतली, उल्टी, कब्ज, पेट का लकवा, आंखों की रोशनी में दिक्कत और दांतों में सड़न की शिकायत की है.

इतना ही नहीं अगर इन दवाओं का सेवन बंद कर दिया जाता है तो उन लोगों का वजन फिर से बढ़ने का भी खतरा होता है.

टीम ने यूज की थी ये टेक्निक

कैंसर रोगियों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जीन एडिटिंग की तकनीक CRISPR का इस्तेमाल किया था. शोधकर्ताओं ने चूहों की लिवर सेल्स में एक जीन इंसर्ट किया जिससे उन्हें एक्सेनाटाइड बनाने के निर्देश मिले. इस स्टडी के सीनियर ऑथर और ओसाका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर केइचिरो सुजुकी ने कहा, ‘यह परिणाम बेहद रोमांचक थे. हमने पाया कि इन जीनोम-एडिटिंग वाले चूहों ने हाई लेवल पर एक्सेनाटाइड पैदा किया जो जीन इंसर्ट करने के कई महीनों बाद भी खून में मौजूद रहा.’

आसान भाषा में समझें तो यह जीन एडिटिंग तकनीक शरीर को बिना दवा दिए ही लंबे समय तक डायबिटीज जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत दे सकती है और वो भी बिना नुकसान के.

अमेरिका में 40 % लोग मोटे

Dailymail.co.uk की रिपोर्ट के अनुसार, यह नया शोध ऐसे समय में सामने आया है जब आठ में से एक अमेरिकी यानी 4 करोड़ ने कम से कम एक बार ओजेम्पिक जैसी GLP-1 एगोनिस्ट लेने की बात स्वीकारी है. अमेरिका में 40 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार हैं जिसकी संख्या कुल मिलाकर लगभग 10 करोड़ है

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